पुलिस कस्टडी में अतीक की हत्या के बाद आगे क्या ..!
5 सवालों के जवाब खोजे जाएंगे; क्राइम सीन क्रिएट कर जांच होगी …
प्रयागराज में शनिवार रात अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। पुलिस कस्टडी और कैमरे के सामने हुई इस हत्या की घटना के बाद कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अतीक की हत्या मामले में अब आगे क्या होगा और पुलिस कस्टडी में मर्डर करने पर होता क्या है?
सवाल 1: पुलिस कस्टडी में मर्डर के बाद क्या होता है?
जवाब: पुलिस कस्टडी में भी आरोपी या अपराधियों के कई अधिकार होते हैं। पुलिस कस्टडी में अगर किसी की मौत या हत्या होती है तो उसे लेकर देश में सख्त कानून है। पुलिस कस्टडी में मौत और पुलिस टॉर्चर की जांच और कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC ने एक गाइडलाइन बना रखी है। अतीक की हत्या भी पुलिस कस्टडी में ही की गई है, इसीलिए इस केस की जांच भी इसी तरह से होगी।
इस तरह की किसी घटना के बाद जांच के लिए बिना देर किए एक न्यायिक आयोग बनाया जाता है। अतीक अहमद की हत्या के तुरंत बाद भी ऐसा ही हुआ है। CM योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक कर तीन सदस्यों की एक न्यायिक कमेटी बना दी है। इस कमेटी में शामिल हैं…
1.इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी (कमेटी हेड)
2. रिटायर्ड जिला जज ब्रिजेश कुमार सोनी
3. पूर्व DGP सुबेश कुमार सिंह
सवाल 2: अतीक की हत्या मामले में किन 5 सवालों के जवाब खोजेगी न्यायिक जांच कमेटी?
जवाब: 3 सदस्यों वाली ये कमेटी अतीक और अशरफ की हत्या मामले में इन 5 सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेगी…
- हत्या के वक्त की परिस्थितियां कैसी थीं?
- घटना को अंजाम देने का सीक्वेंस यानी हत्याकांड से जुड़ती कड़ियां क्या हैं?
- हत्या की वजह क्या है?
- हत्या को किसने अंजाम दिया और इसके तार किससे जुड़े हो सकते हैं?
- घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों की क्या भूमिका थी?
सवाल 3: अब कमेटी अतीक हत्या केस की जांच कैसे आगे बढ़ाएगी?
जवाब: अब न्यायिक जांच कमेटी इस केस से जुड़ी हर गुत्थी को सुलझाने के लिए इन 4 तरीकों से जांच को आगे बढ़ा सकती है…
- कमेटी के सदस्य स्पॉट पर विजिट करके वहां से सभी प्राइमरी सबूत इकट्ठा करेंगे।
- क्राइम सीन क्रिएट करके घटना के हर पहलू को जानने की कोशिश होगी।
- अतीक को गोली मारे जाने के वक्त वहां जितने भी लोग मौजूद थे। सभी को बुलाकर उनसे घटना की जानकारी ली जाएगी। इन सभी के बयान को रिकॉर्ड किया जाएगा।
- अतीक के परिवार से मिलकर कमेटी उनके पक्ष को जानेगी। कमेटी ये जानने की कोशिश करेगी कि घटना में पुलिस की भूमिका को लेकर वह क्या सोचते हैं और ऐसा सोचने के पीछे आधार क्या है?
सवाल 4: किन 10 बातों को ध्यान में रखकर जांच कमेटी तैयार करती है फाइनल रिपोर्ट?
जवाब: न्यायिक कमेटी पुलिस कस्टडी में मौत या हत्या के मामले में 8 रिपोर्ट्स और 2 बातों को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार करती है। अतीक और अशरफ की मौत भी पुलिस कस्टडी के दौरान ही हुई है, ऐसे में इस केस में इन बातों को ध्यान में रखकर फाइनल रिपोर्ट तैयार हो सकती है…
- अतीक की हत्या से जुड़ी प्राइमरी रिपोर्ट
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
- विसरा रिपोर्ट
- हेल्थ स्क्रीनिंग रिपोर्ट
- पुलिस की इन्क्वायरी और इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट
- मौके से बरामद हथियार से जुड़ी रिपोर्ट
- फोरेंसिक जांच रिपोर्ट
- फिंगर प्रिंट रिपोर्ट
इसके अलावा हत्या की मुख्य वजह और घटना से जुड़े सभी कानूनी पक्षों को भी ध्यान में रखकर पुलिस इस रिपोर्ट को तैयार करती है।
सवाल 5: अतीक और अशरफ की जिस तरह से हत्या हुई उसको लेकर कानून क्या कहता है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि अगर कोई आरोपी कानूनी तौर पर पुलिस हिरासत या पुलिस रिमांड पर है तो उसके पास भी कई अधिकार होते हैं। जैसे-
1. संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत जीवन जीने का अधिकार।
2. IPC के सेक्शन 330, 331 और CrPC के सेक्शन 41 के तहत पुलिस कस्टडी में सुरक्षा का अधिकार।
पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि उसकी कस्टडी में किसी की मौत या हत्या नहीं हो। इसीलिए पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद तुरंत आरोपी का मेडिकल टेस्ट कराया जाता है। ताकि उसके हेल्थ से जुड़ी सही जानकारी पुलिस के पास हो और उसके साथ कोई हिंसा न हो सके। विराग कहते हैं कि आमतौर पर पुलिस कस्टडी में हत्या के 3 तरह के मामले होते हैं…
1 आपसी रंजिश में हत्या
2 संदिग्ध परिस्थिति में मौत
3. पुलिस के टॉर्चर से मौत
हालांकि अतीक का केस इन तीनों ही तरह के मामलों से अलग है। अदालत के आदेश पर अतीक पुलिस की कस्टडी में था। ऐसे में उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से पुलिस की थी। ज्यूडिशियल कस्टडी में अतीक को मीडिया से बात करने की इजाजत देना और पुलिस सुरक्षा के बीच ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उसकी हत्या करना दोनों जांच के विषय हैं। ये घटना बेहद भयावह है।
कानूनी तौर पर इसमें न्यायिक जांच कराने के बाद दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। ताकि समाज में एक मैसेज जाए और दोबारा इस तरह की घटना ना हो। हालांकि विराग कहते हैं कि ये घटना NHRC की गाइडलाइन से हटकर है, ऐसे में संभव है कि जांच प्रक्रिया में गाइडलाइन से अलग तरीके भी अपनाए जाएं।
सवाल 6: जांच कमेटी की रिपोर्ट खुलेआम गोली चलाकर हत्या करने वालों को सजा दिलाने में कितना सक्षम होगी?
जवाब: इस तरह की जांच कमेटी की रिपोर्ट में जिक्र की गई ये 5 बातें अदालत में आरोपियों को दोषी सिद्ध कराने और सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाती हैं…
- मजिस्ट्रेट स्तर की जांच के बाद रिपोर्ट में सभी पक्षों के बयान रिकॉर्डेड होते हैं।
- इसमें आरोप से जुड़े सभी मुख्य सबूतों का जिक्र होता है।
- इस घटना के वक्त सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी और भूमिका का स्पष्ट जिक्र होता है।
- घटना को अंजाम देने वालों को कानूनी तौर पर क्या सजा मिलनी चाहिए, इसका भी रिपोर्ट में साफ शब्दों में जिक्र होता है।
- भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए कानूनी तौर पर सामने आईं खामियों को दुरुस्त करने और सिस्टम में क्या बदलाव होना चाहिए, रिपोर्ट में इसका साफ और स्पष्ट जिक्र होता है।