प्रयागराज – क्यों लगता है अतीक की गाड़ी पलट जाएगी !

इरफान-मुख्तार को भी था यही डर, विकास दुबे एनकाउंटर ने बदली पुलिस की इमेज; 6 साल में 178 ढेर

कहीं गाड़ी न पलट जाए…कयास भरे ये पांच शब्द हर बार उस वक्त चर्चा में आ जाते हैं, जब यूपी पुलिस किसी आरोपी को सड़क मार्ग से लाती है। इस वक्त गाड़ी पलटने की बात इसलिए चर्चा में है, क्योंकि अतीक अहमद को गुजरात से यूपी लाया जा रहा है। इसके पहले बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी और सपा विधायक इरफान सोलंकी के मामले में भी गाड़ी पलटने की बात चर्चा में थी।

आखिर ऐसा क्यों है? क्यों अपराधियों के परिजनों को लगता है कि गाड़ी पलट जाएगी? क्या यूपी पुलिस ने 6 साल में 178 एनकाउंटर करके खुद की छवि ऐसी बना ली? या फिर नेताओं के बयानों ने इसे स्थापित कर दिया।

आइए अतीक के मामले से जोड़कर इस पूरे परसेप्शन को समझने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले अतीक अहमद के परिवार के डर की बात करते हैं…

पत्नी को डर है कि अतीक की हत्या हो सकती है
24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल और उनके दो गनर का मर्डर हुआ। गुजरात के साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद का नाम सामने आया। पुलिस ने पूछताछ के सिलसिले में अतीक अहमद को गुजरात से यूपी ट्रांसफर की बात कही। इसके अगले ही दिन अतीक के वकील सौलत हनीफ ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र देते हुए मांग की, “अतीक को अहमदाबाद से कहीं और न भेजें। यूपी सरकार के कुछ मंत्रियों के बयान से ऐसा लगता है कि उनका फर्जी एनकाउंटर किया जा सकता है।”

अगले दिन अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने सीएम योगी को पत्र लिखा। उसमें उन्होंने आशंका जताई कि उनके बेटों, शौहर अतीक और देवर अशरफ की पुलिस हत्या करा सकती है। दो दिन बाद यानी 6 मार्च को अतीक की बहन आयशा नूरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पुलिस पर आरोप लगाया कि वह हमारे भतीजों को टॉर्चर कर रहे हैं। कह रहे हैं कि तुम्हारे दोनों भाइयों को जेल से निकालकर एनकाउंटर कर देंगे।

  • आइए अब उस बहुचर्चित विकास दुबे का मामला जानते हैं जिसने गाड़ी पलटने की बात को यूपी पुलिस के साथ जोड़कर स्थापित कर दिया।

गाड़ी पलटी, पिस्टल छीनी और मारा गया
2 जुलाई, 2020 को कानपुर के बिकरू में पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके साथियों ने हमला कर दिया। डिप्टी एसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने हमले में शामिल आरोपियों प्रेम कुमार पांडेय फिर अतुल दुबे, अमर दुबे, प्रवीण दुबे और फिर कार्तिकेय दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। लेकिन, विकास दुबे 8 दिन तक नहीं मिला। 9 जुलाई को पता चला कि वह मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर में मौजूद है। MP पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। यूपी पुलिस पहुंची, तो विकास को सौंप दिया गया।

पुलिस विकास को लेकर उज्जैन से कानपुर के लिए निकली। गाड़ी में ड्राइवर के अलावा STF के 3 जवान भी थे। सुबह करीब साढ़े 6 बजे कानपुर नगर के सचेंडी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल हॉस्पिटल के सामने, गाड़ी पलट गई। विकास दुबे ने भागने की कोशिश की, पुलिस ने आत्मसमर्पण की बात की। लेकिन, वह नहीं माना। पुलिस ने फायरिंग की और वह मारा गया। एनकाउंटर के तुरंत बाद दो बातें सामने आईं। पहले कहा गया कि बारिश हो रही थी। इसलिए सड़क पर फिसलन थी। इसीलिए गाड़ी पलट गई।

ये वहां की फोटो है, जहां विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था।
ये वहां की फोटो है, जहां विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था।

दो घंटे बाद पुलिस ने कहा, अचानक गाय-भैंस का झुंड भागते हुए हाईवे पर आ गया। लंबी दूरी से गाड़ी ड्राइव करके आ रहा ड्राइवर थका था। इसलिए जानवरों को बचाने के लिए उसने गाड़ी मोड़ी, तभी हादसा हो गया। विकास दुबे रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींचकर भागा और पुलिस पर फायरिंग करने लगा। इसके बाद जवाबी फायरिंग में वह मारा गया।

  • गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर का यह पहला मामला था, लेकिन इस एक घटना के बाद यूपी पुलिस के साथ गाड़ी पलटने की बात स्थापित हो गई। इसकी बड़ी वजह नेताओं के बयान थे।

सपा विधायक को था गाड़ी पलटने का डर
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा के सपा विधायक इरफान सोलंकी इस वक्त महाराजगंज जेल में बंद हैं। गिरफ्तारी से पहले पुलिस उन्हें पकड़ने गई, तो वह फरार हो गए। बाद में जब उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया, तो कहा, “ये कानपुर है। यहां खड़ी गाड़ी पलट जाती है। उस दिन भी गाड़ी पलट सकती थी। हमारे साथ कोई अनहोनी हो सकती थी। इसलिए भागकर जान बचाई। कोई गलत काम नहीं किया।”

मुख्तार के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी उनकी पत्नी

9वीं बार में पुलिस मुख्तार को यूपी लेकर आई। इस वक्त वह जौनपुर जेल में हैं।

6 अप्रैल, 2021 को मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल लाया जा रहा था। तब मुख्तार की पत्नी आफ्सा अंसारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि मेरे पति को ला रही यूपी पुलिस की गाड़ी पलट सकती है। उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच लाया जाए। मुख्तार के भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने भी एनकाउंटर की आशंका जताई थी।

मुख्तार के मामले में उस वक्त के बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने एक सार्वजनिक रैली में कह दिया था, “गाड़ी यूपी के किस बॉर्डर पर पलटेगी, ये नहीं बताऊंगा।” इस एक बात ने मुख्तार के मामले में गाड़ी पलटने की बात को दम दे दिया था।

अखिलेश ने कहा- गाड़ी पलट जाएगी…
रविवार को अतीक अहमद से जुड़े एक सवाल पर सपा प्रमुख अखिलेश ने भी गाड़ी पलटने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “CM योगी ने अपने मंत्रियों को बता दिया होगा कि गाड़ी पलट जाएगी। तभी उनके मंत्री ऐसे बयान दे रहे हैं।”

  • अब फिर से अतीक अहमद के मामले की बात करते हैं।

”गाड़ी नहीं पलटती, अपराधी पलटता है”
रविवार को जिस वक्त अतीक अहमद गुजरात में पुलिस की गाड़ी पर बैठ रहा था। उसके 4 घंटे पहले DGP डीएस चौहान ने एक चैनल से बात करते हुए कहा, यूपी पुलिस की जो फ्लीट है वह मॉर्डन फ्लीट है। हमारी गाड़ियां नहीं पलटती, सिर्फ अपराधी पलटता है। उनके इस बयान को लोग सोशल मीडिया पर शेयर करके अतीक की गाड़ी पलटने का कयास लगा रहे हैं। हालांकि इसकी अगली ही लाइन में DGP कहते हैं कि माफिया को जो सजा होगी, वह कोर्ट ही तय करेगा।

इसके पहले उन्होंने दिसंबर, 2022 में कहा था, “ये नया उत्तर प्रदेश है। ये नई पुलिस है। अपराधियों को पाताल लोक से खोजकर गोली मारेगी।” ये बयान दो वाराणसी में दो भाइयों के एनकाउंटर के बाद आया था।

सीएम बोले- एक्सीडेंट किसी का हो सकता है

पिछले साल एक न्यूज चैनल पर बात करते हुए सीएम योगी से पूछा गया कि क्या गाड़ियां ऐसे ही पलटती रहेंगी? उस वक्त उन्होंने कहा था, ”प्रदेश में 24 करोड़ जनता की सुरक्षा और सम्मान के लिए कानून का राज कैसे स्थापित होगा, ये एजेंसियां तय करेंगी। एक्सीडेंट किसी का भी हो सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है।”

मंत्री ने कहा- गाड़ी पलट सकती है
10 दिन पहले ही योगी सरकार के मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा था, “ज्यादा हो-हल्ला हुआ तो अपराधियों की गाड़ी पलट भी सकती है। कोई अपराधी पुलिस की गिरफ्त में आ जाए, तो उसे ज्यादा हल्ला नहीं मचाना चाहिए। कहीं ड्राइवर असंतुलित हो गया, तो गाड़ी पलट सकती है। अगर गाड़ी पलटती है, तो इसकी जिम्मेदारी उसी अपराधी की ही होगी।”

इसके पहले कन्नौज के बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने कहा था, “याद रखो जब विकास दुबे नहीं बचा, तो इन दुर्दांतों का क्या होगा, ये बताने की आवश्यकता नहीं है। अब अगर अतीक की गाड़ी पलट भी जाए, तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा।”

  • गाड़ी पलटने की बात नेताओं के बयानों से समाज में स्थापित हो गई। हालांकि यूपी में लगातार हो रहे एनकाउंटर ने पुलिस की छवि को बदला है। आइए अब एनकाउंटर की बात करते हैं। पहले उमेश पाल मर्डर केस में हुए दो एनकाउंटर को जानते हैं।

घटना के तीन दिन बाद अरबाज एनकाउंटर में ढेर
उमेश पाल मर्डर केस के 3 दिन बाद 27 फरवरी को अरबाज नाम के आरोपी को पुलिस ने धूमनगंज के नेहरू पार्क जंगल के पास एसओजी और प्रयागराज पुलिस ने ढेर कर दिया। घटना में इस्तेमाल की गई CRETA कार को वही चला रहा था। पहले वह कार में शूटरों को बैठाकर घटनास्थल पर पहुंचा और फिर हमले के बाद सभी को बैठाकर तेजी से भागा। कार अतीक के घर से 200 मीटर दूर खड़ी थी, जिसे बाद में पुलिस ने जब्त कर लिया था।

पहली गोली चलाने वाले का एनकाउंटर

6 मार्च की सुबह करीब 5 बजे पुलिस को सूचना मिली कि उमेश पाल पर पहली गोली चलाने वाला विजय चौधरी उर्फ उस्मान प्रयागराज के कौंधियारा के लालापुर में छिपा है। SOG टीम ने घेराबंदी की। उस्मान ने फायरिंग कर दी। पुलिस का एक जवान घायल हो गया। जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। दो गोली उस्मान को लगी और वह मौके पर ही ढेर हो गया। इसी उस्मान ने उमेश पर पहली गोली चलाई थी।

  • आइए अब एनकाउंटर से जुड़े डेटा और कानून को जानते हैं।

2017 में सीएम योगी की सरकार बनने के बाद कहा जाता है कि क्राइम को कंट्रोल करने के लिए यूपी पुलिस को छूट दी गई। जिसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए। मार्च, 2017 से अब तक पुलिस और अपराधियों के बीच 10,500 से ज्यादा बार मुठभेड़ हुई। इसमें 178 हिस्ट्रीशीटर्स की मौत हुई। साथ ही 12 पुलिसकर्मियों की भी जान गई। 12 में से 8 पुलिसकर्मियों की मौत विकास दुबे वाले मामले में हुई थी। आखिर में आप ये तीन ग्राफिक्स देखिए…

6 साल में 178 हिस्ट्रीशीटर्स का एनकाउंटर

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