6 महीने में 87 हजार भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता …!

6 महीने में 87 हजार भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता ….

सबसे ज्यादा लोग अमेरिका गए; सरकार बोली- प्रवासी भारतीयों से बेहतर संबंध बना रहे …

इस साल जून तक भारत से 87 हजार लोग अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में मानसून सत्र के दौरान ये जानकारी दी। संसद को दिए एक लिखित जवाब में जयशंकर ने कहा- 2011 से लेकर अब तक साढ़े 17 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा लोग अमेरिका जाते हैं।

दरअसल, लोकसभा सांसद पी चिंदबरम ने विदेशी मंत्री से सवाल किया था कि पिछले तीन सालों में कितने भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी है? इसके बाद उन्होंने किन देशों की नागरिकता हासिल की और क्या नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 12 सालों में सबसे ज्यादा है?

शुक्रवार को मानसून सत्र के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों से जुड़ी जानकारी शेयर की। (फाइल)
शुक्रवार को मानसून सत्र के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों से जुड़ी जानकारी शेयर की। (फाइल)

ग्लोबल वर्कप्लेस की तलाश कर रहे भारतीय
जयशंकर ने बताया कि पिछले दो दशकों में बड़ी संख्या में भारतीय ग्लोबल वर्कप्लेस की तलाश करते रहे हैं। इनमें से कई लोगों ने अपनी सुविधा के लिए दूसरे देशों की नागरिकता ली। विदेश मंत्री ने बताया कि 2020 में 85 हजार, 2021 में 1.63 लाख और 2022 में 2.25 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी थी।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में संज्ञान लिया है और मेक इन इंडिया के तहत कई ऐसे प्रयास किए हैं, जिससे देश में रहते हुए ही नागरिकों की प्रतिभा को निखारा जा सके। सरकार ने स्किल और स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया है।

जयशंकर बोले- प्रवासी भारतीय विदेश में हमारी संपत्ति
जयशंकर ने कहा- विदेश में मौजूद भारतीय समुदाय हमारी संपत्ति है। हम उनसे बेहतर रिश्ते बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ने के लिए कई बदलाव लागू किए हैं। प्रभावशाली प्रवासी भारतीय हमारे लिए एसेट हैं और हम उनके जरिए देश के विकास के लिए कदम उठाते रहेंगे।

सबसे ज्यादा अमेरिका और फिर ऑस्ट्रेलिया जा रहे भारतीय
इकोनॉमिक टाइम्स ने विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि 2021 में अमेरिका गए 7.88 लाख लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी। वहीं दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा, जहां 23,533 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी। इसके बाद तीसरे नंबर पर कनाडा और चौथे पर ब्रिटेन रहा।

प्रवासी भारतीयों की सुविधा के लिए भी भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अमेरिका की यात्रा के दौरान PM मोदी ने घोषणा की थी कि H1B वीजा वाले लोगों को अब अपना वर्क वीजा रिन्यू करवाने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ेगा। ये अमेरिका में ही रिन्यू हो जाएंगे। इसके अलावा बेंगलुरु और अहमदाबाद में भी अमेरिकी कॉन्सुलेट ऑफिस खुलने का ऐलान किया गया था।

भारत की नागरिकता छोड़कर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और इंग्लैंड जैसे देशों में जाने के पीछे 3 बड़ी वजहें हैं…

1. भारत में दो देशों की नागरिकता का प्रावधान नहीं
नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में इजाफे की एक अहम वजह है भारत में नागरिकता से जुड़े नियम। संविधान संशोधित नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक भारत में डुअल सिटिजनशिप नहीं है।

यानी एक व्यक्ति जिसके पास भारत की नागरिकता है वो अन्य किसी देश की नागरिकता के लिए एलिजिबल नहीं हैं। ऐसे में लोग विदेश गए, वहां अपना काम-धंधा जमा लिया और वहां की नागरिकता मिल गई। इससे उनकी नागरिकता भारत में खुद समाप्त हो जाती है।

2. विदेशों में बेहतर लिविंग स्टैंडर्ड
2030 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। लोगों के पास पढ़ाई, कमाई और दवाई के मौके दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम हैं। इसके अलावा प्रदूषण जैसी समस्या के चलते भी लोग विदेशों में बसना चाहते हैं।

3. विदेशों में ज्यादा कमाई
अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डब्ल्यू हेलवेग के मुताबिक भारत छोड़ने के पीछे पैसा सबसे बड़ा कारण है। हेलवेग के मुताबिक यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, नौकरी, बच्चों के करियर और रिटायरमेंट जैसे विषयों पर विचार करने के बाद ही लोग भारत छोड़ते हैं।

भारत में एवरेज लेबर कॉस्ट प्रति घंटे 170 रुपए है, ब्रिटेन में 945 रुपए और अमेरिका में 596 रुपए है। इसके साथ ही इन देशों में लेबर लॉ का सख्ती से पालन किया जाता है। इसलिए इन देशों में काम करना लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

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