इंदौर । होस्टल की सेवा पर भी जीएसटी देना होगा। कर्नाटक की जीएसटी एडवांस रुलिंग अथारिटी के निर्णय से खलबली मच गई है। इंदौर की होस्टल इंडस्ट्री के साथ कर विशेषज्ञ भी इस निर्णय से हैरान हैं। एडवांस रुलिंग अथारिटी ने होस्टल को आवास सुविधा न मानकर होटल की श्रेणी में माना है। इस आधार पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय सुनाया है। होस्टल उद्योग जीएसटी की तलवार लटकी देख परेशान है। शिक्षा महंगी होने की आशंका भी जताई जा रही है।

जीएसटी एडवांस रुलिंग अथारिटी कर्नाटक (बैंगलुरू) ने होस्टल सेवा को लेकर आश्चर्यजनक निर्णय दिया है। बेंच ने कहा कि होस्टल सेवा भी होटल सेवा के समान है। लिहाजा इस पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी का दायित्व आएगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) के 12 फरवरी 2018 के सर्कुलर को संदर्भ मानते हुए यह रुलिंग दी, इसमें सीबीआइसी ने होस्टल और होटल को एक साथ वर्गीकरण में रखा है।

जीएसटी लागू होने के बाद सीबीआइसी ने 1000 रुपये प्रति दिन कमरा किराये वाले होटल को जीएसटी से मुक्त रखा था। ऐसे में सस्ते होटल के साथ होस्टल खुद-ब-खुद जीएसटी के दायित्व से मुक्त हो गए थे। 17 जुलाई 2022 सस्ते होटलों को मिलने वाली जीएसटी छूट समाप्त कर दी गई। उसके बाद सवाल खड़ा हुआ और एडवांस रुलिंग अथारिटी ने निर्णय दे दिया।

यह है एडवांस रुलिंग

जीएसटी एक्ट में एडवांस रुलिंग अथारिटी की व्यवस्था कर प्रकरणों में संशय की स्थिति में पहले स्पष्टीकरण हासिल करने की बात कही गई है। किसी करदाता को कर दर को लेकर संशय हो तो वह अथारिटी में अपील करता है और अथारिटी निर्णय सुनाती है। एक्ट में व्यवस्था है कि जिस प्रकरण में एडवांस रुलिंग ने निर्णय दिया है, वह उसी पर लागू होगा। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार जिन प्रकरणों में विभाग और सरकार को राजस्व का लाभ होता है, उसमें यह रेखा लांघ कर एडवांस रुलिंग का निर्णय सभी मामलों में लागू कर दिया जाता है। लिहाजा आने वाले समय में देशभर में होस्टलों को में अगर जीएसटी के नोटिस मिलने लगें तो हैरानी नहीं होना चाहिए।

30 करोड़ का उद्योग

इंदौर में ही होस्टल उद्योग का सालान कारोबार 25 से 30 करोड़ माना जाता है। शहर में कम से कम 1500 होस्टल हैं। इंदौर होस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि दांगी के अनुसार करीब एक लाख विद्यार्थी इंदौर में होस्टलों रह रहे हैं। ताजा निर्णय लागू हुआ तो होस्टल संचालक विरोध करेंगे। अभी हम व्यवसायिक दर से बिजली का बिल, कचरा संग्रहण शुल्क चुका रहे हैं। नगर निगम ने संपत्तिकर के लिए होस्टलों के लिए सेमी-कमर्शियल की अलग श्रेणी निर्धारित की है। 12 प्रतिशत टैक्स लागू हुआ तो अभिभावकों पर बोझ बढ़ेगा बल्कि अधिकारियों की मनमानी भी शुरू हो जाएगी।

भ्रम फैला रहा निर्णय

जीएसटी लागू होने के बाद भिन्न-भिन्न राज्यों की एडवांस रूलिंग अथारिटी ने एक ही विषय पर अलग-अलग निर्णय दिए हैं। इससे व्यवसायियों के बीच भ्रम की स्थितिया निर्मित हो रही हैं। ताजा होस्टल का निर्णय भी परेशानी बढ़ाने वाला साबित होगा। समाधान के लिए एक सेंट्रल एडवांस रूलिंग अथारिटी होना चाहिये, जो पूरे देश एडवांस रूलिंग अथारिटी की रूलिंग को नियंत्रित कर भ्रम और परेशानी से बचा सकें।

आरएस गोयल, कर सलाहकार