निगम की हर योजना चढ़ी घोटालों की भेंट ..!

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति …

ग्वालियर. नगर निगम में लंबे समय से धांधली चल रही है। अफसर आते-जाते रहे, लेकिन गड़बड़ी-घोटालों पर लगाम नहीं लग सकी। अधिकारी-कर्मचारी अपनी मनमानी करते, जिससे जनता से जुड़ी हर योजना और हर कार्य सवालों के घेरे में आते रहे।

इस समय शहर की जनता को सीवर और पेयजल की समस्या सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लाई गई अमृत योजना पक्ष-विपक्ष के निशाने पर है। साथ ही निगम परिषद की बैठकों में पक्ष-विपक्ष के पार्षदों ने एडीबी, आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती, जनकार्य, पार्क विभाग व एलईडी लाइट सहित कई कार्यों में सवाल उठाकर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।पार्षदों ने अपात्रों को प्रभार सौंपने, भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी-कर्मचारी सालों से एक ही जगह पर टिके रहने पर भी कई बार हंगामा किया है। आश्चर्यजनक यह है कि गड़बड़ियों, घोटालों पर कार्रवाई के लिए कई बार जांच समितियां बनीं, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अफसरों -ठेकेदारों के गठजोड़ के कारण हर बार जांच लटका दी जाती है। नगर निगम के इन घोटालों की परतें उधेड़ने के लिए पत्रिका ने अभियान शुरू किया गया है।

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

प्रोजेक्ट उदय 77 करोड़ का भ्रष्टाचार, जांच लंबित

1 नगर निगम में तत्कालीन आयुक्त बीएम शर्मा के कार्यकाल में 2007 में 110 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट उदय लाया गया। इसके लिए एशियन डवलपमेंट बैंक (एडीबी) से 110 करोड़ का लोन लिया गया था। यह प्रोजेक्ट 2009 पूरा होना था, लेकिन अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही के चलते-2012 में तत्कालीन आयुक्त पवन शर्मा के कार्यकाल में पूरा हुआ। लेकिन लोगों के घर पानी के कनेक्शन नहीं होने व लाइन बिछाने सहित कई कार्य पूरे किए बिना ही भुगतान किए जाने पर आधा दर्जन अधिकारियों की शिकायत लोकायुक्त में की गई। इस प्रोजेक्ट में 77 करोड़ का भ्रष्टाचार होने की बात सामने आई। मार्च-2023 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अवर सचिव जेवियर टोप्पो ने मप्र के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर एडीबी प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए पत्र लिखा। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों से पुराना रिकॉर्ड मांगा गया, लेकिन आज तक अधिकारियों ने रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया है।

अमृत योजना 6 साल में कार्य पूरा नहीं, जांच में भी सहयोग नहीं
2 .. शहर में पानी सप्लाई व सीवर समस्या से राहत के लिए 7 अक्टूबर-2017 में 733 करोड़ की अमृत योजना लाई गई। इसमें जल प्रदाय के लिए 320.65 करोड़ व सीवेज सिस्टम के लिए 381.30 करोड़ रुपए में चार कंपनियों को दो सीवर व दो पेयजल के कार्य सौंपे गए। यह कार्य 24 महीने यानी 20 अक्टूबर-2019 में पूरे होने थे, लेकिन निगम अधिकारियों व ठेकेदार की सांठगांठ के चलते यह कार्य अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। शहरवासियों को भी पानीं नहीं मिल पाया है। वहीं बाद में इस प्रोजेक्ट की राशि बढ़ाकर करीब 800 करोड़ कर दी गई है। हर दिन लाइन फूटने, पानी नहीं आने व गंदा पानी आने की शिकायत अधिकारियों से करने के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर परिषद में हंगामे के बाद जांच समिति गठित कर दी गई है। लेकिन अधिकारी आज तक समिति को दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। वहीं अमृत योजना के ठेकेदारों पर 15 करोड़ की पेनल्टी भी लगाई जा चुकी है।
3अपने चहेते कर्मचारियों को करा दिया भर्ती

