एक देश एक चुनाव लागू होना पक्का? जानें विधि आयोग ने क्या दी थी रिपोर्ट

एक देश एक चुनाव लागू होना पक्का? जानें विधि आयोग ने क्या दी थी रिपोर्ट
मोदी सरकार तेजी से एक देश एक चुनाव की ओर बढ़ती दिख रही है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी हलचल ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है. लॉ कमिशन इसको लेकर पांच साल पहले ही अपने इनपुट दे चुका था.

एक देश एक चुनाव पर तेजी से बहस शुरू हो गई है. केंद्र सरकार का संसद का विशेष सत्र बुलाना, फिर पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई में एक कमेटी का गठन करना ये सब एक देश एक चुनाव की ओर आगे बढ़ने के संकेत दे रहा है. इस बीच भारतीय विधि आयोग की पांच साल पुरानी एक रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें उसने देश में इस फॉर्मूले को जल्द से जल्द लागू करने का सुझाव दिया था.

दरअसल, साल 2018 में एक देश एक चुनाव का मसला शुरू हुआ था, तब विधि आयोग ने सिफारिश का एक मसौदा तैयार किया था. इसमें कहा गया था कि अगर देश को लगातार चुनावी मोड से मुक्त करना है तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही कराने होंगे. इसमें ये तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से देश में सार्वजनिक धन की बचत होगी, साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था, सुरक्षाबलों का बोझ कम होगा.

आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करने की भी सिफारिश की थी, ताकि एक कैलेंडर में पड़ने वाले सभी उपचुनाव एक साथ आयोजित किए जा सकें. पिछले संसद सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि लोकसभा और विधानसभा के एक साथ चुनाव के लिए एक व्यवहारिक रोडमैप और रूपरेखा तैयार करने के लिए मामला अब आगे की जांच के लिए विधि आयोग को भेजा गया है, इसे लागू करने के लिए 5 अनुच्छेदों में संविधान संशोधन करना पड़ेगा, जिसमें अनुच्छेद 356 भी शामिल होगा.

एक देश एक चुनाव पर अबतक क्या हुआ?

  • मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया. इस दौरान पांच बैठकें होंगी, जिनमें अहम मसलों पर चर्चा होगी. अभी ये साफ नहीं है कि इसमें एक देश एक चुनाव का बिल होगा या नहीं.
  • पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक कमेटी बनाई गई है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इस कमेटी में पूर्व सीजेआई, पूर्व चुनाव आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी हो सकते हैं.
  • केंद्र सरकार के बड़े अधिकारियों को संसद के विशेष सत्र के दौरान दिल्ली में रहने का आदेश दिया गया है. कोई भी अधिकारी बिना पीएमओ की अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जाएगा.

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