भोपाल : जिन पर बड़े तालाब के संरक्षण की जिम्मेदारी, कैचमेंट क्षेत्र में वही करा रहे अतिक्रमण
जिन पर बड़े तालाब के संरक्षण की जिम्मेदारी, कैचमेंट क्षेत्र में वही करा रहे अतिक्रमण
भोपाल । शहर की जीवन रेखा कहा जाने वाले बड़ा तालाब प्रशासनिक उदासीनता की वजह से सिकुड़ता जा रहा है। जिन पर बड़े तालाब के संरक्षण की जिम्मेदारी है, वहीं इसके कैचमेंट क्षेत्र में अतिक्रमण करवा रहे हैं। ताजा मामला सीहोर नाके के पास बड़े तालाब के कैचमेंट क्षेत्र में सब्जी मंडी और आवासीय परियोजना के निर्माण से जुड़ा है। जहां नगर निगम के अधिकारी ही बड़े तालाब को खत्म करने में आमादा हैं।
बता दें कि बड़े तालाब के कैचमेंट क्षेत्र में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी, नेता, व्यापारी व रसूखदारों ने बड़ी संख्या में अवैध निर्माण किया है। इनको बचाने के लिए मप्र की वैटलैंड अथारिटी ने बड़े तालाब के संबंध में सरकारी दस्तावेज से कैचमेंट एरिया शब्द ही हटा दिया। ताकि बैरागढ़, सूरजनगर और खानूगांव में हुए अवैध निर्माण और अतिक्रमण वैध हो जाए। लेकिन अब यहां नगर निगम ने भी कैचमेंट क्षेत्र में निर्माण शुरु कर दिया है। पहले बैरागढ़ में बस डिपो बनाया गया। फिर बैरागढ़ के अंदर बनी सब्जीमंडी की शिफ्टिंग सीहोर नाके के पास कैचमेंट क्षेत्र में की गई। अब यहां नगर निगम द्वारा आवासीय परियोजना का निर्माण कराया जा रहा है।
खानूगांव में टूरिज्म डिपार्टमेंट द्वारा बड़े तालाब की 10 हजार स्क्वायर फीट नमभूमि में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का निर्माण किया जा रहा है। जबकि यह झील का वेटलैंड क्षेत्र है। इस निर्माण के लिए न वेटलैंड अथारिटी से अनुमति ली गई न ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से एनओसी ली गई है। नगर निगम झील संरक्षण प्रकोष्ठ ने भी कोई अनुमति जारी नहीं की। हालांकि इस मामले में पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे की एनजीटी में लगाई याचिका के बाद को रोक दिया गया है।
राजा भोज ने 11वीं सदी में कराया था निर्माण
बड़े तालाब का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज ने करवाया था। बेहद प्राचीन और जनउपयोगी इस जलाशय का इतिहास अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों से भरा हुआ है। उपलब्ध ऐतहासिक अभिलेखों के आधार पर यह माना जाता है कि धार प्रदेश के प्रसिद्ध परमार राजा भोज एक असाध्य चर्मरोग से पीड़ित हो गए थे। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि वे 365 स्त्रोतों वाला एक विशाल जलाशय बनाकर उसमें स्नान करें। इसके बाद बड़े तालाब का निर्माण हुआ।
इस तरह खत्म किया जा रहा तालाब
पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे ने बताया कि बड़े तालाब का जल भराव क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर है। जबकि इसके पहले तक बड़े तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 26 गांव तक फैला था। इन्हीं 26 गांव के आसपास के इलाके से बारिश के समय पानी बड़े तालाब तक पहुंचता है। कैचमेंट खत्म होने से नीलबड़—रातीबड़ तक का क्षेत्र फ्री होल्ड हो गया। सब कुछ वैध हो जाएगा। न कोई ग्रीन बेल्ट, न कोई बाटनीकल गार्डन और न ही कोई लो डेंसिटी एरिया जैसी निर्माण संबंधी बंदिशे। कैचमेंट पर निर्माण की खुली छूट का अर्थ यह भी है कि आने वाले समय में बड़े तालाब में पानी नहीं पहुंचेगा, जिससे जलस्तर घटता चला जाएगा।
इनका कहना
बड़े तालाब के सरंक्षण को लेकर नगर निगम सारे प्रयास कर रहा है। सीहोर नाके के पास जहां आवासीय परियाजना का निर्माण किया जा रहा है, वह क्षेत्र कैचमेंट से अलग है। फिर भी अधिकारियों से जांच कराएंगे।
– केवीएस चौधरी, आयुक्त नगर निगम