बिना डॉक्टर से पूछे दवा खाने वाले हो जाएं सावधान ?
सेल्फ मेडिकेशन या स्व-चिकित्सा का मतलब है अपनी बीमारियों के बारे में गूगल या इंटरनेट से पता करना और कम से कम जानकारी के आधार पर बिना किसी विशेषज्ञ की देखरेख के दवाएं लेना। इस आदत के स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। कई अध्ययनों में लंबे समय तक पेनकिलर या ओवर-द-काउंटर मेडिसिन लेने के कारण किडनी और कई अन्य अंगों के फेलियर का खतरा भी देखा जाता रहा है।
इसी से संबंधित एक हालिया रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बताया कि दर्द निवारक दवाओं के बार-बार या अधिक सेवन के कारण हार्ट अटैक और आंतरिक रक्तस्राव होने का जोखिम हो सकता है।

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अमर उजाला से बातचीत में नोएडा स्थित एक अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, डॉक्टर से परामर्श किए बिना सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में भी खुद से दवा लेना अच्छा अभ्यास नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा सेल्फ मेडिकेशन के परिणामस्वरूप समस्याओं का गलत निदान और अनुचित उपचार हो सकता है, जिससे संभावित रूप से दीर्घकालिक नुकसान होने का खतरा रहता है।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या के लिए इसे एक कारण माना जा सकता है, जो वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम कारक है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के कारण ऐसी स्थिति हो सकती है जब आपको दवाओं की सख्त जरूरत होगी पर उनका असर नहीं होगा।

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द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते गंभीर खतरे को लेकर सावधान किया है। एक वैश्विक विश्लेषण के अनुसार साल 1990 से 2021 के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रेजिस्टेंस के कारण दुनियाभर में हर साल एक मिलियन (10 लाख) से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। वैज्ञानिकों ने चिंता जताते हुए कहा कि ये संकट और भी बढ़ता जा रहा है। अगर इस दिशा में तुरंत सुधार वाले बड़े फैसले न लिए गए तो अगले 25 सालों में 39 मिलियन (3.9 करोड़) यानी करीब चार करोड़ लोगों की जान जा सकती है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रेजिस्टेंस तब होता है जब बैक्टीरिया या कवक जैसे रोगाणुओं को मारने के लिए बनाई गई दवाओं के प्रति ये रोगाणु बचाव की क्षमता विकसित कर लेते हैं। एंटीबायोटिक दवाएं मुख्यरूप से संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों को खत्म करने के लिए दी जाती हैं, पर एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की स्थिति में ये दवाएं काम करना ही बंद कर देती हैं। इस स्थिति में दवा लेने पर भी रोगाणु मरते नहीं बल्कि और बढ़ते रहते हैं। ऐसे में संक्रमणों का इलाज करना कठिन और असंभव भी हो सकता है।
एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक सेवन और इसके दुष्प्रभावों के अलावा पेनकिलर दवाओं के बार-बार सेवन के कारण भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। इससे किडनी डैमेज होने का खतरा तो रहता ही है साथ ही कुछ लोगों में पेनकिलर के अधिक सेवन के कारण हार्ट अटैक होने का भी खतरा हो सकता है।
इसी से संबंधित यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि जो लोग पहले से ही खून को पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं, अगर वह बिना डॉक्टरी सलाह के अक्सर इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन जैसी गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (NSAID) भी लेते रहते हैं तो उनमें आंतरिक रक्तस्राव का जोखिम दोगुना हो सकता है। इन दवाओं को दर्द निवारक के रूप में जाना जाता है।
डॉ श्रेय कहते हैं, बीमारियों से बचाने में दवाएं जितनी मददगार हैं, वहीं इनके दुरुपयोग या बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाओं के सेवन के कई नुकसान भी हैं। इसलिए जरूरी है कि अपनी बीमारी को लेकर सही विशेषज्ञ से सही निदान और उसी आधार पर दवा प्राप्त करें। ओवर-द-काउंटर किसी भी दवा के सेवन से बचा जाना चाहिए। आप ये नहीं जानते हैं कि शरीर के भीतर क्या दिक्कत है, ऐसे में बिना विशेषज्ञ की सलाह के कोई भी दवा लेने से फायदे की जगह नुकसान होने का खतरा हो सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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