हवा साफ करने 100 करोड़ से अधिक खर्च .! जिम्मेदार गड्ढे भी नहीं भर पा रहे

हवा साफ करने 100 करोड़ से अधिक खर्च फिर भी एक्यूआई 139 पार, जिम्मेदार गड्ढे भी नहीं भर पा रहे …

जर्जर सडक़े,खुले में चल रहे निर्माण कार्य व कंडम वाहनों से बिगड़ रहे आबोहवा

हवा साफ करने 100 करोड़ से अधिक खर्च फिर भी एक्यूआई 139 पार, जिम्मेदार गड्ढे भी नहीं भर पा रहे
ग्वालियर। शहर की आबोहवा सुधारने के लिए ग्वालियर में बीते पांच साल में करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, उसके बाद भी शहर में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है। जबकि मध्यप्रदेश में सबसे अधिक प्रदूषण जांच के सेंटर ग्वालियर शहर में बनाए गए हैं। वहीं नगर निगम, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भी एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 100 से नीचे लाने के लिए तमाम दावे करने के बाद भी एक्यूआई 100 से अधिक है और वर्तमान में 139 पर है, जो मानव के लिए चिंता जनक है।
एक्यूआई सुधार के लिए ये हुए प्रयास
शहर के ढाबों, होटलों, मैरिज गार्डन में तंदूर बंद कराने व कंडम वाहनों को हटाने, सडक़ों पर पानी छिडक़ांव, इलेक्ट्रिक नए वाहन व प्रदूषण जांच करने के लिए महाराज बाडा,डीडी नगर,फूलबाग व सिटी सेंटर में सेंटर बनाए गए।
इन कारणों से बढ़ रहा है प्रदूषण
शहर की अधिकांश सडक़े की जर्जर-बदहाल हालत, जगह-जगह सडक़ पर गडढे व अमृत के नाम पर सडक़ों को खोदकर डाला जाना,उद्योगों, पुराने कंडम वाहन से निकलने वाला धुंआ, शासकीय, निजी प्रोजेक्ट व भवन निर्माण सहित अन्य कार्यों पर शेड अथवा ग्रीन नेट से बिना ढंके ही निर्माण कार्य जारी रखना। इससे उडऩे वाली धूल व मिट्टी से भी आबोहवा दूषित हो रही और प्रदूषण बढ़ रहा है।
15वे वित्त से मिल चुकी है 85.1 करोड़ की राशि
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने नेशनल क्लीन एयर प्रोगाम लागू किया है। इसमें ग्वालियर सहित देशभर के 100 ऐसे शहरों को शामिल किया है, जिनका वायु प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है। इन शहर में पर्यावरण सुधार के लिए 15वें वित्त से राशि दी जा रही है और ग्वालियर नगर निगम को अब तक 15वें वित्त आयोग से 96. 27 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इसमें से निगम अब तक 78.94 करोड़ ही खर्च कर पाया है। इस राशि से निगम ने फॉगर मशीन,इलेक्ट्रिक कार,स्ट्रीट स्वीपिंग मशीन,सीएंडडी वेस्ट वाहन खरीदे हैं।
“शहर में पानी, सीवरेज, ड्रेनेज, स्टॉर्म वॉटर लाइन सहित अन्य कामों के लिए मुख्य सडक़े खोद दी गई हैं। सडक़े जर्जर व गडढे वाली होने से इससे उडऩे वाली धूल और गाडिय़ों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण कम करने के लिए शहरवासी कम से कम वाहन चलाए,निर्माण कार्य ढंककर कराए और शहर में अधिक से अधिक पौधरोपण करें और आमजन को जागरूक करें।”
डॉ हरेंद्र शर्मा, विभागध्यक्ष पर्यावरण विभाग जेयू
“शहर में प्रदूषण सुधार के लिए इलेक्ट्रिक वाहन चलाए जा रहे हैं। सडक़ों को लगातार बनवाने, गडढे भरने, पानी का छिडक़ाव करने और जल्द ही पांच नए चार्जिंग स्टेशन भी चालू हो जाएंगे। शहरवासी भी ई-व्हीकल का ही इस्तेमाल करें और अधिक से अधिक पौधे लगाएं।”
हर्ष सिंह आयुक्त नगर निगम

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