भोपाल (। हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की सहूलियत के लिए प्रदेश में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की किताबें तैयार की गई हैं। प्रदेश सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है, लेकिन विद्यार्थियों की रुचि हिंदी किताबें पढ़ने में नहीं है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रकाशक की अभी तक एक भी पुस्तक नहीं बिकी है।

ऐसे में अब सरकार ने उससे आठ सौ पुस्तकें खरीदी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ही जीएमसी में विद्यार्थियों को यह पुस्तकें वितरित करेंगे। साथ ही द्वितीय और तृतीय वर्ष की पुस्तकें तैयार करने के संबंध में प्रकाशक के चयन के लिए निविदा जारी की गई है, जिससे आगे ऐसी दिक्कत न आए।

इसके पहले भी एक बार एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की किताबें छापने के लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की तरफ से निविदा जारी की गई थी, पर कोई प्रकाशक सामने नहीं आया था। इसकी वजह यही है कि पुराने प्रकाशक की पुस्तकें नहीं बिकी थीं और न ही शासन की तरफ से खरीदी गई थीं।
अब 800 पुस्तकें शासन द्वारा खरीदने से प्रकाशकों के सामने आने की उम्मीद है। द्वितीय वर्ष में पांच पुस्तक लगती हैं। इसी वर्ष नवंबर से इनकी जरूरत पड़ेगी।
बता दें कि इसके पहले कक्षाओं में भी शिक्षकों ने विभिन्न कालेजों में विद्यार्थियों से हाथ उठवाकर पूछा था कि हिंदी माध्यम से कितने लोग पढ़ना चाहते हैं तो ढाई सौ विद्यार्थियों की कक्षा में दो से तीन विद्यार्थियों ने ही हाथ ऊपर किए थे। इसकी वजह यह कि विद्यार्थियों को इस बात का डर है हिंदी पुस्तकें पढ़ने से वह आगे की डिग्री और शोध आदि के लिए कमजोर न पड़ जाएं। पिछले साल सितंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनाटमी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री की हिंदी पुस्तकों का लोकार्पण किया था।