धरातल पर नजर नहीं आता लुभावनी योजनाओं का असर ?

धरातल पर नजर नहीं आता लुभावनी योजनाओं का असर …
वोट की खातिर चुनाव वाले राज्यों में राजनीतिक दलों ने, खास तौर से सत्तारूढ़ दलों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं शुरू कर दी है। जो सत्ता में हैं वे भी और जो नहीं हैं वे भी जनता से ढेरों वादे भी कर रहे हैं। चुनाव वाले राज्यों, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी कमोबेश ऐसा ही दृश्य है। मौजूदा सरकारों द्वारा सत्ताविरोधी लहरों का आवेग कम करने के लिए किए जा रहे उपायों व विपक्ष की सत्ता प्राप्ति की तड़प को इंगित करते पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के अग्रलेख ‘तीसरा पड़ाव’ को प्रबुद्ध पाठकों ने सराहा है। पाठकों का मानना है कि लुभावनी घोषणाओं और योजनाओं का असर धरातल पर नजर नहीं आता। अग्रलेख पक्ष और विपक्ष दोनों को आईना तो है ही यह जनता को सोच-समझकर वोट करने की सलाह देने वाला भी हैं। पाठकों की प्रतिक्रियाएं विस्तार से-
चुनाव वाले राज्यों में कौन बाजी मारेगा, आज इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो। राजस्थान हो या फिर छत्तीसगढ़ या फिर एमपी, सब जगह एक जैसे हाल हैं। जनता सरकार की योजनाओं से खुश भी हैं तो कुछ कमियों से परेशान भी। सरकारें रिपीट होंगी या फिर बदलाव होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकारी योजनाओं का फायदा कितना लोगों तक पहुंच पाया है।

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