इंसाफ दिलाने वालों से नाइंसाफी…39 न्यायालय और 7 अभियोजक

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इंसाफ दिलाने वालों से नाइंसाफी…38 न्यायालय और 7 अभियोजक

इंसाफ दिलाने वालों से नाइंसाफी…39 न्यायालय और 7 अभियोजक
या
कर्मचारियों के कमी से जूझ रहा न्याय दिलाने वाला विभाग

– प्रदेश में सबसे कम स्टाफ होने के बावजूद कराई 200 करोड़ की संपत्ति जब्त, 500 अपराधी जिला बदर …..

ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद माफिया व अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। माफियाओं की अब तक लगभग 200 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है और 500 से अधिक अपराधियों के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की गई है। कई अपराधियों को कड़ी सजा दिलाई गई है। इसके बावजूद पीड़ितों को इंसाफ और अपराधियों को सजा दिलाने की मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अभियोजन विभाग को कर्मचारियों की कमी से जूझना पड़ रहा है। कमिश्नरेट की 39 न्यायालयों में अभियोजन की जिम्मेदारी यहां तैनात सात अभियोजकों पर है। ये संख्या पड़ोसी जिले गाजियाबाद से लगभग ढाई गुना कम और प्रदेश की अन्य कमिश्नरेट के मुकाबले भी कम है। कई बार शासन को पत्र भेजने के बावजूद अभियोजन विभाग में स्टाफ की कमी की पूर्ति नहीं की गई है।

वर्ष 2020 में गौतमबुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट लागू किया गया था। इसके बाद यहां पुलिस कमिश्नरेट न्यायालयों का संचालन शुरू किया गया। वर्तमान में अभियोजन विभाग पर 14 फौजदारी न्यायालय, 21 पुलिस कमिश्नरेट न्यायालय, चार जिला मजिस्ट्रेट व अपर जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय के अभियोजन की जिम्मेदारी है। कमिश्नरेट न्यायालय लगातार माफिया और गैंगस्टर पर कड़ी कार्रवाई की। भूमाफिया से लेकर नशे के सौदागरों, लुटेरों, शातिर चोर गिरोह पर गैंगस्टर की कार्रवाई कर रही है। इस कार्य में सूरजपुर स्थित अभियोजन विभाग के अधिकारियों ने दिन रात एक कर काम कर रहे हैं। अभियोजन विभाग ने अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए रिपोर्ट तैयार की और साक्ष्य जुटाए। कमिश्नरेट लागू होने के बाद यहां न्यायालय व काम का बोझ़ बढ़ा लेकिन अभियोजकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है। इससे अभियोजन विभाग का कार्य बाधित हो रहा है। केस ट्रायल के काम में परेशानी हो रही है। तैनात अधिकारियों को एक न्यायालय से दूसरी न्यायालय की भागदौड़ में अधिक समय गंवाना पड़ रहा है।

27 थानों मेें 2022 में दर्ज हुए थे 11815 केस

वर्ष 2022 में गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट के 27 थानों में कुल 11815 केस दर्ज हुए थे। इससे यहां अभियोजन विभाग के काम के बोझ का आंकलन किया जा सकता है। अभियोजन विभाग ने शासन को पत्र भेजकर यहां दो ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी जेडी , सात अभियोजन अधिकारी पीओ और 11 सहायक अभियोजन अधिकारी एपीओ की तैनाती की मांग की है।

बाइक बोट के केस में भी मजबूती से रख रहे पक्ष

बाइक बोट के केसों की जांच देश की विभिन्न जांच एजेंसियां कर रही हैं। लेकिन गौतमबुद्ध नगर न्यायालय में केस विचाराधीन होने के कारण अभियोजन विभाग मजबूती से अपना पक्ष रख रहा है। इस मामले के आरोपियों ने दिल्ली आदि शहरों से अपनी पैरवी के लिए वकील रखे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर वकील अंग्रेजी में दलील देते हैं। जबकि अभियोजन विभाग के अधिकांश अधिकारी हिंदी में अपना पक्ष रखते हैं।

प्रदेश के अन्य कमिश्नरेट में तैनात स्टाफ …

जिला जेडी – एसपीओ – पीओ – एपीओ – कुल संख्या

लखनऊ      1 2          13          20                   36

वाराणसी         1 2       9           13                    25

कानपुर            1 2       11         14                   28

गाजियाबाद        1 1       7           8                   17

गौतमबुधनगर      1         2          2                     2 7

पर्याप्त स्टाफ व संसाधनों से बेहतर काम करने का प्रयास किया जा रहा है। अभियोजन विभाग में स्टाफ की कमी के चलते कई बार परेशानी होती है। इसके चलते शासन को इस संबंध में पत्र भेजा जा चुका है। – संयुक्त निदेशक अभियोजन

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