सभी विभागों में हो कार्य गुणवत्ता का थर्ड पार्टी जांच तंत्र …!
नगरीय प्रशासन विभाग की पहल सराहनीय, गांव से लेकर शहर तक राहत के लिए सभी सड़कों के निर्माण में अपनाएं यही व्यवस्था
नगरीय प्रशासन विभाग कायाकल्प अभियान के तहत प्रदेश की खस्ता हाल सड़कों को नए सिर से तैयार करवा रहा है। प्रदेश के 413 नगरीय निकायों के लिए 750 करोड़ का फंड जारी कर दिया है। इस बार इसमें खास यह है कि गड़बड़ी रोकने के लिए विभाग ने राज्य गुणवत्ता नियंत्रण सेल बनाया है। इस बार विभाग रिटायर्ड इंजीनियर का पैनल बनाकर तृतीय पक्ष से जांच भी करा रहा है। ओके रिपोर्ट पर ही भुगतान होगा। मोबाइल लैब के जरिए अधिकारी ऑनस्पॉट खुद जांच कर रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि कई निकायों में ठेकेदारों ने काम करने से ही इनकार कर दिया। कई ठेकेदार तो अमानत राशि जब्त कराकर भाग खड़े हुए। कुछ निकायों में तो 5 से 7 प्रतिशत ज्यादा में ही टेंडर गए। यानी एक सख्त कदम से घटिया निर्माण करने वाले ठेकेदारों ने किनारा कर दिया। अब सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इससे पहले बनी सड़कों की हालत क्या है? इन प्रश्नों का उत्तर भी स्वाभाविक रूप से मिल जाएगा कि सड़कें बनते ही क्यों उधड़ जाती हैं? क्यों एक बारिश भी नहीं झेल पाती हैं? इंजीनियर मौके पर नहीं जाकर वातानुकूलित कमरों में ही कार्य की गुणवत्ता को क्लीन चिट कैसे देते हैं? असल में यह पूरा मिलीभगत का खेल टेंडर जारी होने से ही शुरू हो जाता है। निकायों में ठेकेदार अधिकारियों से सांठगांठ कर टेंडर हासिल कर लेते हैं। निकायों की ओर से दी गई दर से भी 30 से 40 प्रतिशत कम दाम पर भी काम करने को तैयार हो जाते हैं। इसके बाद सड़क उधड़े या संवरे, न ठेकेदारों को कोई चिंता और न ही अधिकारियों को। जब आमजन आक्रोशित होते हैं तो पेचवर्क के पैबंद जरूर लगा दिए जाते हैं। थोड़े दिनों में हालात फिर वैसे के वैसे। ऐसे में नगरीय प्रशासन विभाग का गुणवत्ता सुनिश्चित करने का यह निर्णय सराहनीय कहा जा सकता है। लेकिन, आमजन की उम्मीद यह भी है कि केवल निकाय की सड़कें ही क्यों? अन्य विभागों से बनी सड़कों के मामले में भी यही नीति अपनाई जाए। गांवों में कार्यों पर भी नजर डालना बेहद जरूरी है। आमजन भी सूचना के अधिकार कानून को तृतीय पक्ष से जांच की तरह ही इस्तेमाल कर सकते हैं। जब निर्माण कार्य के टेंडर से लेकर गुणवत्ता पर प्रश्न पूछेंगे तो निगरानी की एक शृंखला शुरू जरूर होगी। कुछ सकारात्मक फर्क जरूर पड़ेगा।