AAP आरोपी बनी तो क्या जेल जाएंगे केजरीवाल ?

AAP आरोपी बनी तो क्या जेल जाएंगे केजरीवाल:पार्टी दोषी साबित हुई तो किसे सजा; शराब घोटाले में आगे क्या होगा

क्या AAP को आरोपी बनाया जा सकता है, दोषी साबित हुआ तो क्या चुनाव लड़ने पर रोक लगेगी, क्या अन्य पार्टी भी लपेटे में आएंगी; 

7 जरूरी सवालों के जवाब सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता से जानेंगे…

सवाल 1: क्या आम आदमी पार्टी को शराब घोटाले में कानूनी तौर पर आरोपी बनाया जा सकता है?
जवाब: हां, AAP को आरोपी बनाया जा सकता है। PMLA कानून की धारा-70 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कंपनियों की भी आपराधिक जवाबदेही तय की गई है। राजनीतिक पार्टियां, कंपनी कानून-2013 के तहत कंपनियों के दायरे में नहीं आती हैं, लेकिन PMLA कानून की धारा-70 के एक्सप्लेनेशन 1 (1) के मुताबिक कंपनी के दायरे में व्यक्ति या फिर व्यक्तियों के समूह भी आ सकते हैं।

पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट की धारा-29A कहती है कि राजनीतिक पार्टियां व्यक्तियों का समूह है। इन दलों का चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन होता है। उन्हें कानूनी तौर पर व्यक्तियों के समूह का दर्जा मिल जाता है। इसके जरिए राजनीतिक पार्टियां इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के साथ टैक्स में अनेक छूट हासिल करते हैं। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी या अन्य पार्टी को PMLA कानून के तहत मनी लांड्रिंग के मामलों में आरोपी बनाया जा सकता है।

सवाल 2: दिल्ली शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने से मौजूदा केस में क्या फर्क पड़ेगा?
जवाब
: ED का कहना है कि शराब घोटाले के पैसों का आम आदमी पार्टी ने दूसरे राज्यों में चुनावों के लिए इस्तेमाल किया है। सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया के जमानत मामले में बहस के दौरान मौखिक टिप्पणियों के आधार पर ED ने अगर आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया तो कानूनी प्रावधानों के अनुसार इसके गंभीर और दूरगामी नतीजे हो सकते हैं। इस बात को कुछ कानूनी उदाहरणों से समझते हैं…

  • PMLA कानून की धारा-2 (1) (U) में आपराधिक धन के अनुसूचित मामलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सभी तरह के लाभार्थी अपराध के दायरे में आ सकते हैं। विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत सरकार मामले में 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इसका जिक्र किया है।
  • PMLA एक्ट की धारा-3 के मुताबिक आपराधिक धन और संपत्ति के छिपाकर रखने या इस्तेमाल से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ PMLA के तहत आपराधिक मामला बनता है। शराब घोटाले में AAP पार्टी को आरोपी बनाने से पार्टी के पदाधिकारी, अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष भी ED के जांच के दायरे में आ सकते हैं।
19 अगस्त को CBI की टीम ने डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा था। उस दिन एक साथ 7 राज्यों में 21 जगहों पर कार्रवाई की गई थी।
19 अगस्त को CBI की टीम ने डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा था। उस दिन एक साथ 7 राज्यों में 21 जगहों पर कार्रवाई की गई थी।

सवाल 3: क्या इससे यह केस चुनावी फंडिंग की ओर शिफ्ट हो सकता है?
जवाब: अगर आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया गया तो पार्टियों की फंडिंग के बारे में बहस शुरू होगी। चुनाव आयोग समेत कई संस्थाओं ने चुनावों में धन के भारी खर्चे पर कई बार गंभीर चिंता जाहिर की है। उम्मीदवारों के खर्चें पर तो कानूनी लिमिट है, लेकिन पार्टियों के खर्चों पर लगाम के लिए कोई सख्त कानूनी व्यवस्था नहीं है।

इमरजेंसी के पहले सरकार और पार्टी का फर्क खत्म करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। उसके बाद धीरे-धीरे केंद्र और राज्य की सभी पार्टियों के सरकारों में पार्टी और सरकार का फर्क खत्म हो गया है। निजी कंपनियों को लाभ देकर पार्टी फंड में पैसा लेती हैं।

चुनावी बॉन्ड नाम से राजनीतिक चंदा देने के छिपे माध्यम से चंदा लेने का मामला कई सालों से कोर्ट में लंबित है, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ गठित करने का आदेश दिया है। चुनाव आयोग ने पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उनकी मान्यता रद्द करने के लिए जून 2022 में केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग की थी। इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

