हकीकत में गरीबों को वित्तीय प्रबंधन सिखाने की जरूरत है!

अगले दो हफ्ते में उनकी सारी बचत खत्म हो गई। 15 दिन में बन गया उनका एक साथी उन्हें साहूकार के पास ले गया, जो 50 रु. प्रतिदिन के ब्याज पर 500 रु. देने तैयार था, मतलब 3650% ब्याज। राजू को पता था कि वसूली वाले पूरे बाजार में थे और उनकी आंखों से बच निकलना मुश्किल था।

ऐसे में उन्होंने सबसे पहले लोन चुकाने के लिए मुनाफा कमाने पर ध्यान लगाया। सात दिनों में मूलधन चुका दिया और 50 रु. प्रतिदिन का ब्याज भी, जो कि वो रोज वसूलता था। आठवें दिन उन्होंने फिर 500 रु. की पूंजी के साथ बिजनेस शुरू किया। आज राजू के दो बड़े ग्रोसरी वेजिटेबल स्टोर्स और एक बड़ा-सा घर है, उनके बच्चे इंजीनियरिंग कर रहे हैं।

पर पिछले 40 सालों से राजू कई लोगों को ब्याज के दुष्चक्र में फंसा देख रहे हैं, उनके अनुसार साहूकार बैंक जैसे समानांतर इकोनॉमी चला रहे हैं। राजू को पक्का लगता है कि उनके जैसे लोग, जिनके पास बिजनेस का अनुभव नहीं होता, ईमानदारी दिखाने के लिए कागज नहीं होते, उन्हें बैंक सपोर्ट नहीं करता, इसलिए वे साहूकारों के पास जाते हैं।

कुछ ही लोग ऊंचे ब्याज के चंगुल से निकल पाते हैं, जबकि कई ‘ईज़ी लोन ट्रैप’ में धंसते चले जाते हैं। राजू पिछले 20 सालों से अपने होम टाउन के लोगों की बिजनेस शुरू करने में मदद कर रहे हैं, अगर कोई कम समय के लिए शुरुआती पूंजी चाहता है, तो भी वे उनसे कोई चार्ज नहीं लेते। चूंकि वह कई वित्तीय उपाय जानते हैं, ऐसे में कभी-कभी अपने क्रेडिट कार्ड (जो 30 दिन की फ्री क्रेडिट लिमिट देता है) से उनके लिए कच्चा माल खरीद देते हैं, जो नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं।

इस भले-बुद्धिमान सब्जी वाले की कहानी मुझे इस गुरुवार को तब याद आ गई, जब पता चला कि आरबीआई ने अब बैंकों को यूपीआई पर प्री-अप्रूव्ड कर्ज की सहमति दे दी है। इससे पूरे भारत में उपभोक्ता ऋण बाजार में विस्तार की उम्मीद है, जिससे कम क्रेडिट वाले करीब 30 करोड़ यूपीआई यूजर्स को लाभ होगा।

बैंकर्स ने कहा है कि इस नए उत्पाद की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि क्या नए नियम बैंकों को क्रेडिट कार्ड की तरह छोटी अवधि के लोन जैसी स्ट्रक्चरिंग की सुविधा देंगे, जिसमें 30 दिनों के लिए ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा और लेनदेन पर रिवॉर्ड पॉइंट जैसे क्रेडिट कार्ड के सबसे आकर्षक फीचर्स हैं।

क्रेडिट कार्ड ये सुविधाएं दे सकते हैं, क्योंकि वे खरीदारी पर व्यापारी से शुल्क लेते हैं। बैंकर्स अब सोच रहे हैं कि कैसे न्यूनतम ब्याज के साथ इसका इस्तेमाल करें। क्रेडिट लाइन से फंड ट्रांसफर करने की अनुमति बैंकों को क्रेडिट कार्ड जैसी कर्ज संरचना करने में सक्षम बनाएगी।

आलोचक इसे काफी देर से लाई सुविधा कह सकते हैं क्योंकि कई लोग साहूकारों के जाल में फंस चुके हैं, पर मुझे यकीन है कि इकोनॉमी में समानांतर रूप से कर्ज देने वालों को हटाने की दिशा में ये पहला कदम है, इससे समाज के सबसे निचले तबके में जागरूकता फैलेगी, गरीबों में आर्थिक रूप से स्थिरता आएगी। इस बीच हम व्यक्तिगत तौर पर वो करना जारी रखें, जो राजू अपने गांव वालों के लिए कर रहे हैं।

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