नई नहीं है CBI की असफलता की कहानी ! ये हैं अनसुलझे मामले …

ई नहीं है CBI की असफलता की कहानी, सुलझा न सकी नोएडा के कई बहुचर्चित केस;  
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई भी नोएडा के कई बहुचर्चित मामले नहीं सुलझा सकी। सीबीआई को आरुषि केस में कातिल नहीं मिला। निठारी कांड में भी झटका लगा है। शशांक, प्रवीश चनम और एमिटी छात्र जस्टिन के कातिलों का कोई भी सुराग नहीं लगा है।

नोएडा की कई बहुचर्चित घटनाओं को देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई भी नहीं सुलझा सकी है। कई मामलों में तो सीबीआई ही उलझ गई और आरोपियों को कोर्ट से राहत मिल गई। ताजा मामला निठारी कांड का है। यहां तो सीबीआई की जांच को ही हाईकोर्ट ने कठघरे में खड़ा कर दिया। 

वहीं, अब भी कई मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। करीब दस साल से लापता सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिनव मित्तल मामले की जांच हो या इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर शशांक की मौत का मामला। सभी की जांच सीबीआई की फाइलों में है।

साल 2009 में एमिटी विवि में बीटेक छात्र जस्टिन की मौत, वर्ष 2013 में इंजीनियर अंकित चौहान की हत्या मामले में भी सीबीआई कुछ नहीं कर सकी, जबकि यूपी एसटीएफ ने सीबीआई को मात देकर अंकित चौहान मर्डर का खुलासा कर दिया। 

कानून के जानकारों और सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों के अनुसार, किसी भी घटना में प्राथमिक साक्ष्यों को एकत्रित करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। शुरुआत में ही स्थानीय पुलिस ने इन साक्ष्यों को वैज्ञानिक तरीके से एकत्रित नहीं करती है। जब तक यह मामला सीबीआई तक पहुंचता है तब तक सबूत इधर से उधर हो जाते हैं।

घटना-1
आरुषि हेमराज हत्याकांड : 13 मई 2008, सीबीआई जांच : एक जून 2008

सेक्टर-27 जलवायु विहार में आरुषि तलवार व उसके घरेलू सहायक हेमराज की हत्या की गई। घटना के 17 दिन बाद ही सीबीआई ने जांच शुरू की। सीबीआई ने दो बार अपनी क्लोजर रिपोर्ट बदली लेकिन कोर्ट में दोनों खारिज हो गई। सीबीआई कोर्ट, गाजियाबाद से सजायाफ्ता आरुषि के माता-पिता डाॅ. नूपुर और डाॅ. राजेश तलवार को कोर्ट से जमानत मिल गई और सीबीआई की तमाम दलीलें कोर्ट ने खारिज कर दी।
 
घटना-2
मिटी छात्र जस्टिन हत्या मामला : तीन सितंबर 2009, सीबीआई जांच : 2010

सेक्टर-125 स्थित एमिटी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बीटेक छात्र जस्टिन (18) की स्वीमिंग पूल में मौत हो गई थी। मामले में जस्टिन के परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। इसके बाद सीबीआई ने जांच शुरू की थी। अभी गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है।
 
घटना- 3
अंकित चौहान हत्याकांड : 13 अप्रैल, 2015 : सीबीआई जांच : अक्तूबर : 2015

13 अप्रैल 2013 को सेक्टर-76 स्थित बरौला बाइपास में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। घटना के वक्त अंकित फॉच्यूर्नर से ऑफिस से घर लौट रहा था। मामले की जांच भी सीबीआई कर रही थी। इस हत्याकांड की जांच में सीबीआई चूक गई और यूपी एसटीएफ की टीम ने इस ब्लाइंड मर्डर का खुलासा कर दिया। यूपी एसटीएफ ने दो जून 2017 को खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यह घटना फॉच्यूर्नर लूट के लिए की गई थी।
 
घटना-4
शशांक यादव मर्डर मिस्ट्री : 13 मार्च 2013, सीबीआई जांच : 13 अक्तूबर 2014

इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर शशांक यादव का शव 13 मार्च 2013 को नोएडा स्टेडियम के महिला शौचालय में लटका मिला था। मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन कोई सुराग नहीं मिलने पर इसे सीबीआई को जांच के लिए भेज दिया गया। जांच के बाद भी सीबीआई को अब तक कुछ नहीं मिला। सीबीआई की टीम मामले की जांच कर रही है और इसकी सुनवाई सीबीआई कोर्ट में चल रही है। अब तक किसी आरोपी की पहचान नहीं हुई।
घटना-5
प्रवीश चनम हत्या मामला : नौ सितंबर 2017, सीबीआई जांच : दिसंबर, 2017
मणिपुरी छात्र प्रवीश चनम की मौत संदिग्ध हालात में नोएडा सेक्टर-31 में हो गई थी। वह अपने दोस्तों के साथ ग्रेनो के एक म्यूजिक कंसर्ट में शामिल होने के लिए आया था। रात में ही वह ग्रेनो से संदिग्ध हालात में गायब हो गया और अगले दिन सेक्टर-31 में उसका शव मिला। इस मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई थी। अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इसमें सीसीटीवी फुटेज से लेकर पुलिस से तमाम डॉक्यूमेंट्स सीबीआई ने ले लिए हैं।
घटना-6
अभिनव मित्तल गुमशुदगी मामला : 17 अक्तूबर, 2013, सीबीआई जांच : 21 फरवरी 2018

