प्रकृति से जितना लें, उससे ज्यादा लौटाएं @
जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, जैसे कई खतरों से भू-विविधता पर संकट है। ऐसे में यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय भू-विविधता दिवस हमें इसके संरक्षण की याद दिलाता है।
पृथ्वी की उत्पत्ति से आज तक के इतिहास को समझने के लिए भू-विविधता को समझना आवश्यक है। अत: पृथ्वी पर चट्टानें, खनिज, मिट्टी, जीवाश्म, अलग-अलग जिओलॉजिकल संरचनाएं परम्परागत व प्राकृतिक जल स्रोतों के माध्यम से हम भू-विविधता को समझ सकते हैं। इस बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए यूनेस्को ने वर्ष 2021 में प्रति वर्ष 6 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भू-विविधता दिवस मनाने का निर्णय किया। यह दिवस वर्ष 2022 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इसके माध्यम से विश्व में भू-विविधता के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने से प्रकृति को नजदीक से समझना एवं संरक्षित करना सम्भव है। साथ ही भू-प्रेमियों एवं पर्यटकों पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विभिन्न प्राकृतिक निर्माण के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त हो सकती हैं। इस वर्ष के भू-विविधता दिवस की थीम ‘भू-विविधता सभी के लिए’ रखा गया है।
भू-विविधता को लेकर जागरूकता के लिए जिओ-हेरिटेज वॉक, भू-विविधता और भू-विरासत पर चर्चा की जा सकती है। साथ ही पर्यटकों एवं विद्यार्थियों की जानकारी के लिए आलेख के साथ ही इन स्थानों के रख-रखाव के लिए आमजन की भागीदारी के लिए इन स्थलों पर भू-विविधता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं। जैव विविधता को समझने के लिए भू-विविधता को समझना आवश्यक है।
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक स्मारकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें 10 स्मारक राजस्थान में, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में 4-4, केरल में 2, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, नगालैंड, सिक्किम में एक-एक भू-वैज्ञानिक स्मारक स्थित हैं। जोधपुर एक ऐसी जगह है, जहां पर दो राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक स्मारक एक ही स्थान पर मेहरानगढ़ दुर्ग की पहाड़ियों में स्थित है।
विश्व में 48 देशों में 195 यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क हैं, परन्तु भारत में अभी तक एक भी यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क नहीं है। जिओ हेरिटेज प्रेमी भारत में भू-विविधता अध्ययन के लिए विभिन्न राज्यों में जिओ पार्क स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। जिओ पार्क पृथ्वी पर एक ऐसा एकल एकीकृत भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें, भू-विविधता के साथ-साथ जैव-विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, उस क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास व हाइड्रो-जिओ डायवर्सिटी को समझने के लिए पर्यटकों के लिए विकसित किया गया क्षेत्र है। विश्व में सर्वाधिक यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क चीन में हैं, जिनकी संख्या 34 है। स्पेन में इनकी संख्या 15 और जापान में 9 है। इसी तर्ज पर भारत में भी 100 से अधिक जिओ पार्क विकसित करने की संभावना है। भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की संख्या 42 हो चुकी है। इसमें 34 मानव निर्मित, 7 प्राकृतिक एवं 1 मिश्रित है। भारत के भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा देश में लगभग 100 से अधिक जिओ हेरिटेज साइट को विकसित करने पर काम किया जा रहा है। इनमें ताजमहल, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, अजन्ता व एलोरा की गुफाएं, कुम्भलगढ़, जयपुर शहर भी शामिल है। सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत स्थलों को खतरा भी है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, शहरीकरण, प्रकृति के अत्यधिक दोहन जैसे कई खतरों से भू-विविधता पर संकट है। ऐसे में यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय भू-विविधता दिवस हमें इसके संरक्षण व महत्त्व की याद दिलाता है। ये सभी स्थल हमारी अमूल्य धरोहर हैं, जिनके प्रति जागरूकता रखना जरूरी है और उनकी रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है।
भू-विविधता के संरक्षण के लिए हमें यूनेस्को ग्लोबल जिओ पार्क विकसित करने पर जोर देना चाहिए। जिओ पार्क में जैव-विविधता, हमारी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहर, कला एवं इतिहास, हाइड्रो डायवर्सिटी का समावेश है। इन क्षेत्रों को विश्व के मानचित्र पर पर्यटक स्थलों के रूप में उभारा जा सकता है। ये स्थल पर्यटकों का ध्यान खींचने में कामयाब होंगे। इससे इनके विकास और देखभाल में स्थानीय लोगों का सहयोग भी मिलेगा। रोजगार बढ़ने से स्थानीय लोगों को फायदा होगा और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। अत: अब समय आ गया है कि प्रकृति को निखारने तथा प्रकृति की गोद में छिपे भू-गर्भिक संरचनाओं के खजाने को संरक्षित करने के लिए प्रकृति से हम जितना ग्रहण कर रहे हैं, उसे उससे अधिक लौटाने का संकल्प लें। अंतरराष्ट्रीय भू-विविधता दिवस पर पर सभी को यह संकल्प लेना चाहिए।