ग्रामीण युवा उद्यमी बनेंगे, तभी हो पाएगा समावेशी विकास ..!
ग्रामीण युवा उद्यमी बनेंगे, तभी हो पाएगा समावेशी विकास
ग्रामीण विकास : गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने की जरूरत
भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की अवधारणा के साथ 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता के दौरान सुनिश्चित की गई प्राथमिकताओं में ‘समावेशी, सतत एवं न्यायसंगत विकास’ को काफी महत्त्व दिया जा रहा है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। देश का समग्र और संपूर्ण विकास ग्रामीण विकास में ही निहित है। एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण को प्राथमिकता देते हुए, ग्रामीण उद्यमिता के माध्यम से गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने और ग्रामीण विकास के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
भारत में ग्रामीण युवाओं के सशक्तीकरण और ग्रामीण विकास के लिए उद्यमशीलता को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। ग्रामीण समुदायों के सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में ग्रामीण उद्यमिता विकास की पहल एवं उसके अनुरूप अनुकूल वातावरण बनाने की आवश्यकता को पहचान मिल रही है तथा गैर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने पर भी अधिक जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण उद्यमिता विकास से ग्रामीण युवाओं को रोजगार और आय के नए साधन उत्पन्न करने का अवसर मिलता है। इससे ग्रामीण क्षेत्र से शहरों में पलायन में कमी लाई जा सकती है और बड़े शहरों में मूलभूत संसाधनों पर दबाव भी कम हो सकता है। इसके अलावा, ग्रामीण उद्यमिता के विकास के द्वारा स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास की अपार संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
देश में, ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया, कौशल विकास के लिए स्किल इंडिया, स्वरोजगार एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप इंडिया, पूंजी-वित्त की व्यवस्था के लिए मुद्रा योजना जैसे विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं लागू हैं, जो कि राज्य सरकारों के सहयोग, केंद्रीय एजेंसियों जैसे कि नीति आयोग, नाबार्ड, सिडबी आदि की सहभागिता, एवं विभिन्न मंत्रालयों जैसे कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, युवा मामलों और खेल मंत्रालय आदि के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित करना और कुशल ग्रामीण युवाओं को ग्रामीण विकास और स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे स्वरोजगार, वैतनिक रोजगार और कुशल उद्यमी के रूप में आगे आ सकें और स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को अधिक रफ्तार मिल सके। औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा लागू की गई एक अन्य योजना स्टार्टअप इंडिया है, जिसका उद्देश्य भारत के युवाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत कई रियायतें दी गई हैं।
ग्रामीण उद्यमिता और युवा विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों से समावेशी विकास को काफी बल मिला है। साथ ही गैर-कृषि क्षेत्र के विकास को भी गति मिली है। उद्यमिता विकास पर जोर देने के कारण उद्यमी बढ़ रहे हैं, फिर भी इन उद्यमों-व्यवसायों के आकार विस्तार के साथ-साथ इनकी उत्पादकता को बढ़ाने पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। इस तरह की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें नीतिगत समर्थन, बुनियादी ढांचे के विकास और क्षमता निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा कामगारों और स्वरोजगारों में नेतृत्व क्षमता, संचालन, निर्णय एवं प्रबंधन कौशल एवं स्वदेशी/वंशानुगत कौशल कि विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर देना चाहिए। जिससे कि ग्रामीण युवाओं को उद्यमियों के श्रेणी में आने में मदद मिले और जी-20 की ‘समावेशी, सतत एवं न्यायसंगत विकास’ के उद्देश्य को पूरा किया जा सके।