ओडिशा में एक ही जगह कैसे टकराईं तीन ट्रेनें ..?
इस भयावह हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया। टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे बुरी तरह छतिग्रस्त हो गए। इनमें सामान्य, स्लीपर, एसी 3 टियर और एसी 2 टीयर के डिब्बे शामिल थे। कुछ डिब्बे बगल के ट्रैक पर भी जा गिरे।उस वक्त दूसरी ओर से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को गुजरना था। बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के ट्रैक पर कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे गिरे हुए थे। इसकी वजह से बेंगलुरु-हावड़ एक्सप्रेस इन डिब्बों से टकरा गई। टक्कर के चलते बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के सामान्य श्रेणी के तीन डब्बे पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर पटरी से उतर गए। हादसे के बाद लोगों की चीख-पुकार शुरू हो गई। चारों तरफ खून से सने क्षत-विक्षत और अंगविहीन शव ही दिख रहे थे।
शुरुआती जांच क्या कह रही है?
कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस 116 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी। दोनों ट्रेनों में लगभग दो हजार यात्री सवार थे। स्टेशन के आसपास ही लूप लाइन बनाई जाती हैं जो आम तौर पर 750 मीटर लंबी होती हैं ताकि एक से ज्यादा इंजन के साथ चलने वाली मालगाड़ियों को वहां खड़ा किया जा सके।
जहां हादसा हुआ, उस रूट पर कवच प्रणाली एक्टिव नहीं थी, जो एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के आ जाने की स्थिति में हादसे को रोकती है। शुरुआती जांच कहती है कि सिग्नल मिलने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन से रवाना हुई। आगे जाकर वह अप मेन लाइन छोड़कर लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी पहले से खड़ी थी। यहां पर पहली भिड़ंत हुई और कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे डाउन मेन लाइन पर आ गए, जहां दूसरी ट्रेन बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस आई। इसी वजह से कई लोगों की जान गई।
![Odisha train Mishap: how balasore train incident happened and its reason and after effects](http://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/06/03/750x506/odisha-train-accident-rail-minister_1685764257.jpeg)
बालासोर ट्रेन दुर्घटना के बाद लंबी दूरी की 48 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। 39 ट्रेनों के रुट में बदलाव किया गया है। इसके अलावा 10 ट्रेनें ऐसी भी हैं जिन्हें आंशिक रूप से रद्द किया गया है।ये ट्रेने हुईं रद्द: 12837 हावड़ा-पुरी सुपरफास्ट एक्सप्रेस, 2 जून, 2023, 12863 हावड़ा-बेंगलुरु सुपरफास्ट एक्सप्रेस, 12839 हावड़ा-चेन्नई मेल यात्रा, 12895 शालीमार-पुरी सुपरफास्ट एक्सप्रेस, -20831 शालीमार-संबलपुर एक्सप्रेस, 02837 संतरागाछी-पुरी स्पेशल एक्सप्रेस और 22201 सियालदह-पुरी दुरंतो एक्सप्रेस को रद्द कर दिया गया है।
इन ट्रेनों का बदल गया रूट: 03229 2 जून 2023 को पुरी से पुरी-पटना स्पेशल वाया जाखपुरा-जरोली रूट से चलेगी, 12840 चेन्नई-हावड़ा मेल चेन्नई से जाखपुरा और जरोली रूट से चलेगी, 18048 वास्को डी गामा-हावड़ा अमरावती एक्सप्रेस वास्को से जाखपुरा-जारोली रूट से चलेगी, 22850 सिकंदराबाद-शालीमार एक्सप्रेस सिकंदराबाद से जाखपुरा और जरोली होते हुए चलेगी, 12801 पुरी-नई दिल्ली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस पुरी से जाखपुरा और जरोली रूट से चलेगी, 18477 पुरी-ऋषिकेश कलिंग उत्कल एक्सप्रेस पुरी से अंगुल-संबलपुर सिटी-झारसुगुड़ा रोड-आईबी रूट से चलेगी, 22804 संबलपुर-शालीमार एक्सप्रेस संबलपुर से वाया संबलपुर सिटी-झारसुगुड़ा रूट से चलेगी, 12509 बैंगलोर-गुवाहाटी एक्सप्रेस बेंगलुरु से विजयनगरम-टिटिलागढ़-झारसुगुड़ा-टाटा रूट से चलेगी और 15929 तांबरम-न्यू तिनसुकिया एक्सप्रेस तांबरम से वाया रानीताल-जारोली रूट से चलेगी।
![Odisha train Mishap: how balasore train incident happened and its reason and after effects](http://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/06/03/750x506/odasha-tarana-hathasa_1685791905.jpeg)
रेलवे के जानकारों का कहना है कि इस हादसे के पीछे दो कारण नजर आ रहे हैं। पहला- मानवीय भूल और दूसरा- तकनीक में खराबी। इस हादसे के पीछे तकनीक में खराबी को अब तक बड़ी वजह माना जा रहा है। जब हादसा हुआ उस दौरान अगर सिग्नल सिस्टम दुरुस्त होते तो कोरोमंडल एक्सप्रेस को रोका जा सकता था। दरअसल, ड्राइवर ट्रेन को कंट्रोल रूम के निर्देश पर चलाता है और कंट्रोल रूम से निर्देश पटरियों पर ट्रैफिक को देख कर दिया जाता है। ऐसे में हादसे की जानकारी भी कंट्रोल रूम के पास पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, यह जानकारी कंट्रोल रूम तक कितनी देर में पहुंचती है, यह हादसे को रोकने में बड़ा फैक्टर हो सकता था।इस बीच, रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा कि मार्ग पर एंटी-ट्रेन टक्कर प्रणाली ‘कवच’ उपलब्ध नहीं थी। जानकारी के मुताबिक, रेलवे अपने पूरे नेटवर्क में कवच (एंटी-ट्रेन टक्कर प्रणाली) स्थापित करने की प्रक्रिया में है। दरअसल कवच उस वक्त अलर्ट करता है जब लोको पायलट किसी सिग्नल (सिग्नल पासड एट डेंजर – एसपीएडी) को पार कर जाता है, जो ट्रेन टक्करों की प्रमुख वजह है। यह सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट कर सकता है, ब्रेक पर नियंत्रण कर सकता है। इसके साथ ही यह ट्रेन को निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन को नोटिस करने पर ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक सकता है।
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रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य सुबोध जैन अमर उजाला से बातचीत में कहते हैं कि आज के दौर में कई प्रकार की नई तकनीक आ गई है। पहले के हादसों में ट्रेनों के कोच एक-दूसरे ऊपर चढ़ जाते थे, लेकिन अब नए एंटी क्लाइम्बिंग कोच ट्रेन में लगाए गए हैं। यह एलएचबी कोच एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं। इसके बावजूद इस हादसे में इतने लोगों की मौत होना अपने आप में रेलवे के सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रहा है।यह रेलवे का एक बहुत बड़ा सिस्टमेटिक फेल्युअर है। हर बजट में कवच और ट्रेनों के सिस्टम, ट्रैक और सिग्नल सिस्टम सुधारने के लिए करोड़ों का बजट आवंटित किया जाता है। इसके बावजूद यह हादसे कैसे हो जाते हैं? जैन कहते हैं कि, इसी हादसे के बाद रेलवे के अधिकारियों को एक्शन लेना चाहिए था। जिससे बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस को हादसे से रोका जा सकता था।