नोएडा : सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर अवैध अस्पताल और क्लीनिक चलाए जा रहे हैं

इलाज में बरतें सावधानी, 60 निजी क्लीनिक और अस्पतालों के आवेदन रद्द

इलाज में बरतें सावधानी, 60 निजी क्लीनिक और अस्पतालों के आवेदन रद्द

– अधूरे दस्तावेज और जानकारियां छुपाकर पंजीकरण कराने की कोशिश नाकाम

– जिले में बिना पंजीकरण चल रहे अस्पताल-क्लीनिकों का आंकड़ा 180 के पार

नोएडा। सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर जनपद में अवैध अस्पताल और क्लीनिक चलाए जा रहे हैं। पंजीकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग को 460 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 60 के आवेदन रद्द कर दिए गए हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे अस्पताल और क्लीनिक हैं जिन्होंने पंजीकरण के लिए आवेदन करते समय अधूरे दस्तावेज दिए और जरूरी जानकारियां छुपाई थीं। ऐसे में जिले में अब बिना पंजीकरण चल रहे अस्पतालों और क्लीनिकों का आंकड़ा 180 के पार पहुंच गया है।

इस बार सख्त नियमों के बीच उत्तर प्रदेश में अस्पतालों और क्लीनिकों के पंजीकरण की राह मुश्किल हो गई है। द क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 के सभी मानकों को सख्ती से लागू कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में जिले में निजी क्लीनिकों की संख्या 395 के आसपास है, जबकि छोटे-बड़े अस्पतालों की संख्या करीब 189 है। इन सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को मानक पूरे कर 30 अप्रैल तक पंजीकरण कराना था। यह समय सीमा बाद में 30 जून तक बढ़ा दी गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब तक 460 के आवेदन मिले हैं। इनमें करीब 140 निजी अस्पताल और 320 क्लीनिक हैं। इनमें से 20 अस्पतालों और 40 क्लीनिकों के आवेदन रद्द कर दिए गए हैं।

क्लीनिक के नाम पर चल रहे मिनी अस्पताल

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान कई क्लीनिक संचालकों की ओर से दी गई जानकारियां झूठी पाई गईं। एक कमरे के क्लीनिक का हवाला आवेदन में दिया गया है, जबकि पूरी बिल्डिंग का ही मिनी अस्पताल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह की खामियां ग्रामीण और रिहायशी क्षेत्रों में देखने को मिली हैं। इनमें आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम और बाॅयो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था नहीं मिली।

डॉक्टरों की तैनाती की सही जानकारी नहीं

पंजीकरण के दौरान डॉक्टरों से संबंधित जानकारियां भी मांगी गई हैं। अस्पतालों ने यह जानकारी भी सही नहीं दी है। एक ही डॉक्टर कई-कई अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। मानकों के अनुरूप डॉक्टर भी अस्पतालों में नहीं मिले हैं। कई डॉक्टरों की डिग्रियां तय नियमों के अनुसार सही नहीं मिली हैं। ऐसे में तकरीबन 20 अस्पतालों के आवेदनों को रद्द किया गया है। इनमें 50 से कम बेड वाले अस्पतालों की संख्या ज्यादा है।

सैंकड़ों ने आवेदन ही नहीं किया

सरकारी आंकड़ों में भले ही निजी क्लीनिकों की संख्या 395 बताई गई है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड से परे यह आंकड़ा 650 से ज्यादा का है। वहीं, तकरीबन 50 अस्पतालों को जोड़ा जाए तो संख्या 300 के आसपास बैठेगी जिन्होंने पंजीकरण के लिए आवेदन ही नहीं किया है।

कोर्ट

पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की गई है। आवेदनों में अस्पताल और क्लीनिक संचालकों ने कई अहम जानकारियां नहीं दी हैं। अधिकांश अस्पताल अग्निशमन के मानकों को पूरा नहीं कर पाए हैं। ऐसे में अब तक 60 के आवेदन रद्द किए गए हैं। बिना पंजीकरण चल रहे अस्पतालों को नोटिस देने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। – , उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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