वर्दीधारी परेशान … देश भक्ति जनसेवा …!

आरक्षक से निरीक्षक तक एक लाख पुलिस वाले नहीं बना सकते संगठन इसलिए संघर्ष …

पहले भी मुख्यमंत्री को लिखित में दे चुके जमीनी कैडर की 14 मांगें ..

वर्दीधारी परेशान…20 राज्यों से कम वेतन 24 घंटे ड्यूटी में भी साप्ताहिक अवकाश नहीं

भोपाल. देश भक्ति जनसेवा…जैसे ध्येय वाक्यों को चरितार्थ करने वाले प्रदेश के खाकी वर्दीधारी परेशान हैं। आरक्षक से लेकर निरीक्षक यानी इंस्पेक्टर तक एक लाख से अधिक पुलिस वाले हैं, जिनकी वेतन विसंगति, साप्ताहिक अवकाश समेत बीसियों समस्याओं के निराकरण के लिए किसी सरकार ने ईमानदारी से ध्यान नहीं दिया। चुनावी साल में अब पुलिसकर्मियों की इन्हीं मांगों के लिए राजधानी में 28 जुलाई को हल्ला बोल होने जा रहा है। पुलिसकर्मियों के लिए काम करने वाले बबलू यादव ने मोर्चा संभाल रखा है।

दरअसल, पुलिस के लिए किसी तरह के संगठन बनाने का प्रावधान नहीं होने की वजह से पुलिस का जमीनी कैडर पर्दे के पीछे रहकर बबलू को समर्थन कर रहा है। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलकर कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र (वचन पत्र) में पुलिस आरक्षकों की मांगों को भी शामिल करवाने और सरकार बनने पर उन्हें लागू करने जैसी कवायदें भी हो रही हैं।

कमिश्नरी लागू लेकिन कर्मियों को लाभ नहीं

इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई, लेकिन कर्मचारियों को लाभ नहीं दिया। जिला बल में आठ घंटे की ड्यूटी का प्रावधान लागू किया जाए। आरक्षक से लेकर उप-निरीक्षक तक पदोन्नति हो। वहीं जेल प्रहरी को पुलिस की तरह 13वां महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। होमगार्ड कर्मचारियों की ट्रांसफर नीति 2016 को संशोधित कर नई नीति लागू की जाए।

बाकी राज्यों की तुलना में हमारी पुलिस ..

राज्य आरक्षक का मूल वेतन

तेलंगाना 24, 280

पश्चिम बंगाल 22, 700

राजस्थान 22, 400

केरल 22, 200

उत्तर प्रदेश 21, 700

मध्यप्रदेश 19, 500

1900 से बढ़ाकर 2800 करवाना चाहते हैं पे-स्केल

13 मांगों का निराकरण चाहते हैं पुलिसकर्मी

देश के 35 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 20 बड़े राज्यों के पुलिसकर्मियों (आरक्षक वर्ग)की तुलना करें तो मध्य प्रदेश में वेतन सबसे कम है। प्रदेश के पुलिसकर्मियों का वेतन ग्रेड अभी 1900 है, जिसे वे 2800 करवाना चाहते हैं। फिलहाल इतना ग्रेड पे तेलंगाना राज्य के पुलिस कर्मचारियों का है। जबकि पुलिसिंग के लिहाज से देखें तो क्षेत्रफल में हमारा प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। इसी तरह से जनसंख्या की बात करें तो उस दृष्टिकोण से भी अपना प्रदेश पांचवां सबसे बड़ा राज्य है।

प्रदेश के पुलिसकर्मी चाहते हैं कि उन्हें गृह जिले में तैनाती दी जाए। आवास भत्ता 5000 रुपए मासिक करवाना चाहते हैं। इसके अलावा बदलते समय के साथ साइकिल भत्ता अप्रासंगिक हो चुका है, जिसे खत्म कर मोटरसाइिकल भत्ते में बदला जाए। ग्रेड पे बढ़ाकर 2800 किया जाए। इसी तरह से अन्य सभी भत्ते भी आज के दौर के हिसाब से बढ़ाए जाएं। मध्य प्रदेश शस्त्र बल या एसएएफ का विलय पुलिस जिला बल में किया जाए। ट्रेड आरक्षक जीडी में संविलियन भी होना चाहिए। प्रदेश में पुलिस के लिए साप्ताहिक अवकाश का प्रावधान भी नहीं है। यह प्रायोगिक तौर पर शुरू हुआ, लेकिन फिर बंद हो गया।

पुलिसकर्मी अपनी मांगों के लिए संगठन बना सकते हैं और न ही हड़ताल पर जा सकते हैं। यही वजह है कि विभाग के कर्मचारियों की मांग विधानसभा पटल पर भी नहीं पहुंच पाती। देश के अन्य राज्य तो दूर सीमावर्ती प्रदेशों को ही देखें तो हमारे यहां पुलिसकर्मियों का वेतन बहुत कम है।-… पुलिसकर्मियों के लिए संघर्ष करने वाले

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