भोपाल । राजधानी में थिंक गैस कंपनी ने पाइप लाइन डालने के बाद शहर की 300 किलोमीटर सड़कों को बिना मरम्मत छोड़ दिया। इसको लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी ने उक्त कंपनी को नोटिस भेजने के साथ पेनाल्टी भी लगाई। लेकिन इन सबका असर भी कंपनी प्रबंधन पर नहीं हुआ। अब वर्षा में कीचड़ और गड्ढों से भरी इन सड़कों पर चलने वाले राहगीर व वाहन चालकों को परेशानी हो रही है।

शहर के पास इलाके जैसे एमपी नगर, कस्तूरबा नगर, गौतम नगर, अरेरा कालोनी, शाहपुरा समेत अन्य कालोनियों में पाइप लाइन डालने के निए एक वर्ष पहले खोदाई की गई थी। कंपनी ने बीते आठ माह पूर्व ही इन क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने का काम भी पूरा कर लिया। लेकिन खोदी गई सड़कों को बिना मरम्मत ही छोड़ दिया। अब इन सड़कों पर चलना जनता के लिए खतरे से कम नहीं है। उखड़ी सड़कों के बीच दो से चार फीट लंबे-चौड़े गड्ढे हो गए हैं। सड़क की डामर और गिट्टी उखड़ गई है। इनमें पानी भरा होने से सड़कों के गड्ढे समझ में नहीं आते। इसकी वजह से वाहन चालक रात के अंधेरे में दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।

कीचड़ से भरी सड़कें, बेपरवाह बने जिम्मेदार

वर्षा के बाद शहर की सड़कों की हालत बद से बद्तर हो गई है। सड़क के बीचों बीच खोदाई से इनमें मिट्टी और कीचड़ भर गया है। इन सड़कों पर लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। लेकिन इन सड़कों से रोज निकलने वाले नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। लेकिन ना तो संबंधित कंपनी से रेस्टोरशन करवा रहे और ना ही निगम के मद से इन सड़कों का फिर से निर्माण किया जा रहा।

वर्षा काल में लोगों को होती रहेगी परेशानी

सड़क विशेषज्ञों के अनुसार पूरे वर्षा काल नागरिकों को उखड़ी सड़कों से ही गुजरना पड़ेगा। जिन सड़कों की खोदाई की गई है, उनमें अधिकतर डामर की है। ऐसे में वर्षा के दौरान डामर प्लांट बंद होने से लोगों काे सड़क निर्माण के लिए चार महीने का इंतजार करना पड़ेगा।

कालोनी के सड़कों की जिम्मेदारी निगम की

राजधानी के करीब 80 फीसदी कालोनियों में सड़कों की जिम्मेदारी नगर निगम की है। हालांकि इनमें वह कालोनियां शामिल नहीं हैं, जिन्हें अभी नगर निगम के हैंड ओवर नहीं किया गया है। जबकि अन्य बची हुई कालोनियां बीडीए व हाउसिंग बोर्ड ने बनाई हैं। वहां सड़कों के मरम्मत की जिम्मेदारी भी इन्हीं एजेंसियों की है।

इन एजेंसियों के जिम्मे राजधानी की सड़कें

शहर में सबसे ज्यादा 1494 किलोमीटर की सड़कें नगर निगम की है। इसके बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में 411 किमी की सड़कें हैं। वहीं सीपीए बंद होने के बाद उसकी करीब 132 किलोमीटर सड़कों की जिम्मेदारी भी पीडब्ल्यूडी को दी गई है। इसके अलावा 200 किलोमीटर की सड़कें हाउसिंग बोर्ड और बीडीए की है। जबकि शहर के बीचों बीच स्टेट हाइवे और नेशनल हाइवे की 527 किमी की सड़कें हैं। ऐसे में कुल मिलाकर राजधानी में तीन हजार किमी से अधिक की सड़कें हैं।

इनका कहना

अधिकतर इलाकों में सड़कों की हालत बेहतर है। जहां सड़कें खराब है, वहां के लिए भी कार्य योजना बनाई जा रही है। थिंक गैस कंपनी पर रोड़ का रेस्टोरशन नहीं करने पर पेनाल्टी लगाई गई है। साथ ही जिन एजेंसियों ने सड़क के रेस्टोशन में लापरवाही बरती है, उनकी सिक्योरिटी मनी राजसात करने की कार्रवाई हाेगी।

-केवीएस चौधरी, आयुक्त नगर निगम