राजधानी दिल्ली : 33 साल में 25 बार खतरे के निशान से ऊपर हुई यमुना ..!
33 साल में 25 बार खतरे के निशान से ऊपर हुई यमुना, पहले कब-कब और क्यों डूबी दिल्ली?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इन दिनों बाढ़ की चपेट में है। यमुना नदी के बढ़े जलस्तर के कारण निचले इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। गुरुवार सुबह यमुना का जलस्तर 208.46 मीटर पर पहुंच गया। इस बीच, सरकार का कहना है कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। कुछ सड़कों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद वजीराबाद के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसके कारण यातायात प्रभावित हुआ है।
रिंग रोड पर बाढ़ का पानी आने से आईएसबीटी, कश्मीरी गेट में हिमाचल, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और उत्तराखंड से आने-जाने वाली बसों का परिचालन प्रभावित हुआ है। स्थिति को देखते हुए वजीराबाद, चन्द्रावल और ओखला वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने पड़ रहे हैं। हालात को देखते हुए सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूल, कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।
निगमबोध घाट के निचले घाटों को भी अंतिम क्रिया के लिए बंद करने का आदेश जारी किया गया है। डीएमआरसी ने यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन पर प्रवेश और निकास अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। हालांकि, इंटरचेंज सुविधा अभी भी उपलब्ध है और ब्लू लाइन पर सेवाएं सामान्य रूप से चल रही हैं।
राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ की कई टीमों को तैनात किया गया है। जिन आबादी वाले इलाकों में पानी भरा है, वहां से लोगों को दूसरी जगह भेजा जा रहा है। बाढ़ की स्थिति पर चर्चा के लिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक बुलाई है। सीएम अरविंद केजरीवाल आज सुबह वजीराबाद जल शोधन संयंत्र पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
दिल्ली सरकार ने कहा है कि हरियाणा में हथिनी कुंड से लगातार पानी छोड़ने की वजह से यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में तीन दिन से बारिश नहीं हुई, फिर भी यमुना का स्तर बढ़ रहा है। हथिनी कुंड से सीमित स्तर पर पानी छोड़ा जाये, जिससे नदी का जलस्तर ना बढ़े।
वहीं, लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली में पहली बार यमुना के पानी का स्तर इतना बढ़ा है। 1978 में जब दिल्ली में बाढ़ आई थी उसके मुकाबले इस बार जलस्तर करीब 1.5 मीटर ज्यादा हो चुका है। जब जलस्तर इतना ऊंचा हो जाएगा तो यमुना अपने तट से बाहर निकलेगी। पानी के बहाव को काबू में नहीं किया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा सरकार के साथ लगातार संपर्क में है कि बैराज में कम पानी छोड़ा जाए।
जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों से लगातार बारिश के कारण हथिनीकुंड बैराज का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया। इसको देखते हुए बैराज के सभी 18 गेट खोल दिए गए और पानी को दिल्ली की तरफ छोड़ा जा रहा है। बैराज से छोड़ा गया पानी दिल्ली तक पहुंचने में लगभग 72 घंटे का समय लगता है। जानकारों की मानें तो बारिश बंद नहीं होने पर हालात और विकट हो सकते हैं, क्योंकि बैराज में पानी बढ़ने की स्थिति में लगातार ये यमुना नदी के जरिए दिल्ली की तरफ ही छोड़ा जाएगा, जिससे दिल्ली के एक बड़े इलाके में बाढ़ का खतरा है।
दरअसल, तेज बारिश के दौरान पहाड़ाें से उतरने वाला पानी हथिनीकुंड बैराज में जमा होता है और यहां से छोटी नहरों के जरिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में इसकी आपूर्ति की जाती है, लेकिन जब बैराज में पानी का आंकड़ा एक लाख क्यूसेक को पार करता है तो बैराज के सभी गेट खोल दिए जाते हैं और पानी को सीधे दिल्ली डायवर्ट किया जाता है।
यमुना में आने वाली बाढ़ और नालों के अवरुद्ध होने के चलते बारिश होने पर अचानक बाढ़ की घटनाएं दिल्ली में होती रही हैं। पिछले 33 वर्षों के दौरान यमुना ने अपने खतरे के स्तर (204.83 मीटर पर निर्धारित) को 25 बार पार किया।
1900 के बाद से, दिल्ली में लोगों ने 1924, 1947, 1976, 1978, 1988 और 1995 में छह बड़ी बाढ़ों का अनुभव किया है। ये स्थितियां तब बनीं जब यमुना नदी का जल स्तर पुराने रेल पुल पर खतरे के स्तर 204.49 मीटर से एक मीटर अधिक था। छह सितंबर 1978 को जल स्तर खतरे के स्तर से 2.66 मीटर ऊपर हुआ था। 206.92 मीटर का दूसरी बार सबसे ज्यादा जल स्तर 27 सितंबर 1988 को था। शहर ने 1977, 1978, 1988 और 1995 में उच्च तीव्रता वाली बाढ़ का अनुभव किया, जिससे शहर के निवासियों को जान-माल की हानि हुई।
1977: साहिबी नदी से निकलने वाले पानी के कारण नजफगढ़ नाले में भारी बाढ़ आई। ढांसा और करकरौला के बीच छह स्थानों पर नाला टूट गया, जिससे नजफगढ़ ब्लॉक के कई गांव जलमग्न हो गए। मकान ढहने से छह लोगों की जान चली गयी। एक नाव दुर्घटना में 14 लोगों की मौत हो गई। वहीं, फसल क्षति का अनुमान उस वक्त में एक करोड़ रुपये था।
1978: सितंबर महीने में यमुना नदी में विनाशकारी बाढ़ आई। ग्रामीण तटबंधों में बड़े पैमाने पर दरारें आईं, जिससे 43 वर्ग किमी कृषि भूमि दो मीटर पानी में डूब गई और खरीफ की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। इसके अलावा, उत्तरी दिल्ली की मॉडल टाउन, मुखर्जी नगर, निरंकारी कॉलोनी आदि कॉलोनियों में भारी बाढ़ आई, जिससे संपत्ति को व्यापक नुकसान हुआ। फसलों, घरों और सार्वजनिक संपत्तियों की कुल क्षति 17.61 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
1988: सितंबर के महीने में यमुना नदी में भयंकर बाढ़ आई, जिससे मुखर्जी नगर, गीता कॉलोनी, शास्त्री पार्क, यमुना बाजार और लाल किला क्षेत्र जैसे कई गांवों और इलाकों में बाढ़ आ गई। तब बाढ़ से लगभग 8,000 परिवार प्रभावित हुए।
1995: सितंबर में ऊपरी कैचमेंट एरिया में भारी बहाव और ताजेवाला वाटर वर्क्स से पानी छोड़े जाने के कारण यमुना में भीषण बाढ़ आई। अलग-अलग राज्यों की एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी के कारण ओखला बैराज से धीमी गति से पानी छोड़ने से समस्या और बढ़ गई है। इसने नदी तट पर बसे गांवों और अनियोजित बस्तियों को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे लगभग 15,000 परिवार बेघर हो गए। इन व्यक्तियों को अपने घर वापस जाने से पहले लगभग दो महीने के लिए अस्थायी रूप से सड़कों के किनारे रहना पड़ा।