आकाश कोचिंग सेंटर की शुरुआत कब और कैसे हुई?

आशीष और मेडिकल ब्यूरो के बाद जब आकाश नाम से कोचिंग सेंटर खोला तो छू लिया आसमान; अब 1380 करोड़ का टर्नओवर

डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना संजोने वाले ज्यादातर युवा आकाश में अपनी उड़ान भरते हैं। वही आकाश जो कभी एक ट्यूशन सेंटर हुआ करता था और आज 1380 करोड़ की कंपनी है। BYJU’S के साथ एक बिलियन डॉलर में उसका मर्जर भी हो गया है।

‘Unicorn Dreams with कुशान अग्रवाल’ में आज बात करेंगे आकाश के मैनेजिंग डायरेक्टर आकाश चौधरी से। बातें आकाश की शुरुआत, उसकी जर्नी और BYJU’S के साथ मर्जर की भी है, पर उससे पहले वो बातें, जिनसे आकाश बना, बढ़ा और कामयाबी के शिखर तक पहुंचा…

कुशान- आकाश की शुरुआत कब और कैसे हुई? आपके पिता ने इसका नाम आकाश क्यों रखा?

आकाश चौधरी- मेरे पिता ने 1988 में आकाश की शुरुआत की। यह उनकी तीसरी कोशिश थी। इसके पहले 1983 और 1986 में भी उन्होंने कोचिंग सेंटर शुरू किया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उनके एक दोस्त ने फिर से कोचिंग सेंटर शुरू करने की सलाह दी।

उनके इस दोस्त का बेटा पिताजी से पढ़कर ही डॉक्टर बना था। उनकी जिद पर पिताजी ने एक बार फिर कोशिश की और 1988 में एक ट्यूशन सेंटर के रूप में आकाश की शुरुआत हुई।

जहां तक नाम रखने की बात है, पिताजी ने पहले मेरे भाई के नाम पर अपने कोचिंग सेंटर का नाम आशीष रखा था। बाद में मेडिकल ब्यूरो कर दिया, लेकिन यह दोनों नाम नहीं चले तो तीसरी बार आकाश रख दिया

कुशान- आपने कॉलेज के बाद एडवर्टाइजिंग प्रोडक्शन में काम किया, इंफोसिस में भी नौकरी की। इसके पीछे आपकी क्या स्ट्रैटजी थी? इससे क्या कुछ सीखने को मिला?

आकाश चौधरी- 2001 में इंजीनियरिंग के बाद मुझे कुछ कंपनियों की तरफ से ऑफर मिला। मैंने काम भी किया। फिर सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा काम शुरू किया जाए, जिससे पिताजी के काम को भी फायदा हो।

मैंने रियलाइज किया कि एडवर्टाइजिंग और प्रोडक्शन में बहुत बड़ा स्कोप है। इसकी मदद से बिजनेस को आगे बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि पिताजी को एकेडमिक कामों से वक्त नहीं मिल रहा था, वो प्रचार-प्रसार पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे।

कुशान- इन्वेस्टर्स का भरोसा पाने के लिए क्या-क्या क्वालिटीज की जरूरत होती है?

आकाश चौधरी- देखिए कोई भी तभी इन्वेस्ट करता है, जब उसे एक अच्छे रिटर्न की उम्मीद होती है। अच्छा रिटर्न तभी आएगा, जब कंपनी में ग्रो करने का पोटेंशियल हो। उसके मैनेजमेंट का अपने काम पर फोकस हो। कंपनी किसी गलत काम में इन्वॉल्व न हो। कंपनी का कल्चर कैसा है? किस सेक्टर में कंपनी काम कर रही है? उसकी पॉलिसी क्या है? रेवेन्यू कैसा है? ये सारी बातें देखकर ही इन्वेस्टर्स पैसे लगाते हैं।

कुशान- ज्यादातर कोचिंग इंस्टीट्यूट ऑनलाइन मूव कर रहे हैं, लेकिन आकाश अभी भी फिजिकल कोचिंग पर ही फोकस कर रहा है, ऐसा क्यों?

आकाश चौधरी- एजुकेशन फील्ड में फिजिकल इंटरैक्शन बहुत जरूरी होता है। फिजिकल एजुकेशन में बच्चा एक्टिव और प्रोडक्टिव एन्वायर्नमेंट में पढ़ता है। टीचर के साथ उसका आमने-सामने से इंटरैक्शन रहता है। कोरोना के बाद अब वापस बच्चे स्कूल आ रहे हैं। आगे और बड़ी तादाद में आएंगे।

इसके साथ ही जब आप किसी कॉम्पिटिशन की तैयारी करते हैं तो एक रेजिमेंटल सिस्टम का होना जरूरी होता है। यहां बच्चे साथ पढ़ते हैं, साथ टेस्ट देते हैं। इससे यह पता चलता है कि किस बच्चे को कितना समझ आ रहा है, किसे कहां दिक्कत है, बच्चे को सामने से उसकी गलती बताई जाती है। ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम में ऐसा नहीं हो पाता है।

कुशान- क्या रूरल इंडिया धीरे-धीरे ऑनलाइन एजुकेशन की तरफ बढ़ रहा है? आकाश रूरल इंडिया में जाने के लिए क्या कदम उठा रहा है?