आजादी के बाद 8 दशकों में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को जवाबदेह बनाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था और रेगुलेटर नहीं हैं। शराब घोटाले में AAP पार्टी को आरोपी बनाने से भारत में राजनीतिक दलों की जवाबदेही का एक नया दौर शुरू हो सकता है।

सवाल 4: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पार्टी को आरोपी बनाने पर केस दो मिनट में गिर सकता है, इसका क्या मतलब है?
जवाब: शराब घोटाले से जुड़े कुछ लोग सरकारी गवाह बन गए हैं और कई लोगों को जमानत मिल चुकी है। उसी आधार पर मनीष सिसोदिया के जमानत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है।

सुनवाई के दौरान सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी, उनकी जमानत पर बहस और आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने के कयासों से पूरे मामले में नया टर्न आ सकता है। यह समझना जरूरी है कि अभी आरोपियों की जमानत पर बहस हो रही है।

पूरे मामले की आपराधिकता और वैधानिकता पर PMLA कानून की धारा-43 के तहत गठित विशेष अदालत में ट्रायल और फैसले के बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपीलों की सुनवाई और फैसले में लंबा समय लगेगा। यही वजह है कि दो मिनट में मामले गिरने की सुप्रीम कोर्ट की मौखिक टिप्पणी को शाब्दिक की बजाय कानूनी तरीके से समझने की जरूरत है।

सवाल 5: अगर आम आदमी पार्टी दोषी साबित होती है तो आगे क्या होगा?
जवाब: सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज करने और मुकदमा चलाने को भारत के कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से मान्यता मिली हुई है। आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने के बाद ED को पूरे मामले में नए तरीके से छानबीन करनी होगी।

राजनीतिक दल को आरोपी बनाने को अदालत में पार्टी की तरफ से चुनौती भी दी जाएगी। इस मामले से जुड़े जटिल कानूनी पहलुओं को देखते हुए, उन पर निर्णायक फैसला आने में लंबा समय लग सकता है।

आम आदमी पार्टी के आरोपी बनने पर चुनाव आयोग से पार्टी की मान्यता और चुनाव चिन्ह सस्पेंड करने की मांग हो सकती है। चुनाव चिन्ह आदेश- 1968 के मुताबिक आचार संहिता के उल्लंघन या चुनाव आयोग के आदेश के पालन नहीं करने पर ही पार्टी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

सवाल 6: क्या अरविंद केजरीवाल और पार्टी के दूसरे पदाधिकारी जेल जा सकते हैं?
जवाब: PMLA कानून की धारा-70 के एक्सेप्शन-1 (1) के तहत कंपनी के दायरे में पार्टी को शामिल करने के बावजूद उसके पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल होगा।

इस कानून के धारा-70 के में कम्पनियों की जवाबदेही के लिए डायरेक्टर शब्द की कानूनी व्याख्या की गई है। जबकि पार्टियों के पदाधिकारियों का निर्धारण पार्टी के संविधान और चुनाव आयोग के रजिस्ट्रेशन के अनुसार होता है।

आम आदमी पार्टी के संविधान के मुताबिक निर्णय लेने और पैसे के लेन-देन के लिए जवाबदेह लोगों को ED आरोपी बना सकती है। हालांकि, पैसे के अवैध लेन-देन और हवाला को साबित करने के लिए ठोस सबूत नहीं हुए तो पार्टी और सरकार दोनों के खिलाफ दर्ज किये गए मामले खारिज हो सकते हैं।

सवाल 7: क्या मनीष सिसोदिया, संजय सिंह को जमानत मिल सकती है?
जवाब: PMLA मामले के आरोपियों को जमानत मिलना कठिन है, लेकिन आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने से फोकस सिसोदिया से AAP पर शिफ्ट होगा।

ED के केस की तस्वीर बदल सकती है, जिससे मनीष सिसोदिया के जमानत मामले को मजबूती मिलेगी। सिसोदिया के बचाव पक्ष के मुताबिक उन्होंने आपराधिक धन का कोई लेन-देन नहीं किया और उनके यहां से आपराधिक धन की बरामदगी भी नहीं हुई है।

संजय सिंह की गिरफ्तारी बहुत बाद में हुई है और सिसोदिया को जमानत मिलने से उन्हें भी लाभ मिल सकता है। सत्येंद्र जैन को स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत मिली हुई है। उनके खिलाफ शराब घोटाले से अलग भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के दूसरे मामले चल रहे हैं, इसलिए इन बातों से उनके मामले में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

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