मेरठ – माफिया ब्रदर्स शूटआउट के लिए गन सुंदर भाटी ने दी

अतीक-अशरफ के हत्यारों का जिस भाटी गैंग से कनेक्शन, उसकी पूरी कहानी …

अतीक-अशरफ के शूटर्स को गन प्रोवाइड कराने वाले भाटी गैंग के सरगना सुंदर भाटी की है, जो इन दिनों जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है..

प्रयागराज के माफिया ब्रदर्स अतीक-अशरफ के हत्यारों का वेस्ट यूपी के सुंदर भाटी गैंग से कनेक्शन सामने आ रहा है। माना जा रहा है कि अतीक पर गोली चलाने वाला शूटर सनी सुंदर भाटी से जेल में मिला था। भाटी गैंग से ही उसे महंगी जिगाना पिस्टल प्रोवाइड मिली थी। जिसका इस्तेमाल अतीक शूटआउट में हुआ है।

एक वक्त पर नोएडा, दादरी और गाजियाबाद में दहशत फैलाने वाला भाटी गैंग की पूरी कहानी पढिए…

सबसे पहले गैंग के सरगना सुंदर भाटी की कहानी…
स्क्रैप कारोबारी ने बसाई जुर्म की दुनिया
वेस्ट यूपी का बदमाश सुंदर भाटी गैंग का सरगना है। 1993 से पहले सुंदर नोएडा के गांव घंघोला का एक सामान्य स्क्रैप कारोबारी था। ​​​​​गाजियाबाद में कई लोहा फैक्ट्री हैं। ट्रकों से सरिया चोरी करवाकर बाजार में सस्ते दामों पर बेचता था। धीरे-धीरे फैक्ट्रियों के स्क्रैप बिक्री कारोबार पर भी कब्जा कर लिया और कबाड़ के धंधे का माफिया बन गया।

1993 में सुंदर ने किया पहला मर्डर
1993 में सुंदर भाटी ने दनकौर (ग्रेटर नोएडा) के मदन शर्मा का खून कर दिया। ये उसकी जिंदगी का पहला मर्डर था। 2000 के दौर में सुंदर का संपर्क बुलंदशहर के जतन सिरोही से हुआ। जतन तब वेस्ट यूपी का बड़ा बदमाश था। जतन की मदद से कबाड़ का धंधा करने वाला सुंदर रंगदारी, फिरौती, हत्या, जमीन पर कब्जे जैसे काम करने लगा।

अब आपको सुंदर भाटी के सबसे अच्छे दोस्त नरेश भाटी के बारे में भी बताते हैं…
ग्रेटर नोएडा के नरेश से हुई सुंदर की दोस्ती 
हुई।

इसी गिरोह में सुंदर भाटी भी था। नरेश और सुंदर भाटी जल्द ही अच्छे दोस्त बन गए। दिल्ली सहित पश्चिमी यूपी में दोनों ने मिलकर हत्या, लूट और रंगदारी जैसी घटनाएं कीं। नरेश सुंदर की दोस्ती हरियाणा, यूपी, दिल्ली तक मशहूर हो गई। दोनों दोस्त एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। इतना ही नहीं, नरेश भाटी के परिवार वालों की मौत का बदला भी सुंदर ने जान की बाजी लगाकर लिया था।

अब वो मोड़, जिसने दोस्तों को जानी दुश्मन बनाया…
वर्चस्व के चलते दुश्मनी में बदली दोस्ती
नरेश, सुंदर जितने गहरे दोस्त थी उतनी दुश्मनी हो गई। सतबीर गुर्जर के गिरोह में रहते हुए दोनों की दोस्ती ज्यादा नहीं चली। सुंदर भाटी सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था। ऐसी ही मंशा नरेश भाटी की थी। दूसरी ओर नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहता था। जबकि सुंदर भाटी ने खुद चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, इसके लिए उसने नरेश से चुनाव न लड़ने की बात भी कही, लेकिन दोस्ती में दरार की एक ये भी बड़ी वजह बन गई। दोनों के बीच गैंगवार शुरू हो गई। इसी गैंगवार में ट्रक यूनियन के दो अध्यक्षों की हत्या भी हो गई। दूसरी ओर नरेश भाटी ने जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत गया। इसके बाद नरेश और सुंदर ने विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली। दोनों आमने-सामने मैदान में थे, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए। चुनावी हार-जीत के इस खेल में दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए।

