नाम बदलकर यौन संबंध बनाना महंगा पड़ेगा ?

नए कानून में 10 साल की सजा; क्या ये ‘लव जिहाद’ रोकने की कोशिश

मोदी सरकार ने अंग्रेजों के बनाए 3 मूलभूत कानूनों को खत्म करके 3 नए कानून लाने का प्रस्ताव रखा है। 

2014 का मामला है। हरिद्वार में रहने वाली सोनिया की मुलाकात राहुल नाम के शख्स से होती है। राहुल अक्सर गंगा आरती देखने हरिद्वार के गंगा घाट पर जाता था। दोस्ती प्यार में बदली और दोनों ने शादी कर ली। 9 साल साथ में रहने के बाद 2023 में सोनिया को पता चला कि उसके पति का असली नाम राहुल नहीं, अजहर अहमद है। सोनिया ने हरिद्वार के कनखल पुलिस थाने में अपने पति के खिलाफ केस दर्ज कराया है।

पहचान छिपाकर या बदलकर शादी के मामले अकसर खबरों में आते रहते हैं, लेकिन अब ऐसा करना महंगा पड़ सकता है। नए प्रस्तावित कानूनों में मोदी सरकार ने नाम बदलकर यौन संबंध बनाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया है।

11 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा, ‘ ​​नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान किया गया है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि अपनी पहचान छिपाकर और झूठे वादे करके महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में लाया जा रहा है।’

भारतीय न्याय संहिता की धारा 69

प्रस्तावित कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 के पांचवें हिस्से के सेक्शन 69 में इस तरह के अपराध का जिक्र किया गया है। अगर कोई शख्स अपना नाम छिपाकर या नाम बदलकर धोखे के इरादे से किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है, तो इसे अपराध माना जाएगा। ऐसे अपराध को रोकने के लिए सरकार ने नए कानून में 10 साल की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया है।

नए कानून के मुताबिक अगर पीड़िता या पीड़ित को उससे संबंध बनाने वाले से जुड़े तथ्य की गलत जानकारी है, तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसने यौन संबंध के लिए सहमति दी है। अभी IPC की धारा 90 में इसका जिक्र है, लेकिन नए कानून में नाम बदलकर या नौकरी का झूठा प्रलोभन देकर संबंध बनाने की बात को स्पष्ट रूप से अपराध बताया गया है।

अभी IPC में इस तरह अपराध को लेकर क्या कानून है…

अभी के भारतीय दंड संहिता यानी IPC में इस तरह के अपराध को रोकने के लिए स्पष्ट रूप से कोई कानून नहीं है। यदि कोई व्यक्ति धोखे से महिला से शादी करने का वादा कर उसके साथ यौन संबंध बनाता है तो IPC की धारा 376 के तहत केस दर्ज होता है। अदालत मामले को सुनने के बाद अपने विवेक के आधार पर फैसला और सजा सुनाती है।

इस कानून को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक समय के साथ अपराधों का वर्गीकरण हो गया है। अपराध को अंजाम देने के तरीके बदले, लेकिन कानूनी प्रावधान में बदलाव नहीं हुआ। ऐसे में पुराने कानूनों के मुताबिक ही केस दर्ज होने लगे, जिससे दिक्कतें होने लगीं। इसलिए स्नैचिंग, आतंकवाद, साइबर अपराध, समलैंगिकता और मॉब लिंचिंग आदि के बारे में नए बिल में प्रावधान हैं।

रेप के मामलों में भी दो तरह की शिकायत आ रही थी। पहला– झूठा प्रलोभन देकर यौन शोषण, दूसरा– जबरदस्ती यौन संबंध। आमतौर पर यौन शोषण के मामलों में IPC की धारा 375 और 376 के तहत पुलिस रेप का केस दर्ज कर रही थी।

ऐसे में न्याय प्रक्रिया और सजा तय करने के दौरान कोर्ट में दिक्कत आ रही थी। यही वजह है कि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े इस कानून को अब दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया गया है।

