जबलपुर  : जबलपुर विकास प्राधिकरण में प्रशासक व तेंदूखेड़ा एसडीएम रहे राजेंद्र राय समेत दो लोगों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज की है। मुंबई निवासी एक महिला की निजी स्वामित्व की जमीन हड़पकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से दो करोड़ रुपये से ज्यादा मुआवजा हड़पने के मामले में यह कार्रवाई की गई है। वर्ष-2016 में हुई धोखाधड़ी की जांच 2020 में नरसिंहपुर के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा कराई गई थी। कूटरचित दस्तावेजों पर किसी और की जमीन हड़पकर मुआवजा राशि वितरण में गोलमाल की हकीकत उजागर होने के बाद नरसिंहपुर कलेक्टर ने ईओडब्ल्यू के महानिदेशक से पत्राचार कर कार्रवाई की सिफारिश की थी।

यह है पूरा मामला ….

आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू जबलपुर इकाई के अधिकारियों ने बताया कि मुंबई निवासी मिथिलेश गुप्ता की तेंदूखेड़ा में निजी स्वामित्व की 7.30 एकड़ जमीन है। राइट टाउन जबलपुर निवासी प्रशांत पाठक ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर उक्त भूमि अपने नाम पर दर्ज करा ली थी। जमीन का कुछ हिस्से का राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण किया गया था। जमीन अधिग्रहण के बदले फर्जी भूस्वामी प्रशांत पाठक ने प्राधिकरण से मिली दो करोड़ 12 हजार 500 रुपये की मुआवजा राशि हड़प ली थी।

शिकायत होने पर नरसिंहपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे। तेंदूखेड़ा एसडीएम द्वारा की गई जांच में पाया गया कि अधिग्रहित जमीन की मूल भूस्वामी मिथिलेश गुप्ता थीं। इसके बाद भी प्रशांत पाठक ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर तत्कालीन तेंदूखेड़ा एसडीएम राजेंद्र राय के साथ मिलीभगत कर सर्वप्रथम उस भूमि पर बतौर भूस्वामी अपना नाम दर्ज कराया, फिर उस जमीन पर संपूर्ण मुआवजा राशि प्राप्त कर ली।

इन धाराओं के तहत एफआइआर 

मुख्यालय के निर्देश पर ईओडब्ल्यू निरीक्षक विशाखा तिवारी ने मामले की जांच की। करोड़ों की धोखाधड़ी के प्रमाण मिलने पर एसडीएम रहे राजेंद्र राय, प्रशांत पाठक के खिलाफ धारा 406, 409, 420, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के अंतर्गत एफआइआर दर्ज की गई।