AIMPLB के सदस्यों में उभरे गहरे मतभेद, बैठक की जगह बदली- सूत्र

लखनऊ: अयोध्या फैसले पर पुर्नविचार याचिका को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) में गहरे मतभेद उभरकर सामने आए हैं. लखनऊ के नदवा कॉलेज में पहले से प्रस्तावित बैठक में बोर्ड के पूरे सदस्य नहीं पहुंचे. सूत्रों की जानकारी के मुताबिक सदस्यों की संख्या कम होने की वहज से बैठक का स्थान बदल दिया गया है. अब एआईएमपीएलबी की बैठक शहर के मुमताज पीजी कॉलेज में तय की गई है.

दरअसल, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आज लखनऊ में एक अहम बैठक रखी है. इसमें शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर बोर्ड की आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की जाएगी. बोर्ड के सदस्य कोर्ट के फैसले को लेकर पुर्नविचार याचिका और मस्जिद के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन लेने या नहीं लेने पर भी निर्णय लेंगे.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में हैदराबाद सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद, आरिफ अकील, एआईएमपीएलबी बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी, सदस्य आसमां ज़हरा, उमरैन महफूज़, महासचिव वली रहमानी, राबे हसन समेत कई बड़े मुस्लिम धर्मगुरू और नेता मौजूद हैं. हालांकि, सुन्नी वक्फ बोर्ड का कोई भी प्रतिनिधि बैठक में मौजूद नहीं है. ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है.

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जमीन भी नहीं लेनी चाहिए
दरअसल, मुस्लिम पक्षकारों ने हाल ही में आए अयोध्‍या मामले पर फैसले के खिलाफ अपील दाखिल किए जाने की इच्‍छा जताते हुए कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिए. उधर, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने एआईएमपीएलबी की इस बैठक का विरोध किया है. अंसारी का कहना है कि कुछ लोग देश में अशांति फैलाना चाहते हैं.

ANI UP

@ANINewsUP

Lucknow: AIMIM chief Asaduddin Owaisi and others arrive for the All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) meeting, over the Supreme Court verdict in Ayodhya case.

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पुनर्विचार याचिका नहीं डालूंगा
अयोध्या विवादित भूमि मामले में बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है हम उसका सम्मान करते हैं. कौन इसमें क्या बोलता है यह कोर्ट के फैसले से खत्म हो जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने हमें पांच एकड़ जमीन दी है. उस जमीन का क्या करना है यह हम तय करेंगे, लेकिन हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे सौहार्द बिगड़े.”

अंसारी ने कहा, “हम खुद पक्षकार हैं, कोई क्या कह रहा है, हम सुनते भी नहीं हैं, मैं पुनर्विचार याचिका नहीं डालूंगा. एक फैसला आने में सत्तर साल लग गए, जबकि सारे गवाह और सबूत हमने दिए. हम चाहेंगे कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारा बना रहे.”

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था “मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं. सुप्रीम कोर्ट वैसे तो सबसे ऊपर है, लेकिन अपरिहार्य नहीं है.” उन्होंने कहा, “हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, हमें खैरात के रूप में पांच एकड़ जमीन नहीं चाहिए. हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए. हम पर कृपा करने की जरूरत नहीं है.”

बाबरी पक्षकार ने ऐतराज जताया
असदुद्दीन ओवैसी के बयान को लेकर अयोध्या में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी पक्षकार ने ऐतराज जताया है. एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सोमवार को कहा, “पूरे मुल्क में जिस तरह से इतने बड़ा फैसला आने के बावजूद किसी प्रकार की कोई वारदात नहीं हुई, इससे संदेश मिलता है कि तमाम हिन्दुस्तानी चाहते हैं कि अब मंदिर-मस्जिद मुद्दे से आगे की बात होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सदियों पुराना मसला खत्म कर दिया गया है. अब इस मुद्दे पर किसी राजनीतिक व्यक्ति की सियासत के लिए कोई जगह बची नहीं है. जिस प्रकार से अवाम द्वारा लगातार शांति बरकार है, इससे उन लोगों को संदेश मिल गया होगा जो इस पर सियासत करते हैं

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