इंदौर : कालिंदी गोल्ड सिटी में नया घोटाला सामने आया..?

कालिंदी में नया घोटाला, सरपंच के फर्जी साइन से बगीचे की जमीन पर बेचे प्लाट …

विवादित कालिंदी गोल्ड सिटी में नया घोटाला सामने आया है। कालोनी में बने बगीचों पर ही प्लाट काटे जा रहे है। सरपंच के हस्ताक्षर और सील का इस्तेमाल हुआ है। पुलिस ने नई एफआइआर दर्ज की है। एक एफआइआर शनिवार को ही दर्ज हुई थी। इसमें भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश का बेटा आर्जव सहित चार आरोपित बने है।

बाणगंगा थाना पुलिस के मुताबिक, नया प्रकरण मामराज पुत्र छोटेलाल जायसवाल निवासी शंखेश्वर सिटी जाख्या की शिकायत पर दर्ज हुआ है। मामराज ने पुलिस को लिखित शिकायत कर बताया कि कालिंदी गोल्ड सिटी में कालोनी के गार्डन की जमीन पर अवैध तरीके से फर्जी रजिस्ट्रियां की जा रही हैं। पूर्व सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर और सील लगाकर फर्जी नक्शे पास कर लिए हैं। इस कारण जालसाजों ने शासन को भी लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया है। बाणगंगा टीआइ राजेंद्र सोनी के मुताबिक, पुलिस ने फर्जीवाड़ा से जुड़े कईं दस्तावेज भी जुटा लिए हैं।
जमीन घोटाले में भूमाफिया चंपू के बेटे सहित चार पर केस

इंदौर। चर्चित कालिंदी गोल्ड जमीन घोटाले में बाणगंगा पुलिस ने भूमाफिया रितेश उर्फ चंपू अजमेरा के बेटे आर्जव सहित प्रसाद कानसे, पुनीत जैन और नारायण के खिलाफ केस दर्ज किया है। आरोपितों पर भूखंड और स्वीकृत नक्शे की जमीन में गड़बड़ी का आरोप है। यह मामला हाई कोर्ट में भी विचाराधीन है।

जांच में सामने आई थी गड़बड़ी

बाणगंगा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भांग्या स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 9/2/3 का अभिन्यास अनुमोदन वर्ष 2010 में हुआ था। इसमें सर्वे क्रमांक 25/2 भी शामिल किया गया था। यह अभिन्यास आशा बाई, शिवकुमारी एवं गोल्ड सिटी डेवलपर्स तर्फे महावीर जैन द्वारा करवाया गया था। इसी सर्वे पर पुलक बिल्डकान के भागीदार द्वारा प्लाट बेचने की जांच में गड़बड़ी सामने आई। वर्ष 2021 में नारायण जगन्नाथ से पुलक बिल्डकान ने 0823 हेक्टर भूमि विक्रय की थी। आर्जव एवं अनोखीलाल ने 2020 में पुलक बिल्डकान फर्म का गठन किया था। आर्जव ने मार्च 2021 में रिटारमेंट ले लिया। पुनीत जैन एवं श्रीप्रसाद कानसे फर्म के नए पार्टनर बन गए। जनवरी 2022 में अनोखीलाल भी रिटायरमेंट लेकर फर्म से अलग हो गए।

आवासीय को कृषि जमीन बताकर बेचा-खरीदा गया

विक्रेता द्वारा इस भूमि का विक्रय पत्र में आवासीय अभिन्यास स्वीकृत होना बताया गया था। लेकिन पंजीकृत दस्तावेज में संपत्ति विवरण में कृषि भूमि का उल्लेख था। जांच में स्पष्ट हुआ कि स्वीकृत अभिन्यास के हिस्से को कृषि भूमि बताकर खरीदा-बेचा गया है। इस कारण वास्तविक भूखंड क्रेताओं को भूखंड उपलब्ध नहीं हुए। आरोपितों ने साजिश कर शासन को स्टाम्प शुल्क की हानि भी पहुंचाई।

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