ग्वालियर  डकैतों की शरणास्थली कही जाने वाली चंबल की घाटी सैर सपाटे के लिए तैयार है। इस लोकेशन पर सैर करने के लिए देशी ही नहीं विदेशी सैलानी आतुर बैठे हैं। पान सिंह तोमर, निर्भय सिंह गुज्जर और फूलन देवी की गढ़ कही जाने वाली घाटी में चंबल सफारी का श्रीगणेश हो चुका है।

 दल गत रोज बिना किसी खौफ के इस सफारी का हिस्सा बन ग्वालियर लौट चुका है। इस यात्रा को शान बनाने के लिए ग्वालियराइट्स अपनी-अपनी थार से यहां पहुंचे। मोटे-मोटे टायरों से हवा में उड़ते धूल के गुबार एक सुखद यात्रा के प्रतीक बन रहे थे। इस पूरे इवेंट को कोआर्डिनेट जय खांडे ने किया, जिन्होंने इस ट्रिप को थार बीहड़ सफारी नाम दिया। बड़ी बात तो यह इस ट्रिप में ग्वालियर के नहीं दिल्ली, मुंबई तक के सदस्यों ने भाग लिया। लंबे समय के बाद बीहड़ों में पहुंचे सैलानियों को देख स्थानीय रहवासियों को रोजगार की उम्मीद जागीं। उन्होंने इन मेहमानों का भारतीय परंपरानुसार स्वागत किया। चंबल सफारी करने के लिए पहुंचे सैलानियों ने ऊंट की सवारी की और चारपाई पर बैठकर भोजन किया।

गोवा से भी ज्यादा खूबसूरत

चंबल सफारी की यात्रा करने वाले शहरवासियों ने बातों ही बातों में बताया चंबल की घाटी उन्हें गोवा से भी अधिक खूबसूरत नजर आई। निश्चित तौर पर यह स्थल बड़ा पर्यटन हब बनकर उभरेगा, लेकिन यहां अकेला नहीं पहुंचा जा सकता है। गाइड साथ न होने से सैलानी चंबल की घाटी में भटक सकता है।

फूल बरसाकर किया स्वागत

झुंडपुरा क्षेत्र के कड़ावना गांव किनारे ग्रामीण, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने फूल बरसाकर सैलानियों का स्वागत किया। यहां से कई किलोमीटर दूर तक बीहड़ के संकरे रास्तों पर गाड़ियों से सफर करके सैलानियों ने राेमांचित सफर कर बीहड़ों को पहली बार इतनी नजदीक से देखा। चंबल नदी के रेतीले किनारों पर खटिया बिछाई गईं। दोपहर के समय खाने में दाल, बाटी, चूरमा जैसे देसी व्यंजन रखे गए।

चंबल की सैर करने के लिए यह किया है त

जय खांडे ने बताया कि सैलानियों को चंबल की सैर कराने के लिए स्थानीय महिलाओं के ग्रुप तैयार कर दिए हैं, जिन्होंने आने वाले समय टूरिस्ट गाइड के रूप में ट्रेंड किया जाएगा। यहां सैर करने वाले सैलानी वेबसाइट पर जाकर आनलाइन बुकिंग कर सकेंगे। बुकिंग का प्लेटफार्म तय करने के लिए प्रशासन से बात की जा रही है। शुल्क तय कर दिया गया है। चंबल बीहड़ सफारी के लिए एक हजार रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क देना होगा। इस राशि में समय के अनुसार परिवर्तन भी किया जा सकता है।

अभी एजेंसी के हाथ बात

गोडिंगा ट्रिप एजेंसी को सैलानियों को ट्रिप कराने की जिम्मेदारी दी गई है। सिंगल या दो सैलानियों को ट्रिप नहीं कराई जा सकती है, कम से कम 15 से 20 सैलानियों का ग्रुप होना चाहिए। जो तारीख अलॉट की जाएगी, उस दिन मुरैना पहुंचना होगा।

इस तरह पहुंच सकते हैं चंबल सफारी

मुरैना तक रेलवे व बस के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। अगर सैलानी ट्रेन से आते हैं, तो मुरैना रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। स्टेशन से सात किलोमीटर दूर मुरैना-धौलपुर हाइवे पर होटल इंद्रलोक ई रिक्शा या कार से पहुंचना होगा। जो पर्यटक आगरा या ग्वालियर से बस से आएंगे, वे सीधे होटल इंद्रलोक के बाहर ही उतर सकते हैं। ग्वालियर से मुरैना की दूरी 40 किमी और आगरा 80 किमी है।

होटल इंद्रलोक में यूटिलिटी की व्यवस्था

होटल से सफारी शुरू होगी, गाड़ी, लंच की व्यवस्था एजेंसी होटल इंद्रलोक में कराएगी। एजेंसी के कर्मचारी सैलानियों को थार गाड़ियों से चंबल नदी के भर्रा घाट पर ले जाएंगे। यह सफर कुल 60 किमी का रहेगा। भर्रा घाट पर लंच की व्यवस्था रहेगी। उसके बाद शाम को वापस होटल लाया जाएगा। वहां से पर्यटक वापस जा सकेंगे। यदि किसी पर्यटक को होटल में स्टे करना होगा, तो उसके लिए होटल से संपर्क कर पहले से बुकिंग करना होगी। इसका शुल्क अलग रहेगा। ऊंट गाड़ी की सवारी करने का शुल्क अलग से देना होगा। आगरा से चंबल सफारी की दूरी 140 किलोमीटर है। ग्वालियर से 100 किलोमीटर और मुरैना से 60 किलोमीटर है।