लोकतंत्र में दागियों को आरक्षण !

सरकार बनाने में आधे से ज्यादा विभिन्न अपराधों में आरोपियों का हाथ! ऐसे में कैसे लगे अपराधों पर रोक?

सरकारें अपराधों पर लगाम लगाने की बातें तो जरूर करतीं हैं लेकिन उनपर लगाम लगा पाने में नाकाम ही साबित रहती हैं। आखिर अपराधों पर लगाम लगे भी तो कैसे, क्योंकि जब सरकार में ही विभिन्न अपराधों में आरोपी लोग बैठे हुए हैं। ऐसे में अपराधों पर लगाम लगाने की सरकारों की बातें बिल्कुल बेमानी लगती हैं।

राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ रोकने के लिए चुनाव आयोग ने भी कुछ नियम बनाए हैं। लेकिन राजनैतिक पार्टियों और नेताओं के आगे वह भी फेल साबित हो रहे हैं। जहां एक ओर उम्मीदवारों को तो अपने ऊपर दर्ज अपराधों की घोषणा अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से करनी ही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी एक फार्म C7 भरना राजनीतिक पार्टियों के लिए अनिवार्य किया गया है। यह फॉर्म राजनीतिक पार्टियों को ऐसे उम्मीदवारों के लिए भरकर देना होता है जिनपर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस फॉर्म के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को यह बताना होता है कि अपराधिक मामले दर्ज होने पर भी उस व्यक्ति विशेष को टिकट क्यों दिया जा रहा है? आखिर राजनीतिक पार्टी की क्या ऐसी मजबूरी है जिससे आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट देना पड़ रहा है? राजनीतिक पार्टियां इस फॉर्म को भर तो रही हैं लेकिन उनके जो जवाब हैं वह रटे रटाये ही हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को टिकट देने के पीछे जो कारण राजनीतिक पार्टियों बताती हैं उनमें सबसे ज्यादा ‘जाने-माने नेता’ ‘समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति’ और ‘लोगों की मांग पर चुने गए सबसे बेहतर प्रत्याशी’ जैसे कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा बताए जाते हैं। सभी मामलों में लगभग एक जैसे कारण ही बताए जाते हैं। ऐसे में C7 फॉर्म की कोई महत्ता नहीं रह जाती।

हालांकि राजनीतिक व्यक्तियों पर कई बार राजनीति से प्रेरित होकर भी मामले दर्ज करवा दिए जाते हैं। वैसे एक दो नहीं बल्कि कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जिसमें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते एक दूसरे पर मामले दर्ज होते हैं। ऐसे में जब तक कोर्ट द्वारा उनका फैसला नहीं कर दिया जाता तब तक वह व्यक्ति के पीछे नासूर की तरह लगे रहते हैं। ऐसे में कई बार भले लोगों और नेताओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

ऐसे में अग्रित पत्रिका की बुद्धिजीवी वर्ग, बालिग छात्र-छात्रा वर्ग एवं समाज के प्रतिष्ठित लोगों से अपील है कि वह इस विषय पर सामाजिक रूप से चर्चा करें और देखें कि कहीं राजनीति में आदतन अपराधियों और गुंडों को तो वह प्रश्रय नहीं दे रहे। एफआईआर तो किसी भी व्यक्ति पर दर्ज हो जाती है लेकिन वह किन परिस्थितियों में कैसे दर्ज हुई है या कराई गई है उस पर विचार विमर्श कर वोट दें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *