एमपी में साइबर ठगी के हर साल एक लाख केस ?
एमपी में साइबर ठगी के हर साल एक लाख केस …..
जॉब और लोन ऑफर करते हैं जालसाज; मॉर्फिंग कर अश्लील फोटो-वीडियो वायरल कर फंसाते हैं
मध्यप्रदेश में ऑनलाइन लोन और जॉब के नाम पर बेरोजगार युवा ठगे जा रहे हैं। जालसाज जरूरत के हिसाब से लोन या जॉब ऑफर लेटर देते हैं। किसी ने लोन लिया है तो किस्त जमा करने का दबाव बनाते हैं। जालसाजों ने जॉब ऑफर की है तो कमीशन या टैक्स के नाम पर रुपए मांगते हैं। रुपए नहीं देने पर जालसाज मॉर्फिंग कर अश्लील फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी देते हैं। चाइल्ड और वीमेन पॉर्नोग्राफी तक के मामलों में फंसाया जाता है। स्टेट साइबर सेल में हर साल ऐसी एक लाख से ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। सबसे ज्यादा मामले जॉब के नाम पर ठगी के हैं। अकेले भोपाल में बीते 8 महीने में ऐसे 730 केस सामने आ चुके हैं
दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि एमपी में दर्ज सभी केसों को 180 लोगों की टीम हैंडल करती है। स्टेट साइबर सेल के ADG योगेश देशमुख कहते हैं कि जब तक हम जालसाजों के किसी एक तरीके को क्रैक करते हैं, वो ठगी का दूसरा तरीका इजाद कर लेते हैं। आइए, पूरे मामले को दो केस से समझते हैं।
आईटी से इंजीनियरिंग कर चुके जबलपुर के विजय के पास फोन आया कि विदेश की एक कंपनी वर्क फ्रॉम होम जॉब दे रही है। एक इंटरव्यू के घंटेभर बाद 10 लाख रुपए सालाना का ऑफर लेटर भी विजय के पास आ गया। फिर कंपनी की ओर से एक महिला ने बताया कि उनके देश में कानून है कि हर एम्प्लाई को सरकार को सालाना पैकेज का 10 प्रतिशत टैक्स देना होता है। ये टैक्स एडवांस पे होता है। इसे किस्तों में भी दिया जा सकता है।
विजय झांसे में आ गए और दो किस्तों में 40 हजार रुपए कंपनी के अकाउंट में डाल दिए। वह तीसरी किस्त देते इससे पहले उनके दोस्त ने उन्हें सतर्क कर दिया। विजय ने पैसे नहीं डाले। कंपनी वाले कहने लगे कि आप जल्दी से टैक्स जमा कीजिए नहीं तो ये नौकरी आपके हाथ से चली जाएगी। विजय ने साइबर सेल में शिकायत की। जांच में पता चला कि ये खाता नॉर्थ-ईस्ट के किसी स्टेट का था।
भोपाल में जुलाई में एक फेमिली सुसाइड का केस सामने आया था। इसमें क्रिमिनल्स ने पहले युवक को लोन फ्रॉड में फंसाया, फिर पैसा नहीं लौटाने पर उसकी अश्लील तस्वीर बनाकर वायरल कर दी। उस युवक ने मानसिक तनाव में आकर दो बेटों को जहर देने और पत्नी समेत सुसाइड करने का फैसला किया। मामले में जांच हुई तो पता चला जालसाजों के तार चीन तक जुड़े हुए हैं।
सरकार साइबर क्राइम को लेकर कितनी संजीदा है। इसके लिए एमपी विधानसभा का 20 मार्च के प्रश्नकाल का एक हिस्सा पढ़िए…
एमपी में हर साल साइबर अपराधों में 33% की वृद्धि हो रही है। क्या गृहमंत्री सदन को बताएंगे ऐसा क्यों हो रहा है? ये सवाल मंदसौर से भाजपा विधायक यशपाल सिंह ने अपनी ही सरकार से किया था।
जवाब में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया था कि पिछले सालों में 10 लाख 71 हजार 994 लोगों को जागरूक किया है।
इस सामान्य जवाब से विधायक संतुष्ट नहीं होते। वो अगला सवाल करते हैं क्या साइबर मुख्यालय भोपाल में तकनीकी तौर पर क्रिटिकल केस की जांच के लिए एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है? क्या क्षेत्रीय थानों में बेसिक फोरेंसिक लैब और एडवांस्ड डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब की स्थापना की जा रही है?
