रणनीति से टिकट तक जुदा बिसात ?
भाजपा-कांग्रेस में चुनावी शह-मात: भाजपा ने हारी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस के पाले से शुरू किया खेल तो कांग्रेस ने भी भाजपा की दलबदल की पिच पर ही बल्लेबाजी शुरू कर दी …
विधानसभा चुनाव के सिर्फ 2 महीने बचे हैं। ऐसे में प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के दो जुदा अंदाज और दो जुदा बिसात दिख रहे हैं। भाजपा ने दिल्ली से प्रदेश तक के दिग्गजों को मैदान में जुटाकर 79 टिकट घोषित कर दिए हैं, वहीं कांग्रेस रणनीतिक तौर पर मैदान में पूरी ताकत से जमी है, लेकिन टिकट के मामले में वेट-एंड-वॉच की स्थिति में हैं। दोनों का रणनीति से कैंपेन और टिकट तक अलग अंदाज दिख रहा है। जानिए, किसके क्या दांव हैं और क्या रणनीति..
प्र देश की राजनीति में भाजपा ने इस बार बिल्कुल अलग अंदाज अपनाया है। भाजपा ने अपना खेल कांग्रेस के मैदान से ही शुरू किया है। सबसे पहले चुनाव के तीन महीने पहले ही कांग्रेस के कब्जे व गढ़ वाली सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए और कुल 79 टिकट बांटें, जिनमें 76 सीटें हारी हुई हैं। इनमें से 8 सीटों पर दिग्गजों को उतार दिया। ये ऐसी सीटें थीं, जो सीधे तौर पर कांग्रेस के पास जाती दिख रही थी, लेकिन इन्हें चुनावी गणित में उलझा दिया। भाजपा का दूसरा बड़ा दांव पीएम मोदी से लेकर शाह का सीधे चुनाव पर निगरानी करना है। इसके साथ ही पार्टी ने चुनाव को पूरी तरह मोदी के चेहरे पर केंद्रित कर दिया। पार्टी की अगली रणनीति आचार संहिता लगने तक अधिकतर टिकट घोषित करने की है।
इसके बाद पार्टी में विरोध व भितरघात का डैमेज कंट्रोल शुरू किया जाएगा। इसमें भी रणनीतिक दांव खेलते हुए भाजपा ने 65 बाहरी बड़े नताओं को चुनाव प्रबंधन में उतार दिया है। साथ ही भाजपा ने कांग्रेस की महिलाओं को 1500 व सस्ती गैस जैसी घोषणाओं पर भी कब्जा जमा लिया है। इससे कांग्रेस को नए वादों पर फिलहाल चुप्पी साधनी पड़ी है।
हा लांकि कांग्रेस पहले जल्दी टिकट बांटना चाहती थी, लेकिन भाजपा ने जब उससे पहले टिकट बांट दिए, तो उसे वेट-एंड-वॉच की रणनीति अपनानी पड़ी। इसमें सबसे बड़ी रणनीति भाजपा सरकार की घोषणाओं और एक के बाद एक ऐलान पर संयम बरतने की रही। अब संभवत: कांग्रेस आचार संहिता लगने का इंतजार कर रही है, ताकि अपने पिटारे से नए वादे निकालकर चुनावी खेल को अपने पक्ष में कर सके। इस बीच कांग्रेस ने 66 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय करके रख लिए हैं और जिनके नाम तय हैं, उन्हें मौखिक रूप से चुनाव में जुटने का निर्देश भी दे दिया है। और फिर कांग्रेस की निगाहें भाजपा के असंतुष्टों पर भी हैं क्योंकि अगर उन्होंने भाजपा छोड़ी तो उन्हें टिकट देकर कांग्रेस जीतने की रणनीति बना सकती है। इसके अलावा टिकट घोषित होने के बाद कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल की रणनीति भी बना रखी है।
कांग्रेस की चाल
6 महीने पहले से काम।नारी सम्मान, सस्ती गैसजैसी गारंटी से कैम्पेनिंग।
भाजपा व अन्य दलों सेएक के बाद एक बड़ी संख्या में दल-बदल कराएं।
कमलनाथ ने रणनीति, दिग्विजय सिंह ने मैदानी समन्वय संभाला। टिकट अभी रोके।
घोषणा-पत्र पर गंभीरकाम। अभी घोषणाएं आचारसंहिता के लिए रोकीं।
दिल्ली की धमक कोभी रखा। राहुल-प्रियंका की सक्रियता बनाए रखी।
किसके लिए कहां चुनौती ज्यादा
ये अहम दांव
सरप्राइज टिकट बांटना,मापदंड सिर्फ जिताऊ चेहरा।
बड़े चेहरों को उतारा, इससे आस-पास की सीट तक असर।
कांग्रेस के कब्जे वालीसीटों की सबसे पहले घेराबंदी।
भितरघात-नाराजगी संभालने अलग से नेताओं की टीम।
बाहरी राज्यों के बड़े नेताओं को उतारा, अत्यधिक सतर्कता।
भाजपा के लिए मालवा-निमाड़, ग्वालियर-चंबल व महाकौशल
कांग्रेस के लिए विंध्य, बुंदेलखंड और मध्य अंचल
यहां इनका दम
कांग्रेस में अहम किरदार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ही हैं। उनके बाद राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और फिर सांसद रणदीप सूरजेवाला हैं। बाकी दिल्ली से मप्र तक के नेताओं की सीमित भूमिका है।
अहम किरदार
भाजपा में सबसे अहम किरदार पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं। इनके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हैं। बाकी दिग्गजों की पूरी टीम होने के बावजूद फैसले सीधे शीर्ष स्तर से हैं। एक दर्जन बड़े नेता जुटाए गए हैं।
सीटों के गणित से समझिए ……
अंचल कुल सीट भाजपा कांग्रेस अन्य
महाकौशल 38 13 24 01
मालवा-निमाड़ 66 33 30 03
विंध्य 30 24 05 00
बुंदेलखंड 26 17 07 02
मध्य 36 24 12 00
ग्वालियर-चंबल 34 17 16 01