नोएडा प्राधिकरण में गड़बड़ियों की जांच… अधिकांश मामले ठंडे बस्ते में

कमेटियां बनाकर रिपोर्ट देना भूला प्राधिकरण, अधिकांश मामले ठंडे बस्ते में

किसी भी मामले में प्राधिकरण बना देता है कमेटी …

कई मामलों में जांच कमेटियों ने अब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं दी….

नोएडा। नोएडा प्राधिकरण में गड़बड़ियों की जांच के लिए कमेटियां तो फौरन बना दी जाती हैं, लेकिन अधिकारी जांच का काम भूल जाते हैं। फिर उक्त कमेटी की अंतिम रिपोर्ट मिलनी छोड़िए, मामला तक ठंडे बस्ते में चला जाता है। नोएडा प्राधिकरण में ऐसे कई मामले हैं, जिनमें जांच कमेटियों ने अब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं दी। कुछ मामलों में रिपोर्ट आई, लेकिन उसमें भी अधिकारियों को जल्दबाजी में क्लीनचिट मिल गई।
ट्विन टावर के मामले में शासन के निर्देश पर एसआईटी ने 30 अधिकारियों-कर्मचारियों और बिल्डर प्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इनमें से कुछ की जांच शासन स्तर पर हो रही है, लेकिन प्राधिकरण स्तर पर करीब 10-12 अधिकारियों की जांच कमेटी कर रही है। वर्तमान समय तक इस पर अंतिम रिपोर्ट नहीं मिली। पहले इसकी जांच नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन एसीईओ कर रहे थे, लेकिन उनके तबादले के बाद अब जांच का जिम्मा ग्रेनो प्राधिकरण के अधिकारी को मिला हुआ है।

स्पोर्ट्स सिटी की जांच कमेटी नहीं कर पाई पूरी
शासन ने स्पोर्ट्स सिटी की जांच के लिए प्राधिकरण के स्तर पर जांच का जिम्मा एसीईओ के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी को दिया था। इस कमेटी ने जांच शुरू की, लेकिन यह जांच पूरी नहीं हो पाई। धीमी गति से चल रही जांच के बाद लोकलेखा समिति ने इस कमेटी के बदले शासन की कमेटी बनाने को कहा। इसके बाद यह कमेटी खुद ब खुद खत्म हो गई।

भंगेल एलिवेटेड रोड की कमेटी का भी काम धीमा
भंगेल एलिवेटेड रोड परियोजना के काम में निर्माण लागत बढ़ने के मामले में सीईओ ने कमेटी का गठन किया था। इनका काम बढ़े हुए निर्माण लागत का आकलन का था। इसके बाद काम शुरू कराना था, लेकिन अब तक यह काम नहीं हो पाया। इस वजह से यह महत्वपूर्ण परियोजना फंसी हुई है। इससे पहले इसी काम में जवाबदेही तय करने के लिए एक और कमेटी बनाई गई थी, जिसे अपनी रिपोर्ट देनी थी और एक्शन लेना था, लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ।

बिल्डर-खरीदार मामले में भी कमेटी नहीं पहुंची अंजाम तक
अमिताभ कांत की रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकरण ने एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी को रिपोर्ट का अध्ययन करते हुए एक ऐसी रिपोर्ट देनी थी ताकि इस मामले का समाधान निकल सके, लेकिन कमेटी ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दे पाई। अब तक इस मामले का समाधान नहीं निकल सका है। इस मामले में प्राधिकरण से लेकर शासन तक उलझा हुआ है।

200 करोड़ के फ्रॉड मामले में दी क्लीनचिट
200 करोड़ के फ्रॉड मामले में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्राधिकरण अधिकारियों को क्लीनचिट दे दी। इस मामले की रिपोर्ट से प्राधिकरण के सीईओ भी खुश नजर नहीं आए। उन्होंने तो यहां तक कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। यह रिपोर्ट बेहद जल्दबाजी में दी गई है।

यही नहीं, प्राधिकरण की कई आंतरिक कमेटियां अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाईं। कई मामले ऐसे हैं, जिनमें कोई बड़ी जांच नहीं चल रही है। बावजूद इसके मामला ठंडे बस्ते में हैं। अभी भी ऐसे मामलों में रिपोर्ट आनी बाकी है। कई मामलों में तो कमेटी ही भूल गई है कि उनको रिपोर्ट भी देनी है।

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