दिल्ली में बाढ़ के लिए जिम्मेदार हैं ये तीन ‘टूल ..?

दिल्ली में बाढ़ के लिए जिम्मेदार हैं ये तीन ‘टूल’, राष्ट्रपति शंकर दयाल ने मायावती को क्यों किया था तलब

दिल्ली में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। कई इलाकों में पानी भर चुका है। सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। आखिरकार राष्ट्रीय राजधानी में बाढ़ क्यों आई, इस विषय पर एक्सपर्ट अपने-अपने हिसाब से तर्क रख रहे हैं। कोई तो इसके लिए हरियाणा सरकार को जिम्मेदार बता रहा है, तो कोई दिल्ली सरकार पर ठीकरा फोड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि दिल्ली में पहली बार पानी घुसा है। पहले भी पानी आया है। दिल्ली में तीन बड़े बैराज हैं। हैरानी की बात ये है कि इनका रखरखाव भी तीन प्रदेशों की सरकारों के हाथ में है। उस पर किसी एक राज्य का नियंत्रण नहीं है। केंद्र सरकार का भी नहीं। यह वजह, बाढ़ के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। तीन ‘टूल’ हैं, मगर वे तीन राज्यों के हाथ में हैं। 1995-96 में भी जब दिल्ली में पानी घुसने लगा था, तो तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने यूपी की मुख्यमंत्री मायावती को दिल्ली बुला लिया था। उसके बाद औखला बैराज की ठीक से मरम्मत का काम हुआ।

इंजीनियर एमसीटी परेवा, रिटायर्ड आईईएस एवं पूर्व अपर महानिदेशक सीपीडब्लूडी और चीफ इंजीनियर दिल्ली पीडब्ल्यूडी एवं फ्लड कंट्रोलर रहे हैं। भले ही अब दिल्ली में जब बाढ़ की स्थिति बनी है, तो उन्हें सरकार की ओर से याद नहीं किया गया। गुरुवार वे खुद ही वजीराबाद से लेकर पल्ला तक बाढ़ राहत के कार्यों में जुटे रहे। कई दशकों के अपने अनुभव से दिल्ली सरकार के कर्मियों का मार्गदर्शन करते रहे। एमसीटी परेवा बताते हैं, दिल्ली में बाढ़ के कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण यहां के तीन बैराज का प्रबंधन है। बैराज तो दिल्ली में हैं, मगर इनका प्रबंधन तीन राज्यों की सरकारों के पास है। वजीराबाद बैराज, जहां पर हरियाणा के हथिनी कुंड से छोड़ा गया पानी सबसे पहले आता है, इसकी देखरेख दिल्ली जल बोर्ड के हाथ में है। दूसरा बैराज, आईटीओ पर है। इसका प्रबंधन हरियाणा सरकार करती है। तीसरा बैराज जो कि ओखला में स्थित है, उसके प्रबंधन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की है।

बतौर इंजीनियर परेवा, ठीक है इस बार 3.50 लाख क्यूसिक से ज्यादा पानी छोड़ दिया गया। इससे दिल्ली में बाढ़ की स्थिति बन गई। तीनों बैराज का सिंक्रोनाइजेशन बहुत जरूरी है। अधिकांश नाले वजीराबाद बैराज में गिरते हैं। जब दिल्ली में बरसात होगी तो नाले में भी पानी ज्यादा हो जाता है। शहर के कई हिस्सों में सीवर ओवरफ्लो होने लगते हैं। इस बार बाढ़ के जो हालात बने हैं, उसमें नदी का पानी अभी शहर में नहीं घुसा है। 2006 से 2008 तक दिल्ली में चीफ फ्लड कंट्रोलर रहे परेवा कहते हैं, तीनों बैराज का प्रबंधन किसी एक अथॉरिटी में हाथ में रहे। अभी तक ये होता आया है कि तीनों राज्य अपनी मर्जी से बैराज की देखरेख करते हैं। आपको ध्यान होगा कि दिल्ली में 1977-78 में भी बाढ़ आई थी। लोगों को तीन दिन तक पेड़ों पर चढ़ना पड़ा था। अभी वो स्थिति तो नहीं है।

कई बार प्रयास हुआ कि तीनों बैराज का प्रबंधन किसी एक अथॉरिटी को दिया जाए, लेकिन पावर पॉलिटिक्स के चलते ये संभव नहीं हो सका। केंद्रीय जल आयोग, इसका प्रबंधन अपने हाथ में ले, इस पर भी चर्चा हुई। बाद में ये प्रयास भी सिरे नहीं चढ़ सका। अगर ये हो जाता है, तो आज दिल्ली में बाढ़ नहीं आती। बैराज की हर साल डी-सिल्टिंग होती है। उसे अच्छे से किया जाना चाहिए। अब कौन सा राज्य किस तरह से बैराज में जमा मिट्टी को बाहर निकालता है, ये पता नहीं चल पाता। फाइलों में तो सब ठीक ही दिखाया जाता है। बैराज की ग्रीसिंग समय-समस पर होनी चाहिए। अब दिल्ली वाले अपने हिसाब से बैराज की देखरेख करते हैं। हरियाणा और यूपी सरकार, अपने तरीके से बैराज को देखती है। कई अवसरों पर इनके बीच तालमेल नहीं हो पाता। भले ही ये बैराज अलग राज्यों के पास रहें, लेकिन इन्हें किसी एक केंद्रीय या राज्य अथॉरिटी के हवाले किया जाए। इससे जिम्मेदारी सुनिश्चित हो जाती है।

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