ग्वालियर : नगर निगम पीएचई में घोटाला …
पीएचई में घोटाला:निगम ठेकेदार को पेमेंट हुआ, बोगस फर्म के दस्तावेज मिले, मुख्य अभियंता ने खंड-1 के दफ्तर में रिकॉर्ड देख
पीएचई से नगर निगम के ठेकेदारों को भी भुगतान हुआ है। इससे साफ है कि 16.42 करोड़ रुपए का घोटाला अकेले एक दो कर्मचारियों का नहीं है। इसमें कुछ अधिकारियों की भी साठगांठ हो सकती है ? विभाग के अफसरों ने दफ्तर में रखे रिकॉर्ड की जांच की। इन्हें एक बोगस फर्म के पांच बिल ऐसे मिले जिनमें तीन करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान हुआ है। पांच ऐसे कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, जिनका निधन हो चुका है, पर इनके नाम पर दूसरे लोगों के खाते में पैसा डाला गया।
पीएचई में 16 करोड़ 42 लाख 13 हजार 33 रुपए के संदिग्ध भुगतान की जांच ट्रेजरी की स्पेशल टीम कर रही है। जांच टीम के मुखिया अशोक श्रीवास इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। दूसरी तरफ पीएचई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को संधारण खंड क्रमांक-1 पहुंचकर घोटाले से जुड़े दस्तावेज देखे। इन्हें मां पीतांबरा हथकरघा वस्त्र उद्योग पाताली हनुमान के 3 करोड़ से अधिक के पांच बिल ऐसे मिले जिनको भुगतान किया गया। यह बिल वर्ष 2018-19 के हैं। मुख्य अभियंता पीएचई आरएलएस मौर्य ने इसकी पुष्टि की।
उन्होंने कहा कि बिलों पर कार्यपालन यंत्री के हस्ताक्षर नहीं हैं। कुछ बिलों पर हस्ताक्षर हैं वह भी फर्जी लग रहे हैं। मौर्य ने कहा कि वे खुद पीएचई दफ्तर गए थे। उन्होंने कहा कि पीएचई के वेतन मद से नगर निगम के ठेकेदारों को भुगतान हुआ है। दिवंगत हो चुके पांच पुराने कर्मचारियों के नाम से दूसरे लोगों के खाते में पैसा डालने के सबूत मिले हैं। एक बिल पर अधिकारी के मोबाइल के स्थान पर कर्मचारी हीरालाल का मोबाइल नंबर लिखा है। इससे साफ है कि ओटीपी अधिकारी के बदले उक्त कर्मचारी के पास पहुंचे होंगे।
जांच होते ही दो दिन में 1.50 करोड़ रुपए हुए जमा
बुधवार को कुछ इंजीनियर घोटाले के मुख्य आरोपी दो कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचे। टीम झांसी रोड थाने व एसएसपी दफ्तर पहुंची पर जांच पूरी न होने से दोषियोें पर एफआईआर नहीं हो सकी है। इस मामले में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की मदद ली जाएगी। दूसरी तरफ वरिष्ठ कोषालय अधिकारी अरविंद शर्मा ने कहा कि बुधवार को 50 लाख रुपए और जमा हुए हैं। दो दिन में 1.50 करोड़ रुपए घोटाले से जुड़े लोग जमा करा चुके हैं। शर्मा ने कहा कि तकनीकी कारणों से सिस्टम पर रिपोर्ट दिखाई न देने से डिटेल पता नहीं चल सकी है।