15 साल में भारत में 41 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए
भारत: गरीबी उन्मूलन की रफ्तार
सूचकांक: यूएन की रिपोर्ट में भारत के प्रयासों की तारी …
गरीबी 55.1 फीसदी से घटकर 16.4 फीसदी रह गई …
नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत की गरीबी को खत्म करने में उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना की है। यह बात वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के नवीनतम अपडेट में कही गई है। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (ओपीएचआई) ने संयुक्त रूप से जारी किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2005-2006 से 2019-2021 तक 41.5 करोड़ गरीब लोग गरीबी से बाहर निकले। इस तरह इस दौरान भारत में गरीबी 55.1 प्रतिशत से घटकर 16.4 प्रतिशत रह गई।
2005-2006 में भारत में लगभग 64.5 करोड लोग बहुआयामी गरीबी में जकड़े हुए थे, 2015-2016 में यह संख्या घटकर लगभग 37 करोड़ और 2019-2021 में यह 23 करोड़ रह गई। रिपोर्ट में कोरोना काल के कारण अध्ययन की मुश्किलों का भी जिक्र है।
वंचित समूहों में सबसे तेजी से घटी गरीबी
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में सभी संकेतकों में अभाव में उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसमें भी सबसे गरीब राज्यों और वंचित जाति समूहों में गरीबी में गिरावट सबसे तेज दर्ज की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गरीबी के विभिन्न दरों वाले देशों ने अपने वैश्विक एमपीआई मूल्य को आधा कर दिया है। जबकि ऐसा करने वाले 17 देशों में पहली अवधि में 25 प्रतिशत से कम गरीबी दर थी, वहीं भारत और कांगो में तो शुरुआती दर 50 प्रतिशत से ऊपर थी। इस तरह भारत उन 19 देशों में शामिल था, जिन्होंने एक अवधि के दौरान अपने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के (एमपीआई) मूल्य को आधा कर दिया था। भारत के लिए यह समय अवधि 2005-2006 से 2019-2021 थी।
भारत में तेज गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से भारत में गरीबी में बहुत ज्यादा कमी देखी गई, केवल 15 साल के दौरान (2005-6 से 19-21) के भीतर 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता बढ़ी
रिपोर्ट के अनुसार खाना पकाने के ईंधन से वंचित गरीबों की संख्या भारत में 52.9 प्रतिशत से गिरकर 13.9 प्रतिशत हो गई है। वहीं स्वच्छता से वंचित लोग जहां 2005-2006 में 50.4 प्रतिशत थे उनकी संख्या 2019-2021 में कम होकर 11.3 प्रतिशत रह गई है। पेयजल के पैमाने की बात करें तो उक्त अवधि के दौरान बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोगों का प्रतिशत 16.4 से घटकर 2.7 हो गया। बिजली वंचित आबादी भी घटी है।