जम्मू-कश्मीर में ये दूसरा सबसे लंबा राष्ट्रपति शासन .!

मतदाता सूची की फिर से जांच, विपक्ष ने कहा- सिर्फ चुनाव टालने का बहाना …

जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की नए सिरे से समीक्षा का आदेश दिया है। एक महीने की मतदाता सूची की विशेष समीक्षा पिछले साल अक्टूबर में पूरी हाे गई थी। अब नए सिरे से जांच करने के आदेश काे लेकर राज्य के राजनीतिक दल भड़क गए हैं।

उनका आरोप है कि सरकार चुनाव को लटकाने के लिए ऐसा कर रही है। नए सिरे से समीक्षा के कार्यक्रम में एक अप्रैल को पात्रता की तारीख माना गया है और 10 मई को आखिरी वोटर लिस्ट प्रकाशित हाेगी। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि चुनाव टालकर भाजपा चुनाव आयोग के फैसले काे प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने कहा कि 2018 से टालमटोल चला आ रहा है। 16 मार्च काे 13 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से चुनाव कराने का आग्रह किया है।

देश में दूसरी सबसे लंबी अवधि का राष्ट्रपति शासन
प्रदेश में परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह मतदाता-सूची में पुनरीक्षण के लिए दूसरा अभियान होगा। दूसरे चरण में मतदाता-सूची में एक अप्रैल 2023 की स्थिति के मुताबिक सुधार किए जा सकेंगे। अंतिम मतदाता-सूची 10 मई को जारी की जाएगी।

इस बीच, केंद्र शासित प्रदेश में चल रहा राष्ट्रपति शासन दूसरी सबसे लंबी अवधि का हो गया है। 19 जनवरी 1990 से 9 अक्टूबर 1996 तक 6 साल 264 दिन तक राष्ट्रपति शासन रहा, जाे देश में सबसे लंबा है। इस बार यह 4 साल 9 महीने 14 दिन (19 जून 2018 से 1 अप्रैल 2023) का हो गया है, जो कि देश में दूसरी सबसे लंबी अवधि है। पिछले महीने तक पंजाब राष्ट्रपति शासन में दूसरे पर था, जो अब तीसरे पर है।

विपक्ष बोला- भाजपा को कवच दे रहा चुनाव आयोग
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘राज्य में चुनाव हुए 8 साल और राज्य में निर्वाचित सरकार काे गए 5 साल हाे चुके हैं। ये साफ है कि भाजपा लाेगाें का सामना करने से डर रही है, लेकिन उसे कवच देने का काम चुनाव आयोग का नहीं है।’ जेके पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के वाइस प्रेसीडेंट बशारत बुखारी ने कहा कि पिछली बार वे खराब माैसम की दुहाई दे रहे थे। अब नया बहाना ला रहे हैं। चुनाव में देरी का मकसद लोगों के अधिकार छीनना है।

चुनाव पर असर नहीं: आयोग
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि 1 अक्टूबर काे पात्रता की तारीख मानते हुए मतदाता सूची की समीक्षा की गई थी, जबकि बाकी देश में 1 अक्टूबर पात्रता की तारीख थी। नए सिरे से जांच की प्रक्रिया मतदाता सूचियों के मामले में बाकी देश के बराबरी पर जाने के लिए है। इससे चुनाव कार्यक्रम प्रभावित नहीं हाेगा।

2014 में आखिरी बार चुनाव, 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बना

  • 19 जून 2018 – भाजपा के समर्थन वापस लेने पर मुफ्ती का इस्तीफा
  • 22 नवंबर 2018 – राज्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग की
  • 4 अगस्त 2019 – राज्य का विभाजन, केंद्र शासित प्रदेश बनाया

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