कुर्सी का खेल … तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री आख़िर कौन?

कुर्सी का खेल:चुनाव बाद नेता चयन, तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री आख़िर कौन?

कहा जा रहा है कि तीन राज्यों में चुनाव और कांग्रेस दोनों शांति से निपट गए। सही है, भाजपा की चुनावी रणनीति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लाड़ ने करतब दिखाए और कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया।

ख़ैर, बात अब आगे की होनी चाहिए। आगे की बात यह है कि तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री कौन बनेगा? पेंच अकेले राजस्थान में ही नहीं है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी नेता का चयन दुविधा से भरा हुआ है। राजस्थान में तो दिल्ली से बुलावे आने लगे हैं। कुछ को आए हैं। कुछ को नहीं आए। जिन्हें बुलावा आया वे तो दिल्ली कूच कर गए लेकिन जिन्हें बुलावा नहीं मिला वे अपने समर्थक विधायकों को घर बुलाकर विचार- विमर्श कर रहे हैं। हो सकता है एक- दूसरे को जीत की बधाई दे रहे हों।

कुल मिलाकर राजस्थान में नेता चयन की प्रक्रिया काफ़ी गंभीर दौर में जा रही है। जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है, यहाँ शिवराज सिंह की ताक़त चुनाव परिणामों में साफ़ दिखाई दे रही है। 230 में से 163 सीटें पाना किसी सत्तारूढ़ दल के लिए एक अचम्भे से कम नहीं माना जा सकता। वो भी तब जब यहाँ बीस साल से भाजपा की सरकार रही हो। यही वजह है कि मध्यप्रदेश में नेता जो कोई भी चुना जाए और सत्ता प्रमुख कोई भी बने लेकिन मुख्यमंत्री पद पर स्वाभाविक दावेदारी तो मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही है।

चुनाव परिणाम से पहले मप्र में बड़े- बड़े तुर्रम कांग्रेस की सरकार की संभावना जताते थक नहीं रहे थे। जो कोई स्पष्ट घोषणा नहीं करना चाहते थे, वे काँटे की टक्कर कहकर बच जाते थे। इस काँटे की टक्कर का बड़ा अच्छा जवाब दिया था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने। उन्होंने कहा था कि कोई काँटे की टक्कर नहीं है। काँटा तो निकाल दिया है लाड़ली बहनों ने। सचमुच इतनी करारी मात दी कि कांग्रेस और उसके नेता कमलनाथ के पास मुँह छिपाने की जगह भी नहीं छोड़ी गई। इसलिए शिवराज की सरकार का दावा तो बनता है। ऐसा हुआ तो शिवराज पाँचवीं बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे।

छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री पद के पाँच दावेदार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह यहाँ पहले दावेदार माने जा रहे हैं। बचे हुए साव, साय और बाक़ी सब भी दौड़ में हैं ज़रूर, लेकिन आख़िरी फ़ैसला वे नरेंद्र मोदी ही करेंगे जिनके चेहरे पर तीनों राज्यों में पार्टी को जीत मिली है। चूँकि फ़ैसला दिल्ली से ही होना है इसलिए परिपाटी की मानी जाए तो सारे क़यास धरे रह जाएँगे।राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के नेताओं का फ़ैसला यक़ीनन चौंकाने वाला ही होगा। मोदी इस मामले में हमेशा चौंकाते रहे हैं। इस बार भी निश्चित तौर पर ऐसा ही करेंगे।

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