कलियासोत डेम : एनजीटी ने डेम को भी नदी का हिस्सा माना ..33 मीटर नो-कंस्ट्रक्शन जोन का फैसला

आदेश का दायरा बढ़ा:एनजीटी ने डेम को भी नदी का हिस्सा माना…

कलियासोत डेम पर भी लागू होगा 33 मीटर नो-कंस्ट्रक्शन जोन का फैसला …..

डेम के 33 मीटर के दायरे में कुछ होटल और फार्महाउस भी हैं। इनमें कुछ निर्माणाधीन भी हैं ….

कलियासोत नदी के दोनों किनारों पर 33 मीटर (करीब 100 फीट) नो-कंस्ट्रक्शन जोन बनाने का नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का फैसला कलियासोत डेम पर भी लागू होगा। एनजीटी ने डेम को भी नदी का ही हिस्सा मानते हुए नदी की सीमा में इस पर बने डेम और रिजरवायर का भी जिक्र किया है। ऐसे में राज्य शासन को कलियासोत डेम की एफटीएल से चारों ओर भी 33 मीटर तक ग्रीन बेल्ट या ओपन स्पेस सुनिश्चित करना होगा। इस क्षेत्र में होटल और फार्महाउस की संख्या अधिक है। वहीं, नदी क्षेत्र में आवासीय इमारतों की संख्या अधिक है।

529.5 हेक्टेयर में फैला है डेम

जल संसाधन विभाग के रिकाॅर्ड के मुताबिक कलियासोत डेम फुल टैंक लेबल पर डूब क्षेत्र 529.5 हेक्टेयर है। 35.387 एमसीएम जलभराव क्षमता वाले इस बांध से भोपाल और रायसेन की 6194 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होती है। केंद्र सरकार के निर्देश पर कलियासोत नदी के पुनर्जीवन के लिए 2019 में एक एक्शन प्लान बनाया था।

इसमें सबसे पहले समरधा से मंडीदीप के बीच 13 किलोमीटर के हिस्से को प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त किया जाना था। इसके अलावा नदी को गंदा करने वाले 5 नालों पर एसटीपी लगाए जाने थे। इनमें मिसरोद नाला, मंडीदीप का नाला नंबर-1, नाला नंबर-2, नाला नंबर-3 पर एसटीपी स्थापित किए जाने थे। इसके साथ शाहपुरा झील के ओवरफ्लो और कोलार रोड नाला के एसटीपी को अपग्रेड करना था। शाहपुरा झील में मैनिट और पंचशील नाले के साथ ही चार इमली और चूना भट्टी का सीवेज मिलता है।

कलेक्टरों की रिपोर्ट संदिग्ध, कोर्ट कमिश्नर जांचेंगे क्षिप्रा का पानी

एनजीटी ने क्षिप्रा को लेकर इंदौर, उज्जैन, देवास और रतलाम जिलों के कलेक्टरों की रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए इनकी तथ्यात्मक जांच और भौतिक सत्यापन के लिए दिल्ली के चार वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिया। चारों वकील मौके पर जाकर जमीनी हालात और कलेक्टरों के दावों की पड़ताल कर एक माह में अपनी रिपोर्ट देंगे। कलेक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में क्षिप्रा के पानी को साफ बताया था।

एनजीटी ने पूछा- फिर पानी डी-कैटेगरी का क्यों

पीसीबी के मुताबिक क्षिप्रा के कैचमेंट से जुड़े इंदौर, उज्जैन, देवास व रतलाम के कुल 72 उद्योंगो पर केस हैं। इनमें से 68 ऐसे हैं जो वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट के बाद नालों में बहाते हैं। उद्योग ट्रीटेड वाटर गार्डन में इस्तेमाल करते हैं। एनजीटी ने पूछा कि किस उद्योग के पास कितनी जमीन है? ब्योरा बताइए, इसका कोई जवाब पीसीबी अफसर व सरकारी वकील नहीं दे सके।

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