4बार सीएम रही माया के गांव में 4काम भी नहीं … 15 साल से नहीं गईं गांव, जो काम उनकी सरकार में हुए, वो अब खंडहर में तब्दील हो गए

यूपी की राजनीति में मायावती एक अहम किरदार हैं। वजह है उनका 4 बार मुख्यमंत्री रहना। यूपी में सबसे ज्यादा 4 बार CM रहने का रिकॉर्ड मायावती के नाम है। उन्होंने CM रहते अपने पैतृक गांव बादलपुर के लिए कई विकास के काम कराए। लेकिन जैसे ही मायावती सीएम पद से हटीं, वैसे ही उनका गांव विकास से दूर होता चला गया। गांववालों की मानें तो पिछले 15 सालों में गांव में पिछली सरकारों ने 4 काम भी नहीं करवाए। चुनावी समर के बीच ‘ ……. टीम ने इस गांव का जायजा लिया।

वर्तमान में स्थिति ये कि मायावती ने जो काम कराए थे, वह खंडहर की शक्ल में अभी भी दिखाई दे जाते हैं। लोगों में इस बात की खुशी है कि मायावती जैसी नेता उनके गांव की बेटी है। लेकिन इस बात से लोग नाराज भी हैं कि जिन्होंने पिछले 15 साल से गांव की तरफ झांका तक नहीं।

गांव में घुसते ही आपको इस तरह गंदगी बिखरी मिलेगी।
गांव में घुसते ही आपको इस तरह गंदगी बिखरी मिलेगी।

सड़कों पर कीचड़, मछली पालन केंद्र बंद, तालाब सूखा
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 40 किलोमीटर दूर गाजियाबाद-बुलंदशहर हाईवे पर बादलपुर पूर्व सीएम मायावती का पैतृक गांव है। सड़कें सीमेंटेड हैं लेकिन पानी से लबालब हैं। नाली और सड़क कहां हैं, पता नहीं चलता। कीचड़ फैला हुआ है। देखने से ऐसा लगता है जैसे काफी समय से नालियों की सफाई ही नहीं हुई हो।

गांव में 200 मीटर घुसते ही दाएं हाथ पर मत्स्य पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र है। 2007 में मायावती सरकार बनने पर यह केंद्र करोड़ों रुपए की लागत से कई बीघा जमीन में बनाया गया। बसपा सरकार के हटते ही इस केंद्र के बुरे दिन शुरू हो गए। बिल्डिंग खंडहर बनती जा रही है। मछली पालन के लिए बना तालाब कई साल से सूखा पड़ा है। यहां के केयरटेकर जगदीश बताते हैं कि पिछली सरकारों ने इस केंद्र पर कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में लोगों का मछली पालन को लेकर रुझान कम हो रहा है।

पशु अस्पताल जर्जर है और ज्यादातर वक्त बंद रहता है।
पशु अस्पताल जर्जर है और ज्यादातर वक्त बंद रहता है।

पशु अस्पताल पर ज्यादातर वक्त ताला
मतस्य पालन केंद्र के ठीक बराबर में पशु अस्पताल है। इसके मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ है। अस्पताल के पड़ोस में रहने वाले दिनेश बताते हैं, ‘साहब ज्यादातर दिनों ऐसा ही रहता है। कभी डॉक्टर आते हैं और कभी नहीं।’ दिनेश कहते हैं, ‘जब हमारी बुआ (मायावती) मुख्यमंत्री थीं तो कमिश्नर और डीएम भी गांव का दौरा करते थे। सब कुछ अच्छा रहता था, लेकिन आज भगवान भरोसे है।’

मायावती की कोठी का गेट देखिए। गेट पर ही गंदगी पड़ी हुई है।
मायावती की कोठी का गेट देखिए। गेट पर ही गंदगी पड़ी हुई है।

2007 में आखिर बार बादलपुर आईं थीं मायावती
भास्कर टीम गांव के बीचोंबीच दलित बस्ती में पहुंची। यहां पूर्व सीएम मायावती का पैतृक घर है जो करीब 40 वर्गमीटर में बना हुआ है। हालांकि, यह घर मायावती ने अपने पड़ोसी को दे दिया था। गांव के लोग बताते हैं कि मायावती की सरकार साल-2007 में बनी थी। इसके कुछ दिन बाद ही वह करतार सिंह नागर के बेटे की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के लिए बादलपुर गांव आखिरी बार आई थीं। इस बात को 15 साल हो गए। इसके बाद से मायावती सीएम रहते पूरे पांच साल अपने पैतृक गांव में नहीं आईं।

मायावती की कोठी के दूसरे गेट पर उपले पाथे जा रहे हैं।
मायावती की कोठी के दूसरे गेट पर उपले पाथे जा रहे हैं।

मायावती की कोठी के चारों तरफ डिवाइडर पर उपले पाथे जा रहे
गांव के बाएं छोर पर मायावती की आलीशान कोठी और कांशीराम पार्क बना है। कोठी के बीचोंबीच बना आलीशान गुंबद दूर से अहसास कराता है कि यह अंदर से कितनी खास होगी। करीब 80 से 100 बीघा जमीन पर फैली इस कोठी के तीन बड़े गेट हैं जो लंबे समय से बंद पड़े हुए हैं। लोहे के इन गेट पर जंग लगने लगा है। गेट पर पड़ा कचरा यह बताता है कि वे लंबे समय से खुले भी नहीं हैं।

कोठी की बाहरी दीवारों पर लाल और काले रंग का पत्थर लगा है। कहा तो यह भी जाता है कि कोठी के भीतर लगने वाला पत्थर इटली से मंगवाया गया था। कोठी और पार्क के चारों तरफ कई किलोमीटर लंबी सर्विस लेन है जो कांशीराम के नाम पर है। सर्विस लेन के बराबर में डिवाइडर बने हुए हैं। इन डिवाइडरों पर आजकल उपले सूख रहे हैं। यह डिवाइडर अब सिर्फ उपले पाथने के काम आते हैं, ऐसा वहां देखकर पता चलता है।

कोठी और पार्क के चारों तरफ लगाई गई लाइटें अब खराब स्थिति में हैं।
कोठी और पार्क के चारों तरफ लगाई गई लाइटें अब खराब स्थिति में हैं।

यूनिपोल की लाइटें अब नहीं जलती
डिवाइडरों पर लगे यूनिपोल की लाइटें खराब हो चुकी हैं, वह अब नहीं जलती। भास्कर टीम को बादलपुर गांव में बनाए गए हेलीपेड के बाहर भी यही स्थिति देखने को मिली। हेलीपैड स्थल गेट के बाहर के सभी डिवाइडर पर हमें उपले सूखते हुए मिले। मायावती ने सीएम रहते अपनी कोठी के चारों तरफ पांच पार्क विकसित कराए थे। ये पार्क भी आज बदहाल स्थिति में हैं। इनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है।

मायावती का सफर इस गांव से शुरू होकर उप्र के शिखर तक पहुंचा।
मायावती का सफर इस गांव से शुरू होकर उप्र के शिखर तक पहुंचा।

मायावती का सफर
15 जनवरी 1956 को गौतमबुद्धनगर जिले के गांव बादलपुर में जन्मीं मायावती ने 1975 में डीयू से स्नातक किया। 1976 में मेरठ विश्वविद्यालय से बीएड और 1983 में डीयू से लॉ किया। 1977 में वह कांशीराम के संपर्क में आईं और फिर पूरी तरह राजनीति में उतर गईं। 1984 में बसपा की स्थापना हुई। 1989 में मायावती बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ीं और पहली बार में जीत दर्ज कराई। 1995 में वह पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 1997, 2002 और 2007 में मुख्यमंत्री चुनी गईं। यूपी में सबसे ज्यादा चार बार सीएम रहने का रिकॉर्ड मायावती के नाम है।

चुनावी सीजन के बीच लोग आजकल चुनावी चर्चा में व्यस्त हैं।
चुनावी सीजन के बीच लोग आजकल चुनावी चर्चा में व्यस्त हैं।

गुर्जर बाहुल्य गांव है बादलपुर
बादलपुर गांव में 85 फीसदी आबादी गुर्जरों की है। बाकी 15 में से 10 फीसदी में दलित हैं। यहां की पोलिंग करीब 3470 है। गांव में सभी राजनीतिक दलों के झंडे लगे हुए हैं, लेकिन मायावती को लेकर खासे नाराज हैं। उसकी वजह सिर्फ गांव की तरफ नहीं आना है। ग्रामीण कहते हैं कि अगर पूर्व सीएम रहते हुए भी मायावती गांव आती रहतीं तो शायद गांव की यह हालत नहीं होती

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