भिण्ड से इटावा …. दो गुना किराया फिर भी कंडम वाहनों में जान जोखिम में डालकर सफर

भिण्ड से इटावा तक 40 किमी दूरी का 80 रुपए ले रहे किराया, जिम्मेदार मौन …

भिण्ड. निर्धारित यात्री किराए के बजाए दो गुना किराया अदा करने के बाद भी लोगों को भिण्ड से इटावा तक के सफर में जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। दरअसल पुल क्षतिग्रस्त होने के बस व ट्रक जैसे बड़े वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित होने के बाद 20 से 25 साल पुरानी जीप, ओमनी कार, ऑटो आदि कंडम वाहनों में सवारियां ढोई जा रही हैं। अपनी उम्र पूरी कर चुके जर्जर वाहनों के संचालकों ने गैस चलित करा लिया है। ऐसे में 200 रुपए की गैस में भिण्ड से इटावा तक के दो चक्कर लग जाते हैं। जबकि जीप हो या ओमनी कार ऑटो रिक्सा हो या छोटा लोडिंग वाहन सभी में न्यूनतम 10 सवारियां बिठाकर ले जाई जा रही हैं। प्रति सवारी 80 रुपए किराया वसूला जा रहा है। लिहाजा भिण्ड से इटावा तक की फेरी में 800 रुपए आय अर्जित की जा रही है।

भिण्ड से इटावा तक का सफर यात्रियों के आर्थिक नुकसान के साथ ही जोखिम भरा हो गया है। सालों पुराने कंडम वाहनों से यात्रियाें का परिवहन किया जा रहा है। यात्रियों को अधिक किराया देना पड़ रहा है और जान भी जोखिम में डालना पड़ रही है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

1.10 रुपए प्रति किलो मीटर की दर निर्धारित

परिवहन विभाग द्वारा मुसाफिरों से बस या अन्य छोटे यात्री वाहनों के लिए एक रुपए 10 पैसे प्रति किलो मीटर की दर से किराया निर्धारित किया गया है। इस हिसाब से भिण्ड से इटावा तक 40 किमी के सफर का किराया 44 रुपए लिया जाना चाहिए। चंबल पुल क्षतिग्रस्त होने से पूर्व इतना ही किराया यात्री बसों के परिचालकों द्वारा लिया जा रहा था। इस दर से किराया अदा करने वाले यात्री को न केवल सहूलियत से बैठकर सफर कराना होगा बल्कि यात्री वाहन का फिटनेश सर्टिफिकेट भी होना आवश्यक है। कंडम वाहन किसी भी प्रकार की यात्रा के लिए अलाऊ नहीं हैं। लेकिन कंडम वाहनों के संचालक इन दिनों तमाम सुविधाओं को दरकिनार कर उमस भरी गर्मी में पांच सीटर ओमनी कार या जीप में 10 सवारियां भरकर ले जा रहे हैं।

ऊपर से उनसे 80 रुपए किराया वसूल किया जा रहा है।

फैक्ट फाइल

14 ओमनी कार ढो रही सवारियां

09 जीप चल रहीं भिण्ड से इटावा

11 ऑटो रिक्सा भी कर रहे यात्री परिवहन

02 माह से संचालित है अवैध यात्री परिवहन

मुसाफिरों की जान से खिलवाड़

गैस चलित कंडम वाहन के अंदर बैठने पर एक मिनट में ये एहसास हो जाता है कि गैस लीकेज हो रही है। किसी के धोखे से भी बीड़ी या सिगरेट जलाने की स्थिति में बड़ी जनहानि भरा हादसा होने का खतरा बना हुआ है। कंडम वाहनों पर चल रहे चालक भी प्रशिक्षित नहीं बल्कि खेतों में कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टर चलाने वाले नौसिखिए युवक हैं। इस पूरे अवैध यात्री परिवहन पर जिला परिवहन अधिकारी ने आंखें मूंद रखी हैं। उन्हें न तो उपरोक्त कंडम वाहनों के परमिट चैक करने की फुर्सत है और ना ही फिटनेश प्रमाण देखने का समय।

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