मध्यप्रदेश : रडार पर क्यों आए मदरसे ..?

सरकार के पास 1066 मदरसों का रिकॉर्ड नहीं … कहां से हो रही फंडिंग, हर जिले के DEO बनाएंगे कुंडली

मध्यप्रदेश में कुछ महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले सरकार मदरसों की जांच करने जा रही है। दरअसल, सरकार के पास प्रदेश के 1066 से अधिक मदरसों का कोई रिकाॅर्ड नहीं है। अब पता लगाया जा रहा है कि इन मदरसों को कौन संचालित कर रहा है और आर्थिक मदद कहां से मिल रही है?

मध्यप्रदेश में 2689 मदरसे रजिस्टर्ड हैं। सरकार इनमें से 1623 को अनुदान दे रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस अधिकारियों की बैठक में कहा था कि मदरसों में कट्टरता और अतिवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि ऐसे मदरसों का रिव्यू किया जाएगा। अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

  रडार पर क्यों आए मदरसे

दैनिक भास्कर ने इस सवाल का जवाब तलाशने का प्रयास किया कि आखिर मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी। आखिर सरकार के पास ऐसा क्या इनपुट है, जिसकी वजह से मदरसे रडार पर आ गए।

इस बारे में स्कूल शिक्षा मंत्री और मप्र मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इंदर सिंह परमार से बात की तो उन्होंने बताया कि मप्र में 900 से अधिक मदरसे ऐसे हैं, जिनका रिकॉर्ड न तो शिक्षा विभाग के पास है और न ही मदरसा बोर्ड के पास। सरकार अब मदरसों का व्यापक सर्वे करा रही है। मप्र में मदरसे स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन आते हैं। उनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हैं, जिसके आधार पर यहां तालीम ले रहे बच्चों का रिकाॅर्ड रखा जाता है।

नियम विरुद्ध संचालित हो रहे मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

परमार ने आगे कहा कि मप्र में अनुदान प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की संख्या 1 लाख से अधिक हैं, लेकिन हम पता लगाना चाहते हैं कि जिन मदरसों का सरकार के पास कोई रिकाॅर्ड नहीं है, वहां कितने बच्चे पढ़ रहे हैं? उन्हें तालीम देने वालों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जाएगा। हमने डीईओ को निर्देशित किया है कि सभी मदरसों के दस्तावेज की जांच की जाए। जो मदरसे नियम विरुद्ध संचालित होते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

दैनिक भास्कर ने शिक्षा विभाग से वह सूची हासिल की, जिसमें उन मदरसों के नाम हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं और न ही इनके बारे में सरकार के पास डिटेल जानकारी है। इस सूची में ऐसे मदरसों की संख्या 1066 है।

मध्यप्रदेश में यूपी पैटर्न पर मदरसों का सर्वे

मध्यप्रदेश में भी अब यूपी पैटर्न पर मदरसों का सर्वे होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 अप्रैल को उच्चाधिकारियों को संबंधित निर्देश दिए थे। तकरीबन 1 साल पहले भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सभी सरकारी सहायता प्राप्त और निजी मदरसों का सर्वे करने के निर्देश दिए थे। बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।

सख्ती इसलिए कि हिंदू बच्चों को मदरसों में जोड़ा, दूसरे राज्यों से लेकर आए

मदरसों को लेकर हमेशा शिकायतें मिलती रही हैं। पिछले साल अक्टूबर में मप्र बाल आयोग ने विदिशा में मदरसा मरियम का निरीक्षण किया था। वहां 37 बच्चों में से 21 हिंदू और 5 आदिवासी थे। 5 शिक्षकों में से किसी के पास यूजी-पीजी या बीएड की डिग्री नहीं थी। इसके अलावा पिछले साल जून में भोपाल के दो मदरसों में बिहार से लाए गए बच्चे मिले थे।

भोपाल के अशोका गार्डन और नारियलखेड़ा में चल रहे दो अवैध मदरसों को बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बंद कराया था। कुछ महीनों पहले बाणगंगा में चल रहे दो मदरसों में दूसरे राज्यों से बच्चे लाकर रखने की शिकायत भी मिली थी। दतिया के अरबिया मदरसे में 26 हिंदू बच्चे इस्लामिक शिक्षा लेते मिले थे। बता दें, अल्पसंख्यकों को केंद्र की मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप मिलती है।

आदिवासी बाहुल्य तीन जिलों में 10 ऐसे मदरसे, जहां बच्चे नहीं पढ़ते

मदरसा बोर्ड के मुताबिक, आदिवासी बाहुल्य मंडला, उमरिया और डिंडौरी जिले में 10 मदरसे ऐसे संचालित हो रहे हैं, जहां एक भी बच्चा पढ़ाई नहीं कर रहा है। ऐसे उमरिया में 7, डिंडौरी में 2 और मंडला में एक मदरसा है। अब इन जिलों के डीईओ इन मदरसों की जांच कर रहे हैं।

मदरसों की मैपिंग के लिए लिखा पत्र

बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक 3 तरह के मदरसे देश में चल रहे हैं। पहले- मान्यता प्राप्त या प्रक्रिया वाले। दूसरे- वो जिनसे प्रशासन का संपर्क नहीं हुआ। तीसरी कैटेगरी में वो संस्थान हैं, जिनमें औरंगजेब के जमाने की शिक्षा दी जा रही है। आयोग ने एमपी सरकार को पिछले साल पत्र लिखकर निजी तौर पर संचालित मदरसों की मैपिंग के निर्देश दिए थे।

 आयोग ने उठाए मदरसों की फंडिंग पर सवाल

मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष दविंद्र मोरे ने बताया कि जांच में कई मदरसे अवैध रूप से संचालित पाए गए हैं। इस मामले में बाल आयोग ने एमपी मदरसा बोर्ड को पत्र लिखा है। इसमें मदरसा संचालकों से पूछा है कि इन्हें चलाने के लिए फंड कहां से मिलता है।

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