अब एक्सीडेंट रिलीफ वार्डन बचाएंगे जान…:डॉक्टरों ने समझाया-घायल के सिर में चोट है और मुंह से खून निकल रहा है तो उसे साइड से करवट दिलाने या उल्टा लिटाया जाए, इससे जान बचाई जा सकती है

  • 9 ब्लैक स्पॉट पर 18 एक्सीडेंट रिलीफ वार्डन नियुक्त

ग्वालियर के लिए अब एक अच्छी खबर है। शहर और हाइवे पर सड़क हादसों के लिए चर्चित 9 ब्लैक स्पॉट पर अब कोई भी घायल प्राथमिक उपचार के आभाव में दम नहीं तोड़ेगा। क्योंकि अब ग्वालियर पुलिस इन ब्लैक स्पॉट पर दो-दो एक्सीडेंट रिलीफ वार्डन खड़े करने जा रही है। यह फुली ट्रेंड हैं जो घायलों को तत्काल मदद कर इस हालत में ले आएंगे कि उनको एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। रिलीफ वार्डन को डॉक्टरों की टीम ने ट्रेंड किया है। यह कन्ट्रोल रूम की सूचना पर काम करेंगे। डॉक्टर्स ने बताया है कि सड़क हादसे के बाद यदि घायल के सिर में चोट है और मुंह आदि से खून निकल रहा है तो उसे साइड से करवट दिलाने या उल्टा लिटाया जाए, जिससे खून उसकी श्वांस नली व फेफड़ों में न जा पाए। इससे तत्काल होने वाली मौत को टाला जा सकता है। इतना ही नहीं यदि घायल बेहोश है तो उसके सीने पर सावधानी से 15-15 बार पंपिंग और मुंह से ऑक्सीजन दें।

डेमो देते हुए कि घायल बेहोश हो तो उसे किस तरह पंपिंग कर बचाया जा सकता है
डेमो देते हुए कि घायल बेहोश हो तो उसे किस तरह पंपिंग कर बचाया जा सकता है

9 ब्लैक स्पॉट पर 3 साल में 67 हादसे, 43 की मौत, 50 गंभीर
– जिले के 9 ब्लैक स्पॉट हैं जो रायरू चौराहा, रितुराज चौराहा, सिकरौदा तिराहा, जौरासी घाटी, सिमरिया टेकरी, गोला का मंदिर, लोहागढ़ तिराहा डबरा, हनुमान टॉकीज तिराहा व सागर ताल चौराहा बहोडापुर हैं। यहां 3 साल में 67 हादसे हुए है। 43 लोगों की मौत हुई है, जबकि 50 गंभीर घायल हुए हैं और 200 से ज्यादा सामान्य घायल मिले हैं। इन पॉइंट पर हादसों मंे घायल को प्राथमिक और सही उपचार देकर जान बचाने का काम एक्सीडेंट रिलीफ वार्डन करेंगे। प्रोजेक्ट सफल होते ही शहर में अन्य स्थान पर इन्हें तैनात किया जाएगा।
ट्रेंड भी हैं और जेब में रहेगी डॉक्टरों की लिस्ट
शहर के ब्लैक स्पॉट पर तैनात वार्डन को हादसे के बाद घायल की जान बचाने के लिए गोल्डन अवर्स में प्राथमिक उपचार कर अस्पताल पहुंचाने की ट्रेनिंग दी गई है। यह वार्डन क्षेत्र में होने वाले हादसों की पुलिस व एंबुलेंस को सूचना देंगे और घायल को राहत व तात्कालिक उपचार भी देंगे। वार्डन के पास ब्लैक स्पॉट के पास के अस्पताल व डॉक्टर की सूची रहेगी। जिससे जल्द उपचार मिल सके। रविवार को बाल भवन में पुलिस महानिरीक्षक अविनाश शर्मा, एसपी अमित सांघी, एएसपी हितिका वासल की मौजूदगी में प्रशिक्षित डॉक्टर ने ट्रेनिंग दी और एक्सीडेंट रिलीफ किट के साथ ही पहचान-पत्र दिए। कार्यक्रम में आईजी अविनाश शर्मा ने कहा, दुर्घटना में मदद करने वालों को कानूनी पेचीदगियों से बचाया जाए। मददगार की इच्छा न हो तो गवाही में शामिल न किया जाए।
इन्होंने रिलीफ वार्डन को किया प्रशिक्षित
– गुड सेमेरिटन लॉ (नेक दिल नागरिक कानून) की जानकारी दी। साथ ही रिलीफ वार्डन को एक दिवसीय प्रशिक्षण ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत CSP मुरार डॉ. रिषीकेश मीना, मेडिकल कॉलेज के डॉ. जितेंद्र अग्रवाल, डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, पुलिस लाइन से डॉ. अनुपम कुलश्रेष्ठ, डॉ. सलोनी जैन, डॉ. महिमा सेंगर ने प्रशिक्षण दिया। वार्डन को फर्स्ट एड बॉक्स सामग्री के साथ बांटे गए।
सड़क हादसे के बाद क्या करें और क्या न करें
डॉक्टर ने वार्डन को बताया कि हादसा होने पर सबसे पहले घायल व स्वयं को सड़क पर सुरक्षित करें। डायल 100 व एंबुलेंस 108 को फोन कर सूचना दें। यदि उसके सिर में चोट है और मुंह आदि से खून निकल रहा है तो उसे साइड से करवट दिलाने या उल्टा लिटाया जाए, जिससे खून उसकी श्वांस नली व फेफड़ों में जाकर उन्हें ब्लॉक न कर सके। इससे तत्काल उसकी मौत नहीं होगी। यदि घायल बेहोश है तो उसके सीने पर सावधानी से 15-15 बार पंपिंग करें और मुंह से अॉक्सीजन दें। इससे उसकी सांस लौट सकती है। किसी भी घायल को उठाते समय ध्यान रखें एक हाथ गर्दन के नीचे जरूर लगाएं।

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