ईकोग्रीन

आउटसोर्स की तर्ज पर नगर निगम में ईको ग्रीन में भी कर्मचारियों की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। ईको ग्रीन में 485 कर्मचारी हैं, इनमें 140 वाहन चालक, 40 सुपर वाइजर व 305 हेल्पर हैं। लापरवाही के चलते कंपनी को 2019 में टर्मिनेट कर दिया गया था और सभी कर्मचारी निगम ने रख लिए। लेकिन अधिकारियों ने अपने चहेतों को नौकरी पर रखने के लिए ईको ग्रीन के पुराने कर्मचारियों को छोटी-छोटी शिकायतों पर हटा दिया। अधिकारियों ने नए कर्मचारियों को पुराने कर्मचारियों के कोड दिए और इसके लिए मोटी रकम वसूली गई। इसको लेकर कर्मचारियों ने कई बार मांग उठाई पर सुनवाई नहीं हुई। हाल ही में कर्मचारियों ने हड़ताल भी की थी। इसके बाद आयुक्त ने सात सदस्यीय समिति गठित कर 21 जून तक रिपोर्ट देने के लिए कहा, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं दी गई।

4  .. बिना कार्य ठेकेदार को कर दिया भुगतान

पार्क विभाग

पार्क विभाग (केस नंबर 8015) में 2015 में ठेकेदार ने टेंडर नहीं डाला फिर भी अधिकारियों ने उसका फर्जी लेटर पेड बनाकर 2 लाख 37 हजार रुपए का भुगतान कर दिया। ठेकेदार महेंद्र ने इसकी शिकायत एसपी, लोकायुक्त व अधिकारियों से करते हुए कहा कि मैंने जब टेंडर ही नहीं डाला तो भुगतान किस बात का और चेक लेने से मना करते हुए निगम को वापस कर दिया। इसके बाद लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू ने अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव, मुकेश बंसल, देवेंद्र सिंह चौहान, लेखा अधिकारी दिनेश बाथम, सहायक लेखा अधिकारी विनोद शर्मा, दीपक, राजकुमार सहित दो अन्य कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। हालांकि बाद में सभी ने कोर्ट से जमानत ले ली है, लेकिन आज तक कोर्ट में चालान पेश नहीं हुआ है।

आउटसोर्स घोटाला जांच से बचने अधिकारी नहीं दे रहे दस्तावेज

5 .. नगर निगम में आउटसोर्स भर्ती घोटाले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है। वहां से संज्ञान लेते हुए कर्मचारियों के पीएफ व ईएसआइ की राशि जमा करने व दस्तावेज देने के लिए भी कहा गया। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। 31 अगस्त-2022 को अध्यक्ष मनोज तोमर के पास स्टाफ के रूप में दो नए कर्मचारी भेजे गए और बताया गया कि वह दूसरे विभाग में पदस्थ थे। सभापति की शिकायत पर तत्कालीन निगम आयुक्त किशोर कान्याल ने जांच की तो कर्मचारी फर्जी होने का मामला सामने आया। 9 सितंबर को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दो युवकों ने निगमकर्मी मयंक श्रीवास्तव सहित अन्य पर एक-एक लाख रुपए नौकरी लगवाने के लिए लेने का आरोप लगाया। इसके बाद आयुक्त ने जांच के लिए कमेटी बनाई व दो कर्मचारी हटाते हुए विष्णु पाल व विशाल जाटव को निलंबित किया। प्रदीप श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी के विभाग बदले गए। इसके बाद 20 सितंबर-2022 को एमआइसी ने अलग से सात सदस्यीय समिति बनाई। इस समिति ने जांच शुरू करते हुए अधिकारियों से 2017 से 2023 तक के दस्तावेज मांगे, लेकिन आज तक पूरे दस्तावेज नहीं दिए गए। यदि सही ढंग से जांच होती है तो इसमें तीन निगम आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग के अपर आयुक्त सहित दो अन्य अपर आयुक्त, लेखा विभाग के अधिकारी, उपायुक्त सहित करीब 20 पर कार्रवाई हो सकती है।

2022-24 निगम रिकॉर्ड में कर्मचारियों की संख्या

बिना अनुमति के रखे कर्मचारी- 954 करीब

अमृत की जांच के बाद कार्रवाई होगी

अमृत योजना की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। टीम ने जांच के लिए दस्तावेज मांगे हैं, जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मनोज सिंह तोमर, सभापति नगर निगम

अधिकारियों से दस्तावेज मांगे हैं

अमृत योजना की जांच के लिए दस्तावेज मांगे गए हैं। अधिकारियों की ओर से अभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। अधिकारियों ने दो दिन में दस्तावेज देने के लिए कहा है। दस्तावेज आते ही जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। नहीं आने पर अध्यक्ष को सूचित किया जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष

जल्द बदलाव नजर आएगा

समिति की ओर से जो भी दस्तावेज मांगे जाएंगे उन्हें समय सीमा में उपलब्ध कराया जाएगा। कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही निगम में कार्य प्रणाली में बदलाव नजर आएगा।

हर्ष सिंह, आयुक्त नगर निगम

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