हमीदिया अस्पताल : बर्न केस में 60% महिला मरीज घाव के कारण बिना कपड़ों के रहना मजबूरी सिर्फ .. पुरुष ड्रेसर .

हमीदिया अस्पताल…बर्न केस में 60% महिला मरीज:घाव के कारण बिना कपड़ों के रहना मजबूरी, 12 साल से उनकी ड्रेसिंग के लिए सिर्फ पुरुष ड्रेसर

तस्वीर बर्न वॉर्ड की… ऐसे बिस्तर में रहते हैं मरीज ताकि कपड़ा शरीर से छू न जाए …

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया का बर्न वॉर्ड। यहां महिला मरीज भी हैं और पुरुष भी। फिलहाल यहां 7 मरीज भर्ती थे, उनमें 4 महिलाएं हैं। डॉक्टर कहते हैं 40-45 मरीज हर महीने इस वॉर्ड में भर्ती होते हैं। इनमें से 25 महिलाएं होती हैं, जो कि 60% है। वैसे महिला और पुरुषों को अलग-अलग वॉर्ड में रखा जाता है। लेकिन इनकी ड्रेसिंग करने का जिम्मा इकलौते पुरुष ड्रेसर का है। वजह, 12 साल से खाली पड़ी महिला ड्रेसर की पोस्ट पर भर्ती ही नहीं हो रही है।

टेंट के आकार के कपड़े वाले कवर हर बिस्तर पर लगे हैं। ताकि कपड़ा शरीर से छू न जाए। कई बार घाव ऐसी जगह होते हैं कि उन्हें पूरे वक्त बिना कपड़ों के रहना पड़ता है। दिन में कम से कम दो बार उनके घावों की ड्रेसिंग होती है। आए दिन यहां महिलाएं शिकायत करती हैं – मैं पुरुष से ड्रेसिंग नहीं करवाऊंगी, किसी महिला को बुला दो। हर महीने कम से कम 4 से 5 शिकायतें भी होती हैं। लेकिन क्योंकि इन शिकायतों का कोई रिकॉर्ड नहीं इसलिए इनकी सुनने वाला भी कोई नहीं। बर्न यूनिट के स्टाफ के मुताबिक पिछले दिनों पुराने शहर से आई महिला मरीज के परिजनों ने इस बात पर खूब बवाल किया था। मामले की शिकायत एक विधायक से भी की थी और उन्होंने आपत्ति जताई थी।

दिन में कम से कम दो बार होती है ड्रेसिंग

बर्न केस में मरीजों को बिना कपड़ों के ही रखा जाता है। बेड के ऊपर टेंट जैसा गोल फ्रेम होता है, जिस पर कपड़ा डालकर मरीजों को ढंका जाता है। भर्ती मरीज की रोज दो बार ड्रेसिंग की जाती है। जितनी बार भी ड्रेसिंग की जाती है, बेड पर लगे फ्रेम पर डाला गया कपड़ा उठाया जाता है। तब मरीज चाहे महिला हो या फिर पुरुष, वह बिना कपड़ों के होता है। हालांकि महिला मरीज पुरुष ड्रेसर से जब ड्रेसिंग करवाती है तब एक महिला कर्मचारी को भी साथ में रखा जाता है। यह महिला सफाई कर्मचारी होती है।

पांच साल से पद है लेकिन नियुक्ति नहीं

ऐसा नहीं है कि बर्न यूनिट में कभी महिला ड्रेसर नहीं रही। करीब 12 साल पहले तक यहां हर्षा नाम की महिला ड्रेसर पदस्थ थीं। कैंसर के कारण उनकी मौत होने के बाद अब सभी मरीजों की ड्रेसिंग का जिम्मा पुरुष ड्रेसर केशलाल बैगा का है। हालांकि 2018 में ही महिला ड्रेसर का पद स्वीकृत हो चुका है। लेकिन पांच साल बाद भी इस पर भर्ती नहीं की है।

खाली पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। किन-किन पदों पर भर्ती होनी है, इसकी जानकारी कर्मचारी चयन मंडल को भेज दी गई है। जल्द ही महिला ड्रेसर की पोस्टिंग भी हो जाएगी।

 डीन, जीएमसी

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