BHIND : 13 चुनाव में 148 महिला प्रत्याशी लड़ीं चुनाव, जीतीं सिर्फ 22 !
1957 के चुनाव में सात में से पांच महिलाएं बनीं थीं विधायक, दो सीटों पर संयुक्त रूप से चुनी गई थीं
लहार, पिछोर एवं मुरैना से संयुक्त रूप से दो-दो प्रत्याशी चुनाव लड़े
वर्ष 2003 से बढ़ी महिला प्रत्याशियों की संख्या
वर्ष 2003 में 13 महिलाएं संभाग भर में चुनाव लड़ीं और इनमें से 2 ने चुनाव जीता। दिमनी से वर्तमान में भिण्ड सांसद संध्या राय और शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया ने भाजपा लहर में जीत हासिल की। कांग्रेस की मेहगांव में सबसे शर्मनाक हार हुई। जातिवाद पर होने वाले चुनाव में रजनी श्रीवास्तव को महज 10 हजार 153 मत मिले। वर्ष 2008 में महिला प्रत्याशियों की संया 23 तक पहुंच गई और डबरा से केवल इमरती देवी कांग्रेस के टिकट पर जीतीं। इस चुनाव में लहार से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं और सबसे शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस और बसपा केा 45.69 एवं 41.83 प्रतिशत वोट मिले जबकि भाजपा को महज 2.31 प्रतिशत के साथ दो हजार 917 मत मिले। वर्ष 2013 में 24 महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरीं। इनमें से तीन भाजपा से माया सिंह ग्वालियर पूर्व, डबरा से इमरती देवी और शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया ने जीत हासिल की।
वर्ष 1957 के चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग से सात महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतरा गया और पांच ने जीत दर्ज की। लहार, पिछोर एवं मुरैना से संयुक्त रूप से दो-दो प्रत्याशी चुनाव लड़े और दोनों को विजेता घोषित किया गया। इनमें लहार में कांग्रेस प्रेमकुमारी रणविजय सिंह गोकुलप्रसाद देवलाल के साथ संयुक्त रूप से विधायक चुनी गईं। इसी प्रकार पिछोर से कांग्रेस से अनुसूचित जाति के राजाराम सिह के साथ वृंदा सहाय एवं मुरैना से यशवंत सिंह कुशवाह के साथ चमेलीबाई सागर को संयुक्त रूप से विधायक चुना गया। 1962 के चुनाव में कांग्रेस में डबरा से बृंदा सहाय, मुरार से चंद्रकला सहाय और कोलारस से मनोरमा देवी चुनाव जीतीं। प्रत्याशियों की संया यहां भी सात ही रही।
भिण्ड. देश की आधी आबादी महिलाओं को राजनीति में आगे लाने के मुद्दे पर भले ही प्रमुख दल एकजुटता का प्रदर्शन करें, लेकिन पिछले 13 विधानसभा चुनावों में ग्वालियर चंबल संभाग में महिलाओं को राष्ट्रीय दलों द्वारा टिकट देने और महिलाओं के चुने जाने का रेकॉर्ड अच्छा नहीं है। इस अवधि में 147 महिला प्रत्याशी राजनीतिक दलों सहित निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन सिर्फ 20 ही चुनाव जीत सकीं। कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो अपनी सीट पर एक या अधिक बार जीती हैं।
● विजयाराजे इकलौती विजेता रही
वर्ष 1967 में राजमाता विजयाराजे ने जनसंघ के टिकट पर करैरा से पूरे संभाग में इकलौती जीत हासिल की, 1972 में भी सीट बदलकर गिर्द से भी चुनाव जीतीं। वहीं वर्ष 19 में पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में आईं और दो ने भिण्ड और करैरा से जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन वर्ष 1980 एवं 1985 के चुनावों में दो-दो महिला प्रत्याशी भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय के तौर आईं और चुनाव हार गईं।
● आठ महिलाएं लड़ी, सभी हारी
1990 में आठ महिलाएं चुनाव लड़ीं, लेकिन सभी हार गईं। वे क्षेत्रीय दलों या निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ीं। 1993 के चुनाव में भी किसी बड़े दल ने महिलाओं को टिकट नहीं दिया, इसके बावजूद 19 महिलाएं निर्दलीय के तौर पर लड़ीं और हार गईं। शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया ने 1998 में भाजपा के टिकट पर शिवपुरी से चुनाव लड़ा और जीतीं। बाकी पांच महिला प्रत्याशियों में पोहरी से कांग्रेस की बैजंती वर्मा ने फाइट की।
वर्ष लड़ीं जीतीं
1957 07 05
1962 07 03
1967 01 01
1972 01 01
1977 05 02
1980 02 00
1985 02 00
1990 08 00
1993 19 00
1998 6 01
2003 13 02
2008 23 01
2013 24 03
2018 30 03
कुल 148 22