मंत्री जी जवाब देते हैं, हां लैब की स्थापना की गई है। जहां नहीं हुई है वहां प्रक्रिया जारी है।
विधायक यशपाल सिंह फिर सवाल करते हैं- राज्य में एक भी साइबर एक्सपर्ट नहीं, मंत्री जी आप ये बताइए अपराध कम कैसे होंगे?
विधायक सिंह आंकड़ों के साथ अपनी बात रखते हैं और बताते हैं कि राज्य के 60 थानों में अब तक कुल 1643 लोगों के साथ 71 करोड़ 7 लाख 17498 रुपए की ठगी हो चुकी है। सबसे ज्यादा ठगी 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच यानी कोविड काल में की गई है। इस एक साल में 444 केस में 29 करोड़ 1 लाख 60 हजार 800 रुपयों की साइबर ठगी हुई है।
इसके बाद डॉ. नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि अगले तीन महीने में मैं एक्सपर्ट की नियुक्ति कर दी जाएगी।
आप सोचेंगे कि हम विधानसभा की कार्यवाही आपको क्यों बता रहे हैं। ये इसलिए क्योंकि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को सदन में ये बात कहे पांच महीने पूरे होने को है, लेकिन साइबर अपराध रोकने के लिए अभी तक कोई भी एक्सपर्ट कमेटी नहीं बनी है।
अब हाल के दो केस से समझिए कि जनता कितनी जागरूक है…
अनजान फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की, लड़की ने न्यूड वीडियो कॉल कर रिकॉर्ड किया
20 अगस्त को भोपाल के मिंटो हॉल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कार्यक्रम चल रहा था। इसी बीच सरकारी कर्मचारी आशुतोष के फोन में वाट्सऐप पर वीडियो कॉल आया। वो हड़बड़ा कर सभा से बाहर निकलते हैं। इसके बाद कॉल एक्सेप्ट करते हैं। कॉल उठाते ही उनकी स्क्रीन पर एक लड़की दिखती है। वो एक-एक कर अपने सारे कपड़े उतार रही है। आशुतोष पहले तो कुछ समझ नहीं पाते कि क्या हो रहा है। मामला जब तक उनकी समझ में आया वीडियो कॉल रिेकॉर्ड हो चुका था।
इसके बाद उनके फोन पर धड़ाधड़ कॉल आने शुरू हो जाते हैं। आशुतोष एक भी कॉल पिक नहीं करते। उनके वाट्सऐप एक दूसरे नंबर से फोटो आना शुरू हो जाते हैं। डिमांड आती है कि फोन उठाइए, नहीं तो सारी फोटो वायरल कर दी जाएंगी। दुनियावालों को सब पता चल जाएगा। वो रिएक्ट नहीं करते, लेकिन 22 अगस्त को उनके पास मैसेज आता है कि हैलो… आई एम संजय अरोड़ा, आईपीएस दिल्ली। आपको अगले 12 घंटे में अरेस्ट कर लिया जाएगा। कॉल नहीं उठाएंगे तो भी आप बचने वाले नहीं हैं।
आशुतोष परेशान हो जाते हैं। फेमिली में वो किसी से ये बात साझा भी नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में उन्होंने अपने एक दोस्त से राय ली। दोस्त ने उन्हें बताया सारे नंबर्स ब्लॉक करो और फेमिली से बात करो। आशुतोष ने ऐसा ही किया और परिवारवालों ने कहा कि हम तुम्हारे साथ हैं, डरने की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद आशुतोष उन कॉल्स से नहीं डरे।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस पूरे घटनाक्रम में आशुतोष की क्या गलती है? दरअसल, वीडियो कॉल आने से पहले आशुतोष के फेसबुक पर आरती महेश्वरी नाम की एक लड़की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी। आशुतोष और आरती के कुछ कॉमन फ्रेंड शो हो रहे थे। उन्होंने बिना सोचे रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली।
इसके बाद आरती उन्हें गुड मॉर्निंग और गुड नाइट के मैसेज भेजने लगी। धीरे-धीरे बात बढ़ी तो आरती ने बताया वो दिल्ली में रहती है। SBI लाइफ में काम करती है। दोनों ने इसके बाद फोन नंबर भी एक्चेंज हो गए। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 20 अगस्त को आशुतोष को पता चलता है कि वो दलदल में फंस गए हैं। कुल मिलाकर आशुतोष अपनी ही गलती से इस पूरे खेल का हिस्सा बने थे।
पांच लाख का लोन पाने के लिए 1 लाख 64 हजार ठग को दे दिए
30 जुलाई को भोपाल साइबर टीम ने 33 साल के मोहित स्वामी को राजस्थान से गिरफ्तार किया। ये राजस्थान में बैठकर एमपी के लोगों को लोन दिलाने के नाम पर ठग रहा था। लड़का सिर्फ 12वीं पास है। इसने रोकड़ावाले के नाम से वेबसाइट बनाई हुई थी। आरोपी ने भोपाल के कल्पना नगर में रहने वाले अश्विन को लोन देने के नाम पर फंसाया था, जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ।
अश्विन ने बताया कि उन्हें पांच लाख रुपए की जरूरत थी। उन्होंने लोन के लिए रोकड़ावाले पर एप्लाई किया। कुछ दिन बाद उनसे बैंक और पैन कार्ड की जानकारी मांगी गई। उन्होंने वो भी कंपनी को फॉरवर्ड कर दी। तीन दिन बाद उनके फोन पर मैसेज आया कि लोन पास हो गया है। प्रोसेसिंग फीस जमा करने के बाद अमांउट खाते में डाल दिया जाएगा। उन्हें एक UPI आईडी भेजी गई। इसमें अश्विन ने पैसे भी डाल दिए। इसके बाद डिमांड बढ़ती गई और अश्विन ने 12 किस्तों में मोहित को 1 लाख 64 हजार रुपए भेज दिए। इसके बाद भी लोन नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस में शिकायत करने की बात कंपनी से कही। इसके बाद कंपनी ने अश्विन को जवाब देना ही बंद कर दिया।
साइबर टीम ने एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त में बताया कि अश्विन अकेले नहीं हैं। हमारे पास अधिकतर केस ऐसे ही आते हैं जिसमें लोग बिना सोचे-समझे लालच में आकर पैसे देते चले जाते हैं। जब सब रास्ते बंद हो जाते हैं, तब हमारे पास आते हैं। हैरानी तो तब होती है जब पेशेवर लोगों को भी पांचवीं, आठवीं और बारहवीं पास वाले आसानी से ठग ले जाते हैं। इस केस को ही देख लीजिए अश्विन प्रोफेशनल सिंगर हैं।
भोपाल में सबसे ज्यादा ठगी नौकरी देने के नाम पर
इस मामले में क्राइम ब्रांच डीसीपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी से बात की तो उन्होंने बताया भोपाल में हर महीने नौकरी के नाम पर साइबर फ्रॉड से जुड़ी 91 से ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। पिछले 8 महीनों में राजधानी के 730 लोगों से जालसाजों ने 2 करोड़ से ज्यादा ठग लिए हैं।
हालांकि, ये लेखा-जोखा केवल उन लोगों की ही शिकायतों का है जो जोन कार्यालय तक पहुंचे थे। कॉल पर मिली शिकायतों का ब्योरा भी शामिल करें तो इस साल अब तक दो हजार से ज्यादा लोगों को जालसाज फांस चुके हैं। ठगी गई रकम 6 करोड़ से हो सकती है। हमारे पास इस साल सबसे ज्यादा शिकायतें जॉब के नाम धोखाधड़ी को लेकर दर्ज हुई हैं। हैरानी की बात है 730 में से केवल 5 शिकायतों में ही अपराध कायम किए गए हैं। इसका मतलब है कि साइबर के मामलों में 0.6% शिकायतों पर ही FIR की जा रही है।