पहला हिस्सा यानी झूठा प्रलोभन देकर यौन शोषण करने के मामले को अब नए कानून के सेक्शन 69 में शामिल किया गया है। वहीं, दूसरे हिस्से यानी जबरदस्ती संबंध बनाने या रेप को सेक्शन 63 में रखा गया है। इससे जुड़ी सजा को सेक्शन 64 में रखा गया है। सेक्शन 69 के तहत नाम बदलकर, नौकरी का प्रलोभन देकर या झूठे वादे से यौन संबंध बनाने को अपराध माना गया है। इसके तहत 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

पहली बार तिरुवनंतपुरम (केरल) में सितंबर 2009 में श्रीराम सेना ने लव जिहाद के खिलाफ पोस्टर लगाए थे। इसके बाद 'लव जिहाद' शब्द चर्चा में आया। (सांकेतिक तस्वीर)
पहली बार तिरुवनंतपुरम (केरल) में सितंबर 2009 में श्रीराम सेना ने लव जिहाद के खिलाफ पोस्टर लगाए थे। इसके बाद ‘लव जिहाद’ शब्द चर्चा में आया। (सांकेतिक तस्वीर)

ये कहना कि नया कानून ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए लाया गया है, कितना सही है?
विराग कहते हैं कि हो सकता है कि इस कानून का इस्तेमाल पुलिस लव जिहाद या इस तरह के दूसरे मामले में करे। लेकिन, इस कानून को बनाने का मुख्य उद्देश्य लिव इन रिलेशनशिप, झूठे वादे करके शादी से मुकरने जैसे तेजी से बढ़ रहे मामलों से निपटने के लिए लाया गया है।

मुंबई हाईकोर्ट की सीनियर वकील शिल्पी जैन मुख्य मकसद यौन शोषण और रेप के मामलों से जुड़े कानून को अलग करना है। हालांकि लव जिहाद के संदर्भ में भी इसकी व्याख्या की जा सकती है।

जिस ‘लव जिहाद’ की चर्चा है, भारतीय कानून में उसके बारे में क्या बताया गया है…

  • मौजूदा कानूनों में ‘लव जिहाद’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। किसी भी केंद्रीय एजेंसी द्वारा ‘लव जिहाद’ का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है।’ ये जवाब है गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी का, जो उन्होंने इस साल 4 फरवरी 2020 को केरल में लव जिहाद के मामले को लेकर पूछे गए सवाल पर दिया था।
  • लव जिहाद की कथित परिभाषा कुछ ऐसी है कि मुस्लिम लड़के गैर-मुस्लिम लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाते हैं। फिर उनका धर्म परिवर्तन कर उनसे शादी करते हैं।
  • 2009 में यह शब्द खूब चला था। केरल और कर्नाटक से ही राष्ट्रीय स्तर पर आया। फिर UK और पाकिस्तान तक पहुंचा।
  • तिरुवनंतपुरम (केरल) में सितंबर 2009 में श्रीराम सेना ने लव जिहाद के खिलाफ पोस्टर लगाए थे। अक्टूबर 2009 में कर्नाटक सरकार ने लव जिहाद को गंभीर मुद्दा मानते हुए CID जांच के आदेश दिए ताकि इसके पीछे संगठित साजिश का पता लगाया जा सके।
  • केरल हाईकोर्ट को 2009 में दिए अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया कि लव जिहाद को लेकर देश में कोई संगठित गिरोह नहीं है।
  • 18 अक्टूबर 2018 को हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि NIA ने केरल में लव जिहाद मामले की जांच बंद कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NIA ने केरल में दूसरे धर्म में हुई 11 शादियों की जांच की थी। एजेंसी ने पाया कि इसमें किसी भी मामले में यह नहीं पाया गया कि युवक या युवती को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया हो।
  • सुप्रीम कोर्ट ने एक और मामले में भी NIA से जांच कराई थी, जब एक हिंदू लड़की ने मुस्लिम प्रेमी से शादी करने के लिए मुस्लिम धर्म अपनाया। लड़की के पिता ने लड़के पर बेटी को आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए फुसलाने का आरोप भी लगाया था। खैर, निकला कुछ नहीं और लड़की ने खुद ही सुप्रीम कोर्ट जाकर अपनी प्रेम कहानी बयां की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *