जंक फूड की बदती खपत सेहत के लिए बा खतरा ?

नव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पिछले बरसों में दुनिया भर में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रयास हुए हैं। इन प्रयासों का नतीजा औसत उम्र बढ़ने के रूप में सामने आया भी है। लेकिन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खान-पान को गले लगाकर ऐसे प्रयासों को विफल करने का काम भी कम नहीं हो रहा। चॉकलेट से लेकर कोल्ड ड्रिंक तक, बिस्कुट से लेकर भुजिया तक और दूसरे पैकेज्ड फूड में निर्धारित मानक से ज्यादा पाई जाने वाली शुगर व फैट की मात्रा मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि कर रही है। चिंता की बात यह है कि ऐसे खान-पान पर कानूनी अंकुश लगाने के प्रयास हमारे यहां भी विशेष नहीं हो रहे।
पोषण पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘न्यूूट्रिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट’ (नापी) का अध्ययन सचमुच चौंकाने वाला है जिसमें यह पाया गया है कि 43 पैकेज्ड फूड में से एक तिहाई में शुगर, फैट और सोडियम की मात्रा तय मानकों से अधिक थी। इस अध्ययन के नतीजों को देखें तो भारत में भी लोगों के खान-पान में आ रहे बदलाव को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है। ऐसा इसलिए भी कि तमाम अध्ययनों से लेकर विशेषज्ञों की राय यही उभर कर सामने आई है कि नमक और चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थ दिल से जुड़े रोगों का खतरा बढ़ा सकते हैं।

सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए खान-पान की तरफ ध्यान देना जरूरी है। जंक फूड का अधिक सेवन बच्चों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा है। लुभावने विज्ञापन बच्चों को जंक फूड की तरफ जिस तरह आकर्षित करते हैं, अभिभावकों के लिए भी बच्चों को जंक फूड से दूर रखना मुश्किल हो जाता है। चिकित्सक यह बताते तो हैं कि स्वस्थ रहने के लिए हमें डाइट में नमक, चीनी और तेल की मात्रा सही लेनी चाहिए, लेकिन दैनिक खान-पान से जुड़ी ये चीजें कितनी मात्रा में लेनी चाहिए इसका अधिकांश लोगों को पता ही नहीं होता। बदलती जीवनशैली से खान-पान में बदलाव तो खूब हो गया लेकिन लोगों की शारीरिक श्रम, व्यायाम आदि करने की आदत छूटती जा रही है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदयरोग व कैंसर जैसे जानलेवा रोग जंक फूड की बढ़ती खपत से हो रहे हैं, यह भी सभी जानते हैं।

हैरत की बात यह है कि तमाम चेतावनियों के बावजूद पैकेज्ड फूड पर शुगर, नमक व दूसरे अवयवों की मौजूदगी का उल्लेख भले ही हो रहा है लेकिन ये तय मानकों से ज्यादा हैं, इसका उल्लेख होता ही नहीं। लोगों को सेहतमंद रखने के जतन में जुटीं सरकारों को ही इस दिशा में काम करना होगा। ठोस कानून बनाने के साथ-साथ जागरूकता के प्रयास भी करने ही होंगे।

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