सेक्टर-15 निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिनव मित्तल की गुमशुदगी के साढ़े चार साल बाद भी पुलिस नहीं ढूंढ पाई। इसके बाद उनके पिता सत्यनारायण मित्तल हाईकोर्ट गए और कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। 21 फरवरी 2018 को सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच शुरू हो गई। अब तक दो दिन अभिनव के बारे में पता करने सीबीआई अधिकारी उनके घर पहुंचे। वहां उनके पिता का बयान दर्ज किया गया।
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कदम-कदम पर लापरवाही… CBI ने शुरुआत जांच में ही कर दी बड़ी चूक; ब्लड सैंपल तक ठीक से नहीं लिए

निठारी कांड के मामले में घटना के खुलासे के करीब 12 दिन बाद सीबीआई ने जांच शुरू कर दी लेकिन हर कदम पर लापरवाही बरती गई। सीबीआई डी-5 कोठी के अंदर किसी हत्या होने के सबूत से लेकर सुरेंद्र कोली के इंसानी मांस खाने जैसे आरोप का कोई सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर सकी और न ही इस मामले की जांच मानव अंगों के तस्करी से जोड़कर की। 

इसके बाद ही हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को राहत दे दी और सीबीआई को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। दरअसल 29 दिसंबर 2006 को निठारी कांड का खुलासा नोएडा पुलिस ने किया था। इसके कुछ दिन के बाद ही मामले की जांच सीबीआई के पास चली गई। 
कोर्ट ने फैसले में यह कहा कि इसका कोई सबूत कभी नहीं दिया गया कि कोई हत्या कोठी डी-5 के अंदर हुई है। अगर वहां कई हत्याएं होती तो घर के अंदर या किसी न किसी सामान पर खून के धब्बे जरूर होते, यानी सीबीआई ने खून के नमूने लेने में भी लापरवाही की या वहां हत्या हुई ही नहीं।

इसी तरह कोली पर आरोप था कि वह इंसानी मांस खाता था। इस पर भी सीबीआई को इंसानी मांस के अवशेष पाए जाने के न सैंपल मिले नहीं कोई सबूत। साथ ही जांच एजेंसियों की तरफ से जिस सफाई करने वाले कपड़े से गला घोंटकर हत्या करने का दावा किया गया था, वह कपड़ा भी कोठी नंबर डी-5 से नहीं मिला। 

सीबीआई ने लापरवाही की हद तब कर दी जब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने निठारी कांड को लेकर मानव अंगों के व्यापार होने के एंगल से जांच करने की सिफारिश की थी लेकिन एजेंसी इस तरह की जांच करने में पूरी तरह से विफल रही, हालांकि अभी इस मामले में सीबीआई के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचा हुआ है।
 
वैज्ञानिक साक्ष्यों पर काम करने का किया था दावा
सीबीआई की टीम ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों अलावा वैज्ञानिक साक्ष्यों पर काम करने का दावा किया था लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले ने जांच एजेंसी के सभी दावों पर पानी फेर दिया। एजेंसी ने कोर्ट के समक्ष अंतिम सीन, ब्लड सैंपल, फॉरेंसिक, डीएनए और कपड़े से लेकर चश्मदीदों से जुड़े भी कोई सबूत नहीं दिए।

कपड़े पर होते थे खून के धब्बे
कांड को याद कर आज भी लापता ज्योति की मां सुनीता गमगीन हो जाती हैं। मंगलवार उन्होंने बताया कि वह पति के साथ कपड़े प्रेस करने का काम करती है। इस कांड से पहले जब डी-5 से कपड़े धोने और प्रेस के लिए आते थे तो उन पर खून के धब्बे होते थे। जब इस बारे में कोली से पूछती थी तो वह रंग लगे होने की बात कहता था।
निठारी बन गया था गुमशुदा तलाश केंद्र
निठारी कांड को याद करते हुए गांव के लोग कहते हैं कि जब इस घटना का खुलासा हुआ था तब गांव की बहुत बदनामी हुई थी। उस वक्त यहां रहने वाले लोग भी परेशान थे। इस सनसनीखेज घटना के खुलासे के बाद निठारी में गुमशुदा तलाश केंद्र बनाया गया था। केंद्र में उस वक्त देशभर के 1500 से अधिक लोग अपने बच्चों और परिचितों की गुमशुदगी का पता लगाने आए थे।
कोठी पर बुलडोजर चलने की अफवाह
मंगलवार को भी सेक्टर-31 स्थित डी-5 कोठी के आसपास मीडिया से लेकर अन्य लोगों का आना-जाना लगा रहा। दोपहर को कोठी के सामने एक बुलडोजर खराब हो गया। इससे लोगों के बीच चर्चा होने लगी कि कोठी पर बुलडोजर चलेगा। जब चालक ने बुलडोजर खराब होने की बात बताई, तब अफवाह पर विराम लगा। थोड़ी देर बाद चालक बुलडोजर को ठीक कराकर ले गया।
निठारी नरसंहार मामले में सुरेंद्र कोली और पंढेर बरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने कहा, पुलिस दोनों के खिलाफ आरोपी साबित करने में विफल रही। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने जांच पर नाखुशी जताते हुए कहा, जांच बेहद खराब थी सबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया। जांच एजेंसियों की नाकामी जनता के विश्वास से धोखाधड़ी है।
 
हाईकोर्ट ने कहा, जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश कर उसे फंसाने का आसान तरीका चुना। ऐसी गंभीर चूक के कारण मिलीभगत सहित कई तरह के निष्कर्ष संभव हैं। 
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी अपीलकर्ताओं की निचली अदालत से स्पष्ट रूप से निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला। सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 फरवरी 2009 को दोनों को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई थी। पंढेर और कोली पर 18 मासूमों और एक महिला से दुष्कर्म व हत्या का आरोप था। इस मामले अदालत में पहला केस 8 फरवरी, 2005 को दर्ज किया गया था। 

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