नरेश के ओहदे से जलने लगा, सुंदर हमला कर दिया
नरेश-सुंदर के बीच पहली गैंगवार 2003 में हुई। जब नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष बन चुका था। वह लालबत्ती में घूमता था। उसके साथ गनर भी रहता था। बावजूद इसके 2003 में सुंदर भाटी ने मेरठ में नरेश भाटी पर हमला बोल दिया। हमले में नरेश का गनर और ड्राइवर मारे गए, जबकि खुद नरेश वहां से बचकर भाग निकला। मार्च 2004 में एक बार फिर सुंदर ने घंघौला पुलिया के पास नरेश की गाड़ी को घेरकर गोलियों से भून दिया। मौके पर ही नरेश भाटी की मौत हो गई। साथ में उसके दो और साथी भी मारे गए।

नरेश के भाई रणपाल ने संभाली गैंग की कमान
2004 में नरेश का मर्डर होते ही उसके भाई रणपाल भाटी ने गैंग की कमान संभाल ली। सबसे पहले रणपाल ने सुंदर भाटी के भाई प्रताप पटवारी सहित तीन लोगों की हत्या कर भाई नरेश की मौत का बदला लिया। 2006 में पुलिस ने रणपाल का एनकाउंटर कर दिया। रणपाल के एनकाउंटर के बाद नरेश का सबसे छोटा भाई रणदीप गैंग को संभालने के लिए आगे आ गया। वहीं उसका साथ देने के लिए नरेश का भांजा अमित कसाना भी गैंग में ही शामिल हो गया। शॉर्प शूटर अनिल दुजाना भी गैंग में शामिल हो गया। गैंगवार में एक-दूसरे गैंग ने 50 से अधिक बदमाश मारे जा चुके हैं।

साले की शादी में सुंदर भाटी पर किया हमला
नरेश भाटी की मौत व रणपाल के एनकाउंटर के बाद रणदीप ओर उनका भांजा अमित कसाना भी मामा की मौत का बदला लेने को भटक रहा था। रणदीप को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 2013 में नरेश गिरोह के नंदू की पेशी पर लाते वक्त हत्या कर दी गई। 18 नवंबर 2011 को गाजियाबाद के एक बैंक्वेट हॉल में सुंदर भाटी अपने साले की शादी में शामिल होने आया। अमित कसाना बैंक्वेट हॉल पहुंच गया। सुंदर भाटी को निशाना बनाते हुए गोलीबारी शुरू कर दी सुंदर वहां से भाग गया लेकिन इस गैंगवार में तीन लोग मारे गए।

महाराजगंज जेल में बंद कुख्यात, 42 मुकदमे दर्ज
भाटी गैंग का ये सरगना आजकल यूपी के महाराजगंज जेल में बंद है। गौतमबुद्ध नगर जिले में सुंदर भाटी का गैंग D–11 नंबर पर दर्ज है। भाटी गैंग पर लूट, हत्या, रंगदारी सहित 42 मुकदमें दर्ज हैं। जिसमें गौतमबुद्ध नगर जिले में 27, हरियाणा में 7, बुलंदशहर में 5, मेरठ में 1 और गाजियाबाद में 2 मुकदमें दर्ज हैं।

नोएडा पुलिस ने सुंदर भाटी को आखिरी बार दिसंबर 2014 में घंघोला गांव से गिरफ्तार किया था। नोएडा पुलिस का दावा है कि पिछले 2 साल में सुंदर भाटी गैंग की करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क हुई है। गैंग के घुटने टूट चुके हैं और अब वो पहले जितना सक्रिय नहीं हैं। गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय ने हरेंद्र प्रधान हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद से वह जेल में है।

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