आकाश चौधरी- रूरल इंडिया में ऑनलाइन एजुकेशन के लिए तीन चीजों का होना जरूरी है। पहला- इंटरनेट कनेक्शन, दूसरा-स्मार्ट फोन या कोई डिवाइस और तीसरा- सही एन्वायर्नमेंट। रूरल इंडिया में इन तीनों चीजों की काफी दिक्कत है। किसी बच्चे के पास स्मार्टफोन नहीं है, तो किसी के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है।

अगर किसी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट है भी, तो उसे पढ़ाई के लिए सही एन्वायर्नमेंट नहीं मिल पाता है। वो जहां पढ़ाई करता है, वहां शोरगुल होता रहता है। इसलिए रूरल एरिया में अभी तक हम ज्यादा कामयाब नहीं हो पाए हैं।

कुशान- हर साल NEET और JEE में लाखों बच्चे भाग लेते हैं, आप उन बच्चों को क्या टिप्स देना चाहेंगे?

आकाश चौधरी- हमारा अब तक का अनुभव रहा है कि ये एग्जाम्स इतने मुश्किल नहीं हैं। हां इनकी प्रिपरेशन का तरीका अलग है। उस तरीके को अच्छी तरह समझें, खूब सारी प्रैक्टिस करें, अपनी कमियों को समझें और उन पर काम करें, तो राह आसान हो जाएगी। चूंकि निगेटिव मार्किंग भी इसमें होती है, इसलिए एग्जाम में उन्हीं टॉपिक पर फोकस करें, जो आपको अच्छी तरह से आता हो।

कुशान – BYJU’S और आकाश के एक बिलियन डॉलर वाले मर्जर के पीछे क्या सोच है, इसके बाद आपकी स्ट्रैटजी में क्या बदलाव आया है?

आकाश चौधरी- हमारी सोच थी कि आकाश एक बहुत बड़ा ऑफलाइन बिजनेस है और BYJU’S बहुत बड़ा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। जिस तरह से दुनिया आगे जा रही है, कई लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं। इसलिए हमने सोचा कि दोनों मिलकर काम करें, ताकि दोनों ही मोड पर हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों की मदद कर सकें।

कुशान- भारत का एजुकेशन सिस्टम UK और US जैसे देशों से कितना अलग है?

आकाश चौधरी- भारत में अभी एजुकेशन का फोकस ट्रेडिशनल सिस्टम पर है। इसमें एक्सपेरिमेंटेशन, प्रैक्टिकल अप्रोच, इनोवेशन रेलिवेंस और पॉलिटिकल रेलिवेंस को एजुकेशन सिस्टम में लाने में काफी वक्त लगता है। जबकि बाहर के एजुकेशन सिस्टम में ये चीजें बहुत ही इंटीग्रेटेड हैं।

इसके साथ ही एक और चीज यह है कि हमारे देश में ज्यादा फोकस एकेडमिक पर है, जबकि बाहर के देशों में एकेडमिक के साथ ही एक्स्ट्रा करिकुलम पर भी फोकस किया जाता है।

कुशान- भारत के यंग एंटरप्रेन्योर्स को आप क्या टिप्स देंगे, उनकी क्या क्वालिटीज आपको अच्छी लगती है?

आकाश चौधरी- सबसे अच्छी बात ये है कि हमारे यंग एंटरप्रेन्योर्स ट्रेडिशनल चीजों से अलग हटकर नई चीजों के बारे में सोच रहे हैं, अप्रोच कर रहे हैं और उन्हें आगे भी बढ़ा रहे हैं। हर सेक्टर में ऐसा देखने को मिल रहा है, लेकिन एक दिक्कत यह भी है कि ज्यादातर एंग एंटरप्रेन्योर एक-दूसरे से तुलना करने लगते हैं और इसी भागदौड़ में उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।

मेरी सलाह यह है कि आपको दूसरे से कम्पेयर करने की बजाय खुद के प्रोडक्ट की सर्विसेज और क्वालिटीज पर फोकस करना चाहिए। अगर आपकी सर्विस बेहतर होगी तो डिमांड भी जरूर होगी।

कुशान- आकाश इंस्टीट्यूट में आपकी अब तक की जर्नी कैसी रही, क्या कभी कोई मुश्किल आई, उन मुश्किलों को आपने कैसे फेस किया?

आकाश चौधरी- साल 2006 में मैंने आकाश इंस्टीट्यूट जॉइन किया। तब पिताजी चाहते थे कि मैं बिजनेस को समझूं और बिजनेस स्किल डेवलप करूं, इसलिए सीधे कंपनी में शामिल करने के बजाय उन्होंने मुझे इसकी फ्रेंचाइजी दी। इसके बाद मैंने मुंबई से इसकी शुरुआत की।

शुरुआत के 2-3 साल कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मैं जिस IT बैकग्राउंड से आता था, वहां से यहां का वर्क कल्चर काफी अलग था। लिहाजा इस इंडस्ट्री के हिसाब से ढलने और उसे जानने में थोड़ा वक्त लगा, लेकिन इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कुशान- जब आप फ्री होते हैं तो क्या करना पसंद करते हैं?

आकाश चौधरी- मुझे बाइक चलाना काफी पसंद है। इसलिए जब भी खाली वक्त मिलता है तो बाइक लेकर निकल जाता हूं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *