मार्केटिंग का प्रभावशाली करतब भी है चैटजीपीटी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: ओपनएआइ सर्विस की सफलता की महत्त्वपूर्ण वजह है इसका मजबूत तकनीकी पक्ष
चैटजीपीटी के रूप में दुनिया को वह नाम मिला जिसकी न तो मार्केट में कोई परीक्षा हुई थी, न ही जो किसी विज्ञापन स्लोगन में आवश्यक रूप से फिट बैठता था। इसकी ताकत इसके इंजीनियर हैं न कि उत्पाद प्रबंधक।
अक्सर कहा जाता है कि चैटजीपीटी अब तक का सबसे तेजी से अपनाया जाने वाला उपभोक्ता उत्पाद बन गया है। तकनीकी क्षमता से इतर चैटजीपीटी की सफलता मार्केटिंग का प्रभावशाली कारनामा भी है। उम्मीद है कि यह आंदोलनों की नई लहर की शुरुआत करेगा, जो प्रामाणिकता पर आधारित हो। चैटजीपीटी नवंबर माह में प्रायोगिक तौर पर लांच किया गया था, न कि किसी सोचे समझे अभियान के तौर पर। चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआइ ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा कि यह सेवा इस तेजी के साथ अपना ली जाएगी, जैसा कि हुआ। इसके पीछे इसे बनाने वाले इंजीनियरों की ताकत थी न कि उत्पाद प्रबंधकों की। इसे पूरी तरह यों तैयार नहीं किया गया था कि ये वफादारी या संबद्धता की भावना जगा सके। नाम को ही ले लीजिए, चैटजीपीटी। कई सफल टेक उत्पादों के नाम याद रह जाने वाले हैं, जैसे इंस्टाग्राम, रॉबलॉक्स और टिकटॉक।
हो सकता है यह नाम किसी विचार-विमर्श सत्र के दौरान किसी ने सुझाया हो और फिर विश्व भर में यही नाम लोकप्रिय हो गया हो। तकदीर से यह नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया। जैसा कि नाम से स्पष्ट है चैटजीपीटी, इसका कोई तुलनात्मक सरल इतिहास नहीं है। मूलत: यह सेवा जीपीटी-2, जीपीटी-3 और जीपीटी-3.5 नामों से आई और फिर नवंबर में चैटजीपीटी की घोषणा हुई। चैटजीपीटी 3.5 परेशानी की वजह था और तभी से इसके संख्यात्मक रूप से लुप्त होने का जोखिम था। और केवल चैटजीपीटी नाम लोकप्रिय हो गया। जब मार्च में जीपीटी-4 जारी किया गया तो ऐसा हो सकता था कि उसे केवल जीपीटी-4 कहा जाए और चैटजीपीटी को 3.5 से संबद्ध अंतरिम ब्रांड माना जाए पर इसे चैटजीपीटी ही कहा गया। मैं अब भी इसे जीपीटी-4 कहना चाहूंगा ताकि स्पष्ट कर सकूं कि मैं इस सेवा का कौन-सा संस्करण इस्तेमाल कर रहा हूं। जीपीटी 3.5 निशुल्क उपलब्ध है और व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों को लेकर कोई असमंजस की स्थिति नहीं होनी चाहिए। इसकी कंपनी को छोड़कर तकरीबन सभी इसको चैटजीपीटी कहते हैं। हां, यह कोई पाठ्यपुस्तक वाली मार्केटिंग नहीं है लेकिन यूजर्स को इससे कोई दिक्कत नहीं है।
सवाल यह है कि चैटजीपीटी किसके लिए प्रयुक्त हुआ है। यह ‘जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर’ है। इसके कितने यूजर आपको ऐसा कह सकते हैं? और कितने ऐसे हैं जो यह समझा सकते हैं कि इसका अर्थ क्या है? मैं कल्पना कर सकता हूं कि एक कॉन्फ्रेंस टेबल के चारों ओर एक मार्केटिंग टीम बैठी है और उसका मानना है कि जीपीटी अत्यधिक अस्पष्ट है और काम नहीं आने वाला। पर ओपनएआइ में सॉफ्टवेयर इंजीनियर और न्यूरल नेट (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वह प्रक्रिया, जिसके तहत कंप्यूटरों को प्रशिक्षित किया जाता है कि वे मानव मस्तिष्क की भांति डेटा प्रोसेस करें) विशेषज्ञों का प्रभुत्व रहता है। तो इस तरह दुनिया को एक नाम मिला जिसकी न तो मार्केट में कोई परीक्षा हुई थी, जो न ही किसी विज्ञापन स्लोगन में आवश्यक रूप से फिट बैठता था। संभव है इस नाम को इतना पसंद किए जाने की वजह यह हो कि लोग बहुत हद तक मार्केटिंग करने वालों द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था से तंग आ चुके हैं। मुझे माइक्रोसॉफ्ट के कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के शुरुआती संस्करण एमएस-डॉस की याद आती है। यह कंप्यूटर मशीन में साथ ही आता था पर यह कोई कंज्यूमर उत्पाद नहीं था, जैसे कि कोका कोला एक उत्पाद है। एमएस-डॉस भी एक इंजीनियरिंग का ही शब्द था, जैसे कि जीपीटी है। अगर उत्पाद का तकनीकी पक्ष बेहद मजबूत हो तो इंजीनियरिंग शब्दावली मार्केटिंग का अच्छा तरीका साबित हो सकती है। उत्पाद विखंडीकरण, चैटजीपीटी के इतिहास का एक और फीचर है और लगता नहीं कि इससे इसकी लोकप्रियता पर कोई असर पड़ता है। बीते कई महीनों में कई उत्पाद जारी हुए हैं, जैसे जीपीटी-3.5, जीपीटी-4, बिंग चैट (अब जीपीटी-4 के साथ, लेकिन कुछ समय पहले तक 3.5 के साथ था), जीपीटी प्लस (पेड सर्विस), जीपीटी का एपीआइ वर्जन (जो खास तौर पर उपयोगी फीडबैक देने वाले यूजर्स के लिए उपलब्ध है), ‘जीपीटी प्लस विद सर्च’ (चरणबद्ध रूप से आने वाला) और अब स्मार्टफोन्स के लिए चैटजीपीटी एप।
अगर आप पेड यूजर हैं तो एप ज्यादा सशक्त है और इसके आइफोन वर्जन में व्हिस्पर (वॉइस रिकॉग्निशन) फीचर भी है, जो कि अन्य जीपीटी में नहीं है। विभिन्न सेवाओं में उपयोगकर्ताओं और कतार में रहने वाले लोगों की संख्या संबंधी सीमाएं हैं और जाहिर है कि समय के साथ इन सेवाओं का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ रही है। यह सब कुछ सीधे-सीधे मार्केटिंग की कई मुख्यधारा वाली योजनाओं के विपरीत अनुभव वाला है लेकिन यह कारगर रहा है। सर्विस के नए वर्जन आते रहेंगे, जिन पर चर्चा होगी, जिन्हें लेने के लिए लोग ललायित होंगे, वे पुराने के साथ तुलना भी करेंगे। यूजर्स को लगेगा जैसे कि वे उत्पाद के क्रमिक विकास के साक्षी हैं और इस प्रक्रिया को प्रभावित भी कर सकते हैं।