मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की पहचान यूंहीं नहीं सबसे अलग है, उनका हर परिस्थितियों में समान भाव से सामना करने का अनुभव है जो हर कदम पर मिशाल कायम करता है। योगी आदित्यनाथ का संन्यासी से देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री की कमान संभालने तक का सफर आसान नहीं रहा, लेकिन उन्होंने जिस भूमिका में कदम रखा इतिहास रच दिया। योगी ने पहले संन्यास लिया, फिर जनता की सेवा के लिए सियासत का दामन थाम लिया।

सीएम योगी ने धर्म और सियासत के सफर में हर बार जनता की सेवा को सबसे ऊपर रखा। यही वजह है कि वह उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का खिताब हासिल किया। एक तरफ प्रदेश में माफियाराज के खात्मे के लिए उन्होंने अपराधियों पर लगाम कसी तो दूसरी ओर जनता को विकास की परियोजनाओं से सफलता की राह दिखाया। आज हम आपको सीएम योगी से जुड़ी खास बातों के बारे में बताएंगे। कैसे देवभूमि के बेटे ने यूपी के मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया।

देवभूमि पर हुआ योगी आदित्यनाथ का जन्म

पांच जून 1972 को देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में वन विभाग के अधिकारी आनंद सिंह बिष्ट के घर जन्मे अजय सिंह बिष्ट के योगी आदित्यनाथ नाम के संन्यासी बनने की कहानी राष्ट्रवादी विचारधारा और लोककल्याण की भावना से ही जुड़ी है। जीवन की तरुणाई में ही उनका रुझान राम मंदिर आंदोलन की ओर हो गया। इसी सिलसिले में वह तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ के संपर्क में आए।

महंत अवेद्यनाथ से 1994 में लिया आशीर्वाद और ले लिया संन्यास

अवेद्यनाथ के सानिध्य में नाथ पंथ के विषय में मिले ज्ञान से योगी के जीवन में ऐसा बदलाव आया कि उन्होंने संन्यास का निर्णय ले लिया और 1993 में गोरखनाथ मंदिर आ गए और पंथ की परंपरा के अनुरूप अध्यात्म की तात्विक विवेचना और योग-साधना में रम गए। नाथ पंथ के प्रति निष्ठा और साधना देखकर महंत अवेद्यनाथ ने 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी बना दिया।

मात्र 26 की उम्र में लोकसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य बने योगी

मात्र 22 साल की उम्र में अपने परिवार का त्याग कर पूरे समाज को परिवार बना लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण को ध्येय बनाने के क्रम में ही अध्यात्म के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रखा और मात्र 26 की उम्र में लोकसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए। फिर तो राजनीति में उनके कदम जो बढ़े, वह बढ़ते ही गए। गोरखपुर की जनता ने योगी को लगातार पांच बार अपना सांसद चुना। अभी यह सिलसिला चल ही रहा था कि उनकी राजनीतिक क्षमता को देखते हुए 2017 में भाजपा नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व सौंप दिया।

सबसे बड़े राज्य के दोबारा मुख्यमंत्री बनने का रचा इतिहास

मुख्यमंत्री के रूप में योगी ने प्रदेश को जो उपलब्धि दिलाई, वह सर्वविदित है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत देकर जनता ने उनके नेतृत्व पर मुहर भी लगा दी। संसदीय चुनावों में अजेय रहे योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और एक लाख से अधिक मतों से जीतकर अपनी अपराजेय लोकप्रियता को फिर से प्रमाणित कर दिया। यही वजह है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ दिलाया। उन्होंने आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य के दोबारा मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचा।