अरबों खर्च के बावजूद स्मार्ट सिटी का स्वरूप नहीं बना

अरबों खर्च के बावजूद स्मार्ट सिटी का स्वरूप नहीं बनाप्रोजेक्ट की आखिरी तारीख निकट है, लेकिन दावों के अनुरूप आकार नहीं ले सका। अब होगी टैक्स लगाने की तैयारी …

स्मा र्ट सिटी के प्रोजेक्ट में प्रदेश भर में कोई उल्लेखनीय स्वरूप अब तक सामने नहीं आ सका है। इंदौर में खासकर जैसा शुरू होने के पहले बढ़चढ़कर दावा किया गया था, उसका यथार्थ दावों से कौसों दूर है। सात साल में अरबों रुपए आधारभूत ढांचा तैयार करने के नाम पर खर्च कर दिए। कहीं सड़क बनी तो किसी पुराने भवन का रंगरोगन हो गया। लेकिन ठीक-ठीक कोई बता नहीं सकता कि यह है स्मार्ट सिटी, जहां सुविधाओं की भरमार है। प्रोजेक्ट की परिकल्पना से बहुत आगे निकलना तो बहुत दूर की बात है। दावा था कि स्मार्ट सिटी क्षेत्र में रहने वालों को गुणवत्तापूर्ण जिंदगी दी जाएगी। किफायती घर होंगे, जिनमें सभी सुविधाएं होंगी। उन्हें शिक्षा, सुरक्षा, मनोरंजन और खेलों की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। क्षेत्र में अच्छे व आधुनिक सुविधाओं से लैस स्कूल और अस्पताल होंगे। हकीकत में निर्माण की जहां तक बात है यह तो अंधों का हाथी वाली कहावत हो गई। किसी को कान, किसी को पैर तो कोई सूंड महसूस करता है, लेकिन कोई नहीं बता सकता है कि स्मार्ट नाम के हाथी का आकार कैसा है? इसी तरह रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने का भी दावा भी पूरा का पूरा खोखला साबित हुआ है। इस तरह का माहौल बनाया गया था कि यहां रहने वालों को अपने घरों के आसपास ही रोजगार मिल जाएगा। वस्तुत: स्थिति इससे बहुत अलग है। घर के आसपास कामकाज तो दूर स्थानीय युवाओं को शहर में ही रोजगार मिलना मुश्किल है। कौशल की समस्या इसमें गहरे आड़े आ रही है। अब जबकि योजना की समयावधि जून 2023 में पूरी हो रही है, तब सवाल उठता है कि आधी-अधूरी स्मार्ट सिटी का आगे क्या होगा? वहीं अब लोगों को स्मार्ट सिटी एरिया में टैक्स की मार की आशंका भी होने लगी है। इंदौर की बात करें तो अब तक स्मार्ट सिटी के लिए छह हजार करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर दी गई पर एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) क्षेत्र में जो सुविधा देने के वादे किए गए थे, उनमें से कुछ भी ठीक तरह से पूरे नहीं हो पाए हैं। दूसरी ओर विभागीय दावा है कि इंदौर में 246 प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ था, जिनमें से 240 पूरे हो चुके हैं। 26 पर काम चल रहा है। यही हाल प्रदेश की अन्य स्मार्ट सिटी का है। कुछ निर्माण के दौरान बेतरतीबी ने भी लोगों के लिए काफी मुश्किल खड़ी की। कर्ताधताओं को चाहिए कि स्मार्ट सिटी के स्वरूप को बचे हुए समय में ज्यादा से ज्यादा व्यवस्थित किया जाए।

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